24 न्यूज अपडेट उदयपुर। एक जमाना था जब पेट्रोल पम्प की परमिशन शहर के बाहर कुछ इक्के-दुक्के क्षेत्रों में दी जाती थी और उसके लिए भी पूरी तरह से सुरक्षित जगहों को चुना जाता था। उसके बाद पम्प शहरों के भीतर खोले जाने लगे मगर उसमें भी नियमों से कभी समझौता नहीं किया गया। लेकिन अब नियमों को तोड़ मरोड़ कर एनओसी देने का खेल खेला जा रहा है। बगैर इस बात की परवाह किए कि आस-पास कहीं कोई स्कूल या कॉलेज, अस्पताल तो नहीं। आपात स्थितियों में बचाव के उपाय क्या व कैसे हो पाएंगे इसकी न कोई चर्चा हो रही है ना ही इसकी जरूरत महसूस की जा रही है। उदयपुर के सीपीएस स्कूल के पास एक पेट्रोल पम्प की परमिशन को लेकर प्रशासन की कलई खुल गई है। अभिभावक और क्षेत्रवासी इसके विरोध में आवाज बुलंद कर रहे हैं। उनको अपने बच्चों की सुरक्षा की परवाह है व वे स्कूल प्रशासन के माध्यम से जिला प्रशासन तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं व कानूनी उपचार का रास्ता तलाश रहे हैं।
सीपीएस स्कूल की दीवार से सट कर बनाए गए पेट्रोल पम्प को ना सिर्फ परमिशन दी गई है बल्कि यह शुरू भी हो चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार परमिशन से पहले ही आपत्तियां दर्ज करवाईं गई थीं जिनको जिला प्रशासन की कमेटी ने नजरअंदाज करके परमिशन दे दी। लोगों का कहना है कि अब वह दिन दूर नहीं जब अस्पतालों के परिसरों, प्रमुख सरकारी दफ्तरों, बड़े प्रशासनिक अधिकारियों व नेताओं के घरों से सटी हुई जमीन पर भी पेट्रोल पम्प की परमिशन दे दी जाएगी। लोगों ने परमिशन को तुरंत निरस्त करने की मांग की है।
गाइडलाइंस की बात करें तो स्कूल, अस्पताल और रिहायशी इलाकों के 50 मीटर के दायरे में नया पेट्रोल पंप नहीं लगाया जा सकेगा। पंप की परिधि में 50 मीटर का एरिया खाली रखना होगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा-निर्देशों के बाद टाउन प्लानिंग विंग ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें स्कूल, अस्पताल और रिहायशी इलाकों के 50 मीटर के दायरे में नया पेट्रोल पंप नहीं लगाया जा सकता। जहां सड़कों की चौड़ाई 18 से 24 मीटर होगी सिर्फ वहीं पर पेट्रोल पंप खोलने की इजाजत दी जाएगी। शहरी स्थानीय निकाय को निर्देश दिये गए हैं कि लोगों के भूमि परिवर्तन के आवेदन से संबंधित सभी केसों का परीक्षण किया जाए. इसके बाद शहरी विकास और आवास विभाग ने पेट्रोल पंप कंपनियों द्वारा मान्यता प्राप्त पेट्रोल पंप नक्शों का परीक्षण किया है.। इसी आधार पर नए नियम बनाए गए हैं ताकि पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति देने की प्रक्रिया को सरल और आसान बनाया जा सके। गाइडलाइंस के अनुसार पेट्रोल पंप के ऊपर से हाईटेंशन तार नहीं गुजरना चाहिए।
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने नासिक में स्कूल के पास पेट्रोल पंप की अनुमति रद्द की
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कुछ साल पहले नासिक में एक स्कूल के पास पेट्रोल पंप बनाने की अनुमति रद्द किया था। मुख्य न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति धनंजय चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करते हुए मंजूरी दी गई थी, इसलिए नासिक नगर आयुक्त को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा। न्यायाधीशों ने कहा, “छात्रों के कल्याण को विकासात्मक हित (भूमि के मालिक के) की वेदी पर बलिदान नहीं किया जा सकता है,“ “मालिक अपनी भूमि का विकास करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन जब वह पेट्रोल-फिलिंग स्टेशन जैसे प्रतिष्ठान को अपनाना चाहता है, तो कानून हस्तक्षेप करता है और उसे बताता है कि स्कूलों में छोटे बच्चों की सुरक्षा से समझौता न हो, इसके लिए उसे कितनी दूरी बनाए रखनी चाहिए।’’ नासिक रोड पर स्थित सेंट फिलोमेना कॉन्वेंट हाई स्कूल ने सड़क के उस पार पेट्रोल पंप के लिए दी गई अनुमति को चुनौती दी थी। इस मामले में एक दिलचस्प बात सामने आइ्र थी कि अधिकारियों ने दावा किया कि नगर आयुक्त के पास नियमों में ढील देने के विवेकाधीन अधिकार हैं और स्कूल खुलने और बंद होने के समय पेट्रोल पंप को 30 मिनट के लिए बंद किया जा सकता है। इसे न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया
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