आरटीआई एक्टिविस्ट जयवंत भैरविया की पहल पर यूपी में योगी सरकार ने बोला वीआईपी कल्चर पर धावा, राजस्थान में कब भजनलाल सरकार करेगी ऐसी पहल
जयवंत भैरविया
24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। वैसे तो दुनिया में दुखों की कमी नहीं है लेकिन आजकल नेता और अफसर मिल कर राजस्थान की जनता को एक नया दुख दे रहे हैं और वो हैं वीआईपी कल्चर का दुख। इसमें भी लाल-नीली बत्ती में तेज भागते वाहन और हुटर बजा कर आमजन में भय पैदा करते वाहन ज्यादा पेरशानी का कारण बने हुए हैं। इतना होने पर भी इनका मन नहीं भरता तो नंबर प्लेट व वाहन की बॉडी पर बड़े-बड़े अक्षरों में पदनाम, विभाग का नाम या फिर राजस्थान या भारत सरकार लिख देते हैं। आम आदमी दूर से देख कर ही खौफ खा जाता है और सड़क से किनारे होने में ही भलाई समझता है। राजस्थान में भाजपा की डबल इंजन वाली सरकार में यह सब धड़ल्ले से चल रहा है लेकिन देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में इसी भाजपा के इंजन की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने लाल-नीली बत्ती व हुटर का मिसयूज करने वालों की बैंड बजा कर रख दी है। वहां पर ऐसे अफसरों व नेताओं पर धड़ाधड़ चलान बन रहे हैं। बकायदा एक नियमानवली बनाई गई है कि कौन हुटर व बत्ती का यूज कर सकता है कौन नहीं। लाल-नीली बत्ती का उपयोग भी ड्यूडी में आवश्यक कार्यों में ही किया जा सकता है। घर आने जाने और सैर सपाटे में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता। जबकि राजस्थान में इसका उलटा हो रहा है। उदयपुर, जयपुर, जोधपुर सहित अन्य बड़े शहरों में लोग इस कलच्र से तंग आ चुके हैं व छुटकारा पाना चाहते हैं। जब चाहे रोड रोक देते हैं, घंटों जाम में फंसा देते हैं। वीआईपी मजे से कार्यक्रम अटेंड करके निकल जाता है, घंटों तक लोग रास्तों पर माथापच्ची करते रहते हैं। यही नहीं भीड़भाड वाले इलाकों में भी वीआईपी के आने पर आम आदमी अचानक सड़क किनारे धकेल दिया जाता है या गलियों में बंद कर दिया जाता है। इनके साथ ही छुटभैये नेता और कुछ अफसर इसी वीआईपी कल्चर से जोंक की तरह से चिपक कर जनता को दुख दे रहे हैं।
भैरविया की पहल पर योगी सरकार ने बनाए चालान
उदयपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट व पत्रकार जयवंत भैरविया की पहल पर यूपी की योगी सरकार ने यूपी में वीआईपी कल्चर पर धावा बोल दिया व नियमावली तय की। नियम इतने कड़े बनाए गए हैं कि अब कोई भी आम आदमी वीआईपी की गाड़ी पर लगे स्टीकर को स्कैन करके पता कर सकता है कि इस वाहन पर बत्ती लगाना वैध है या अवैध। स्कैन करते ही नाम, विभाग का नाम और कार्य क्षेत्र में उपयोग की शर्तों का ब्योरा आ जाता है। उदयपुर निवासी पत्रकार और आर टी आई एक्टिविस्ट जयवंत भेरविया का अक्सर निजी कार्यो से लखनऊ आना जाना लगा रहता है, उनको लखनऊ की सड़को पर चलने वाले हर पाँचवा वाहन वी आई पी संस्कृति से को परिलक्षित करता दिखाई दिया। इस पर लखनऊ शहर में अधिकारियों, नेताओं, विधायको ,सांसदों की वी आई पी संस्कृति से आम जनता को होने वाली परेशानियों को देखते हुए जयवंत ने 50 से अधिक आरटीआई विभिन्न विभागों में लगाई। ट्विटर पर उत्तर प्रदेश सरकार को टैग किया और सूचनाएं एकत्रित कर इस विषय मे उच्च न्यायालय के दिए गए निर्णयों से उत्तर प्रदेश सरकार को अवगत कराया। इस परयोगी सरकार ने एक्शन लेते हुए राज्य के वी आई पी कल्चर पर धावा बोल दिया। लखनऊ शहर में वाहनों पर अवैध हूटर, सायरन एवं लाल नीली बत्ती को हटवाने का काम शुरू हुआ जो जनवरी से अब तक जारी है। इसमें हजारों चालान बन .चुके हैं।
