उदयपुर। 2 दिसंबर। गीता जयंती आयोजन समिति की द्वारा गीता ज्ञान व्याख्यान माला की श्रृंखला में सोमवार को विद्या निकेतन सीनियर सेकेंडरी विद्यालय सेक्टर 4 में संस्कृत भारती चित्तौड़ प्रांत की विद्वत परिषद की प्रमुख डॉ रेनू पालीवाल और मोटिवेशनल स्पीकर आशीष सिंह द्वारा विद्यार्थियों को श्रीमद् भगवद गीता के आधार पर महत्वपूर्ण स्टडी टिप्स दिए गए। मीडिया प्रभारी नरेश पूर्बिया ने बताया कि डॉ रेनू पालीवाल ने गीता का उद्धरण देते हुए कहा कि विद्यार्थी जैसा सोचेंगे, वैसा बनेंगे ।अतः उन्हें सदैव सकारात्मक सोचना है और अपने जीवन का मूल्य समझना है। उन्होंने विद्यार्थियों को उनका स्वधर्म यानी पढ़ाई में मन लगाने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि गीता के अनुसार समय सबका बदलता है ।अतः अपने जीवन में सच्चे मित्र बनाकर ध्यान के अभ्यास से द्वारा लक्ष्य पर रहना चाहिए। उन्होंने मन और बुद्धि का अंतर बताते हुए कहा कि मन हमें भटकाता है लेकिन बुद्धि हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है ।अतः बुद्धि के अनुसार सही निर्णय लेने चाहिए।
मोटिवेशनल स्पीकर आशीष सिंहल द्वारा गीता के अध्याय 16 में वर्णित 26 दैवीय गुणों पर आधारित एक प्रेरणादायक सत्र का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों को इन गुणों की महत्ता समझाते हुए, जीवन में उनकी आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
आशीष सिंहल ने सरल और प्रभावशाली ढंग से दैवीय गुणों जैसे अहिंसा, सत्य, करुणा, क्षमा, विनम्रता, और सहनशीलता का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि इन गुणों को अपनाकर हम न केवल एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी ला सकते हैं।
क ई प्रेरणादायक कहानियों और उदाहरणों के माध्यम से विद्यार्थियों को यह समझाने का प्रयास किया गया कि ये गुण हमारे जीवन को शांति और आनंद से भर देते हैं। साथ ही, उन्होंने गीता के उपदेशों को आधुनिक जीवन में कैसे अपनाया जाए, इस पर भी चर्चा की।
विद्यालय के प्रभारी ने इन गीता व्याख्यान माला की सराहना करते हुए कहा, “इस प्रकार के सत्र विद्यार्थियों के नैतिक और आध्यात्मिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”
संयोजक गोपाल कनेरिया ने बताया कि मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती महोत्सव निंबार्क शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय सुरजपोल में रविवार 8 दिसंबर को प्रातः 11 बजे सनातन पाठशाला, गीता परिवार, संस्कृत भारती, सर्व ब्राह्मण एकता परिषद और विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी शाखा उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में महंत रासबिहारी जी के सानिध्य में संपन्न होगा।

