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राजस्थान में 15 मई तक वार्डों का पुनर्गठनः जयपुर, जोधपुर और कोटा में एक-एक नगर निगम

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24 न्यूज अपडेट. जयपुर। राजस्थान सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के बाद अब शहरी निकायों के पुनर्गठन की घोषणा की है। नगर निगम, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं की सीमाओं में बदलाव किया जाएगा। जयपुर, जोधपुर और कोटा में वर्तमान में दो-दो नगर निगम हैं, जिन्हें पुनः एक किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत 16 फरवरी से 15 मई तक वार्डों का पुनर्गठन किया जाएगा, जिसके बाद प्रदेश में निकाय चुनाव होंगे।
पुनर्गठन की प्रक्रिया
इससे पहले, स्वायत्त शासन विभाग ने 22 नवंबर को अधिसूचना जारी कर 1 दिसंबर से 1 मार्च तक वार्ड परिसीमन की घोषणा की थी, जिसे अंतिम समय में स्थगित कर दिया गया था। अब इस प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू किया जा रहा है। पिछले महीने मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन किया गया, जो स्वायत्त शासन विभाग द्वारा किए गए परिसीमन का अध्ययन कर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को रिपोर्ट सौंपेगी। इसके आधार पर सरकार राजस्थान की नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर निगमों के वार्ड परिसीमन में बदलाव को अंतिम रूप देगी।
वार्ड पुनर्गठन के मानक
स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक इंद्रजीत सिंह के अनुसार, वार्डों के पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया 2011 की जनसंख्या को आधार मानकर की जाएगी। प्रमुख मानक इस प्रकार हैंः
15,000 तक की आबादी परः 20 वार्ड बनाए जाएंगे।
25 लाख से 35 लाख की आबादी परः 150 वार्डों का गठन होगा।
इसके अलावा, राज्य सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगमों को पुनः एक करने की योजना भी शुरू कर दी है। जल्द ही इन तीनों शहरों में पिछले कांग्रेस शासन के दौरान बनाए गए दो-दो नगर निगमों को एक करने की आधिकारिक घोषणा की जाएगी।
प्रशासनिक प्रक्रिया और ट्रेनिंग कार्यक्रम
राज्य सरकार ने इस पुनर्गठन के लिए भर्ती सचिव अमृता चौधरी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। जिला स्तर पर कलेक्टर की देखरेख में नगर निकायों के आयुक्त और अधिशासी अधिकारी वार्ड परिसीमन के प्रस्ताव तैयार करेंगे। इसके तहत 15 फरवरी को प्रदेशभर में अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद, स्वायत्त शासन विभाग द्वारा प्रस्ताव यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा की अध्यक्षता में बनी मंत्रिमंडल उपसमिति को भेजा जाएगा। यह समिति समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
जनता को लाभ
पूर्व डीएलबी लीगल सेक्शन डायरेक्टर अशोक सिंह के अनुसार, वार्ड परिसीमन के बाद आम जनता को अधिक सुविधाएं मिलेंगी। वर्तमान परिसीमन से कई वार्डों की भौगोलिक स्थिति असंतुलित हो चुकी है, जिससे सफाई व्यवस्था और प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। नए परिसीमन से प्रत्येक वार्ड में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तैनात किए जा सकेंगे, जिससे शहर की सफाई व्यवस्था में सुधार होगा।
सरकार को आर्थिक लाभ
वार्डों के पुनर्गठन और नगर निगमों के एकीकरण से सरकार को आर्थिक रूप से भी लाभ होगा।
वार्डों की संख्या कम होने से प्रशासनिक खर्च घटेगा।
अतिरिक्त अधिकारी, कर्मचारी और प्रशासनिक भवनों की जरूरत नहीं रहेगी।
बचाई गई राशि को विकास कार्यों पर खर्च किया जा सकेगा।

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