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रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर में 24 अप्रैल तक प्रवेश बंदः श्रद्धालुओं का विरोध तेज, वन विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल

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24 न्यूज अपडेट, रणथंभौर। रणथंभौर फोर्ट स्थित ऐतिहासिक त्रिनेत्र गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर 24 अप्रैल तक रोक लगा दी गई है। यह निर्णय 16 अप्रैल को बाघिन के शावक द्वारा एक 7 वर्षीय बालक पर हमले के बाद लिया गया। वन विभाग द्वारा श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया, लेकिन इससे न केवल भक्तों की आस्था पर आघात हुआ है बल्कि स्थानीय लोगों का रोजगार भी प्रभावित हुआ है। इस फैसले के खिलाफ श्रद्धालुओं ने गणेश धाम गेट पर धरना शुरू कर दिया है।

क्या है मामला?
रणथंभौर किले में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। 16 अप्रैल को दर्शन करके लौट रहे 7 वर्षीय बालक कार्तिक सुमन पर बाघिन ऐरोहेड के फिमेल शावक ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस दुखद घटना के बाद ब्ब्थ् अनूप के आर ने एहतियातन 5 दिनों के लिए मंदिर मार्ग बंद करने का आदेश दिया। हालांकि, सोमवार को 5 दिन पूरे हो चुके थे, परंतु मंदिर मार्ग पर अब भी टाइगर का मूवमेंट बना हुआ है। साथ ही टाइगर टी-107 सुल्ताना ने उसी मार्ग पर शावकों को जन्म भी दिया है, जिससे बाघिन की सक्रियता और बढ़ गई है। ऐसे में सुरक्षा को देखते हुए मंदिर में प्रवेश की रोक 24 अप्रैल तक बढ़ा दी गई।
श्रद्धालुओं का विरोधकृधरना और आंदोलन की चेतावनी
मंगलवार को श्रद्धालुओं ने गणेश धाम गेट पर धरना शुरू कर दिया। उनका कहना है कि भगवान गणेश को शादी का पहला निमंत्रण नहीं दे पा रहे हैं, भंडारे नहीं हो पा रहे और धार्मिक परंपराएं बाधित हो रही हैं। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। खिलचीपुर निवासी अशोक मीणा ने कहा कि वन विभाग श्रद्धालुओं को रोक रहा है लेकिन पर्यटक वाहनों को अब भी अंदर प्रवेश दिया जा रहा है, जो विभाग के दोहरे रवैये को दर्शाता है।
500 लोगों के रोजगार पर संकट
रणथंभौर किले पर गाइडिंग, प्रसाद, फूल माला बेचने जैसे छोटे-मोटे व्यवसायों से जुड़ी लगभग 500 स्थानीय लोगों की आजीविका त्रिनेत्र गणेश मंदिर के श्रद्धालुओं पर निर्भर है। प्रवेश पर रोक के कारण इन सभी का रोजगार ठप हो गया है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि वन विभाग केवल टाइगर टूरिज्म को प्राथमिकता दे रहा है और आम श्रद्धालुओं की भावना तथा जीविका को अनदेखा कर रहा है।
रणथंभौर में बाघों की संख्या क्षमता से अधिक
रणथंभौर नेशनल पार्क वर्तमान में 80 बाघ-बाघिनों और शावकों का घर है, जबकि इसकी अधिकतम क्षमता 50 टाइगर मानी जाती है। यह घनत्व न केवल बाघों के बीच संघर्ष का कारण बन सकता है, बल्कि पार्क से लगे क्षेत्रों में मानव-पशु टकराव की आशंका भी बढ़ाता है।
पर्यटन से जुड़ा 600 करोड़ का राजस्व
रणथंभौर भारत के प्रमुख टाइगर रिजर्व में से एक है और यहां साल 2024 में करीब 600 करोड़ रुपये का राजस्व आने की उम्मीद है। ऐसे में टूरिज्म और धार्मिक गतिविधियों में संतुलन बनाना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है।

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