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जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बाघिन रानी ने पांच शावकों को दिया जन्म

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24 न्यूज अपडेट, जयपुर। जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से एक खुशखबरी आई है, जो बाघ संरक्षण और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। बाघिन रानी ने रविवार को पांच शावकों को जन्म दिया है। इस घटना के साथ ही पार्क में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है, और यह वन्यजीव प्रेमियों और पार्क प्रबंधन के लिए एक उत्साहजनक क्षण है।

शावकों का स्वास्थ्य और देखभाल:

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पांचों शावक फिलहाल पूरी तरह से स्वस्थ हैं और बाघिन रानी की देखभाल में हैं। शावकों में से चार का रंग गोल्डन है, जबकि एक शावक सफेद रंग का है। यह विशेष शावक अपनी दुर्लभ रंगत के कारण और भी खास बन गया है, क्योंकि सफेद बाघ अत्यंत दुर्लभ होते हैं। अधिकारियों ने यह भी बताया कि बाघिन रानी और उसके शावकों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। पार्क में CCTV कैमरे की व्यवस्था की गई है, ताकि शावकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और रानी के पालन-पोषण की प्रक्रिया पर नजर रखी जा सके।

बाघिन रानी के प्रेग्नेंसी और देखभाल की तैयारी:

बाघिन रानी के गर्भवती होने के संकेत मिलने के बाद से ही उसकी देखभाल और सुरक्षा के उपाय किए गए थे। इसके लिए एक विशेष केयर टेकर को नियुक्त किया गया था, जो बाघिन रानी के आराम और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे रहा था। बाघिन रानी के रहने के स्थान पर ठंडी हवा बनाए रखने के लिए कूलर की व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा, उसके आस-पास टाट की बोरियां लगाई गई थीं, जिन्हें समय-समय पर पानी से गीला किया जाता था, ताकि गर्मी के इस मौसम में बाघिन और उसके शावकों को राहत मिल सके।

बाघों का संरक्षण:

वन विभाग के DCF विजयपाल सिंह ने बताया कि बाघिन रानी की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कदम उठाए गए थे। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही थी, बाघिन रानी और उसके शावकों के लिए ठंडी जगह सुनिश्चित की गई थी। बाघों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे अत्यधिक गर्मी में शारीरिक रूप से कमजोर हो सकते हैं।

यह घटना न केवल नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि यह पूरे राजस्थान और देशभर में बाघों के संरक्षण के प्रयासों को प्रोत्साहन देने वाला भी है। बाघों की प्रजनन दर को बढ़ाने के लिए ऐसे घटनाएं आवश्यक हैं, जिससे इन खूबसूरत जीवों की संख्या में इजाफा हो सके और उनकी प्रजाति को संकट से बाहर निकाला जा सके।

पिछले वर्ष की घटना:

यह पहली बार नहीं है कि बाघिन रानी ने शावकों को जन्म दिया है। पिछले साल मई में भी उसने तीन शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से एक शावक का निधन हो गया था। हालांकि, बाकी दो शावक स्वस्थ हैं और नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। यह शावक अब पूरे पार्क का हिस्सा हैं और उनकी वृद्धि और विकास पर वन विभाग की नजर बनी हुई है।

पर्यटकों और समुदाय का समर्थन:

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बाघों का पालन-पोषण और संरक्षण सभी पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण है। इन शावकों के जन्म से न केवल पार्क की लोकप्रियता बढ़ेगी, बल्कि यह शावकों की देखभाल में जुड़ी टीम के लिए भी एक बड़ी सफलता होगी। वन्यजीवों के संरक्षण के लिए इस तरह के प्रयास न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थानीय समुदाय में जागरूकता फैलाने में भी मददगार होते हैं।

इस विशेष घटना ने न केवल बाघों के संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों को बढ़ावा दिया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि जैविक विविधता और वन्यजीवों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए लगातार कार्य करना बेहद जरूरी है।

भविष्य की योजनाएं:

वन विभाग का कहना है कि रानी के शावकों के विकास और उनकी सुरक्षा को लेकर विभिन्न कदम उठाए जाएंगे। शावकों को बड़ी उम्र में सुरक्षित वातावरण में बड़े होने के लिए वन विभाग के द्वारा उनके पालन-पोषण की प्रक्रिया पर गहन नजर रखी जाएगी। इससे बाघों की प्रजनन दर में वृद्धि हो सकती है और आने वाले समय में बाघों की संख्या में वृद्धि हो सकती है, जो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए लाभकारी होगा।

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