आयोध्या। राम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या में शुक्रवार को रामलला के सूर्य तिलक का सफल ट्रायल किया गया। भगवान के मस्तक पर दर्पण के जरिए सूर्य की किरणों का आभामंडल बस देखते ही बन पडा। राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने बताया कि वैज्ञानिकों की मौजूदगी में शुक्रवार दोपहर 12 बजे सूर्य तिलक किया गया। एक मिनट 19 सेकेंड का यह सूर्य तिलक हुआ। रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने इस दौरान आरती की। आपके बता दें कि 17 अप्रैल को रामनवमी के मौके पर दोपहर 12 बजे रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा। सूर्य तिलक ट्रॉयल के दौरान गर्भगृह की लाइट को कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया। आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि त्रेता युग में जब प्रभु राम ने जन्म लिया तो उस दौरान सूर्य देव 1 महीने तक अयोध्या में रुके थे। त्रेता युग का वह दृश्य अब कलयुग में भी साकार होने जा रहा है। आईआईटी रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने सूर्य तिलक का यह सिस्टम बनाया है। यह सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों पर आधारित है। प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक देवदत्त घोष के मुताबिक इसमें एक रिफ्लेक्टर, 2 दर्पण, 3 लेंस, पीतल पाइप से किरणें मस्तक तक पहुंचाई गई। इस डिवाइस में 19 गियर लगाए गए हैं, जो सेकंड्स में दर्पण और लेंस पर किरणों की चाल बदलने की क्षमता रखते हैं। बेंगलुरु की कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और पीतल के पाइप बनाए हैं। प्रोजेक्ट में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स भी शामिल है।
इधर आयोध्या में रामनवमी की तैयारियां जोरों पर हैं। रामनवमी पर 50 क्विंटल फूलों से राम मंदिर और 70 एकड़ में फैले परिसर को सजाया जाएगा। देश और विदेश के करीब 20 प्रकार से फूल इस्तेमाल किए जाएंगे। फूल बेंगलुरु और दिल्ली से मंगाए गए हैं। राम मंदिर के साथ ही कनक भवन और हनुमानगढ़ी को भी फूलों से सजाया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन जिस तरह हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई थी, उसी तरह रामनवमी पर हेलिकॉप्टर से गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा राम भक्तों पर की जाएगी।
विज्ञान और आस्था का मिश्रण : रामलला के सूर्य तिलक का ट्रायल, लेंस और पीतल के पाइप से तीसरी मंजिल पर पहुंचीं किरणें

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