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वकीलों ने की दुष्कर्म के आरोपी की जमकर धुलाई, नहीं लड़ेंगे केस

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24 न्यूज अपडेट. चित्तौड़गढ़। राजस्थान में वकीलों ने 3 साल की बच्ची से रेप की कोशिश करने वाले आरोपी को कोर्ट में पेशी के दौरान पीटा और उसकी कानूनी पैरवी करने से इनकार कर दिया। सलीम कुरैशी, आयु 38 वर्ष ने 3 साल की बच्ची के साथ रेप की कोशिश, मंगलवार रात को चंदेरिया में की थी। कोर्ट की कार्रवाई में वकीलों ने पिटाई की, पुलिस ने सुरक्षा घेरा बनाया, कोर्ट ने जेल भेज दिया। आरोपी सलीम कुरैशी को मंगलवार रात चंदेरिया, चित्तौड़गढ़ में 3 साल की बच्ची के साथ रेप की कोशिश के लिए गिरफ्तार किया गया था। बच्ची अपने घर के बाहर खेल रही थी, जब आरोपी ने उसे अपने साथ ले गया और अपराध की कोशिश की। बच्ची की मां ने उसे देख लिया और चिल्लाने लगी, जिससे आसपास के लोग इकट्ठे हो गए। भीड़ ने आरोपी की पिटाई की और उसे चंदेरिया थाना पुलिस को सौंप दिया। बुधवार सुबह, चंदेरिया बाजार के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया, दुकानें बंद रखीं और सख्त कार्रवाई तथा फांसी की मांग की। यह प्रदर्शन स्थानीय समुदाय के गुस्से को दर्शाता है।
कोर्ट में पेशी और हिंसा
गुरुवार शाम पुलिस ने आरोपी को चित्तौड़गढ़ कोर्ट में पेशी के लिए लाया। जैसे ही वकीलों ने आरोपी को देखा, उनका गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने उसकी पिटाई शुरू कर दी। इस दौरान वकीलों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की हुई, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। पुलिस का भारी जाप्ता मौजूद था, लेकिन फिर भी कानूनी और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच टकराव हुआ। एडिशनल एसपी सरिता सिंह मौके पर पहुंचीं और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। पुलिस ने सुरक्षा घेरा बनाकर आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया और बाद में कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया। कोर्ट से ले जाते समय पुलिस ने जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था की, ताकि आरोपी को सुरक्षित रूप से ले जाया जा सके। जिला अभिभाषक संस्थान (डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन) ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया कि कोई भी वकील आरोपी की पैरवी नहीं करेगा। बार एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष एसपी राठौड़ ने कहा, “हमने यह फैसला किया है कि यहां से कोई भी वकील आरोपी की पैरवी नहीं करेगा। इस मामले को फास्ट ट्रैक में चलना चाहिए और फांसी की सजा मिलनी चाहिए, ताकि आगे से कोई भी व्यक्ति ऐसी हरकत करने के बारे में सोच भी नहीं सकता।“ यह फैसला कानूनी समुदाय के भीतर अपराध के प्रति कड़े रुख को दर्शाता है, विशेष रूप से बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में।

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