24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर। उदयपुर के कई मोहल्लों में सिवरेज के लिए खोद दी गई सड़कें लोगों के लिए नासूर बन चुकी है। इन्हें ठीक करवाने के लिए बहुत जोर और एप्रोच लगाने पर कुछ जगहों पर केवल खुदी हुई लाइन में पैबंद लगा दिया गया है जिससे परेशानी और बढ़ गई है। कई जगहों पर पुरानी सड़कें मरम्मत मांग रही है। बारिश के बाद जिन सड़कों की आधी अधूरी मरम्मत हुई है उन्होंने सड़कों पर ही असंतुलन पैदा कर दिया है। कई हाउसिंग सोसायटियां सड़क की मांग कर रही हैं। कई जगह लोग गड्ढों से परेशान हैं लेकिन हमारे सांसद महोदय की प्राथमिकता अहमदाबाद-अहमदाबाद हाइवे पर काया कविता रिंग रोड में है। इसके लिए उन्होंने ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी साहब को चिट्ठी लिख कर कह दिया है कि देबारी बायपास के बाद काया से सीधे कविता तक रिंग रोड बनाने की के लिए डीपीआर बनाई जाए। काया से कविता तक 30 किलोमीटर तक रिंग रोड पर 1200 करोड़ करोड़ की लागत आएगी जिसमें 30 प्रतिशत आर्थिक सहयोग स्थानीय निकाय की और से दिया जा सकता है। अनुमान लगाएं तो 1200 करोड़ का 30 प्रतिशत 360 करोड़ होता है। इतना पैसा अगर पहले शहर की सड़कों को सुधारने पर लगा दिया जाए तो लोगों को धक्के नहीं खाने पड़ेंगे। पहले अंदर घर दुरूस्त होगा, उसके बाद बाहर पैसा देने की सोची जाएगी। अभी निगम खुद पैसा नहीं होने का रोना लगातार रो रही है। खुद महापौर कह चुके हैं कि फंड की कमी है। कई जरूरी काम नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में सांसद का यह दूर दृष्टि दोष सचमुच चौकाने वाला है। जमीनी हालात और शहर की जरूरतों के अनुसार ही उन्हें प्रस्ताव भेजना चाहिए था। नितिन गडकरी पहले भी कई इंटरव्यू में कह चुके हैं कि मेरे पास कोई भी प्रापोजल लेकर आया, मैंने कभी किसी सांसद को मना नहीं किया। अगर गडकरी ने इसके लिए हां कर दी तो फिर इतना पैसा कहां से आएगा? क्या टूटी सड़कों पर रोज गिर पड़कर निकल रहे लोगों पर कोई नया टेक्स लगाया जाएगा, यह सवाल उठता है।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को सांसद डा. मन्नालाल रावत ने लिखे पत्र में बताया है कि अहमदाबाद नेशनल हाइवे 48 और पिंडवाड़ा नेशनल हाइवे 76 को जोड़ने के प्रस्तावित उदयपुर रिंग रोड निर्माण के लिए जल्द डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए। अभी अहमदाबाद की ओर से आने वाले वाहनों को गोगुंदा, सिरोही, माउंट आबू, पिंडवाडा (एनएच 76) की तरफ जाने के लिए देबारी होकर कविता जाना पड़ता है। इससे अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। काया से कविता तक प्रस्तावित उक्त रिंग रोड के निर्माण के बाद लगभग 18 से 20 किमी की दूरी कम हो जाएगी। जिससे ईंधन एवं समय की भी बचत होगी। इस प्रस्तावित रिंग रोड के लिए तब असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने भी फरवरी 2024 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि इस रिंग रोड के निर्माण पर होने वाले कुल व्यय में उदयपुर की स्थानीय निकाय भी 30 प्रतिशत तक का आर्थिक सहयोग कर सकती है। याने यदि यह बात कटारिया ने भी कही थी तो कटारिया को भी बताना चाहिए कि फंड कहां से आएगा। आपको बता दें कि अभी शहर के दाईं ओर वर्ष 2009 में ईस्ट- वेस्ट कॉरिडोर के अंतर्गत स्वरूपगंज- पिंडवाड़ा उदयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 76 के निर्माण के दौरान कविता से देबारी तक चार लेन बाईपास का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। इसकी कुल लंबाई 19 किमी है। इसी तरह देबारी से काया के सिक्स लेन के नए ग्रीनफील्ड उदयपुर बाईपास का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जिसकी लंबाई 23 किलोमीटर है।
सांसद का दूर दृष्टि दोष : सिवरेज लाइन से खुदी सड़कों के मरम्मत के पैसे नहीं, काया-कविता रिंग रोड के लिए निगम से फंड देने का वादा

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