राजस्थान में लालबत्ती और हूटर से प्यार, करते है हटाने से इनकार
राजस्थान में आज भी वीआईपी कल्चर चरम पर है। वाहनों की नम्बर प्लेट के साथ अतिरिक्त प्लेट पर शक्ति प्रदर्शन, वाहन की छत पर लाल नीली बत्ती और वाहनों के आगे पीछे राजस्थान सरकार और भारत सरकार न लिखा हों तो फायदा ही क्या सरकारी नौकरी और राजनेता होने का। जयवंत भेरविया ने बताया कि वे निरन्तर प्रयासरत हैं लेकिन राजस्थान के परिवहन विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा आर टी आई के अंतर्गत दिए गए जवाबों से नहीं लगता कि राजस्थान में वी आई पी कल्चर को कोई खत्म करना चाहता है। आर टी आई के अंतर्गत कोई भी सरकारी विभाग अपने वाहनों पर लगाई जा रही लाल नीली बत्ती, हूटर से सम्बंधित नियमां / आदेशों और इन्हें इस्तेमाल करने वाले अधिकारियों के नाम बताने की जगह सूचना के उपलब्ध होने से ही इनकार कर देता है। दूसरी और आर टी ओ विभाग का कहना है कि उन्होंने आज तक वी आई पी कल्चर पर न तो कोई कार्यवाही की है और न ही ऐसे कोई आदेश जारी किए है।
इन पर लागू नहीं होते कोई ट्रैफिक रूल
राजस्थान में वीआईपी वाहनों पर लाल, नीली बत्ती व हुटर पर कोई ट्रैफिक रूल लागू नहीं होते। पब्लिक जाम में फंसी बिलबिलाती रह जाती है मगर इनको रास्ता क्लियर मिलना चाहिए। चाहे जिस स्पीड पर भागो, चाहे जहां पर पार्किंग करो, कोई फर्क नहीं पडता है। कोई भी रूल इन पर लागू नहीं होता है। पीछे से काफिला अचानक आ जाता है तो आगे चल रहे वाहनों को इन लाड साहब को रास्ता देना ही पड़ता है हालांकि ऐसा कोई नियम ही नहीं है। अगर नहीं हटे तो धोंस मारने व पुलिस व प्रशासन का जोर दिखाने का मौका मिल जाता है। यह सब देख कर लोग अचानक अपने वाहनों को किनारे पर लगाने में ही भलाई समझते हैं। कई बार तो दुपहिया वाहनों पर बच्चों को लेकर जा रहे दंपती ऐसे काफिलों के कारण हडबडी में वाहने किनारे लगाने के चक्कर में गिरकर चोटिल हो चुके हैं। पिछले साल शिलपग्राम में एक अधिकारी भीड भरे माहौल में अपनी कार से मेला घूम रही थी व दाएं बाएं आगे पीछे पुलिस के गार्ड चल रहे थे व पब्लिक को दूर हटा रहे थे जबकि मेले में पैर रखने तक की जगह नहीं थी।
पदसूचक नाम भी नहीं लिख सकते
वी आई पी दिखने और बनने की चाह एक ऐसा नशा है जो किसी भी अन्य नशे से ज्यादा असरदार है,नेताओं और अधिकारियों के दिमाग पर इस नशे का असर आजीवन 24 घण्टे सवार रहता है। यही कारण है कि वर्तमान या पूर्व मंत्री संत्री, सांसद विद्यायक या फिर किसी पार्टी के छुटभैया नेता, इनमें से अधिकांश के वाहनो की नम्बर प्लेट पर लाल पट्टी के साथ एक अतिरिक्त प्लेट पर पदसूचक नाम व विभाग के नाम लिखा जाना आम बात है, राजस्थान सरकार , भारत सरकार जैसे शब्द ऐसे लिखे जाते है जैसे पूरी की पूरी सरकार चलाने की जिम्मेदारी उसी व्यक्ति की हो। ऐसे ही अधिकारी भी कम नही, जो धौंस वो अपने ऑफिस में अधीनस्थों पर मारते है वही धौंस वो शहर भर को दिखाना चाहते है कि वो विशिष्ठ जन हैं और सड़कों पर भी उनके वाहनो को किसी ट्रैफिक नियमों की पालना की जरूरत नही , इसीलिए वे अपने लाल नीली बत्ती और सायरन लगे वाहनो में तेज रफ्तार से घूमते है। सड़क परिवहन औए राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दिनाँक 23 जून 2017 को निकाली गई अधिसूचना में भाग द्यद्य खण्ड 3 व उपखंड 1 के बिंदु संख्या 36 के अनुसार रजिस्ट्रीकृत प्लेटो पर रजिस्ट्रेशन नम्बर के अतिरिक्त कोई भी अक्षर, शब्द, आकृति, चित्र या प्रतीक चिन्ह गढ़े अथवा लिखें नही जा सकते।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय का वी आई पी कल्चर को लेकर आदेश
जनहित याचिका संख्या 34132/2013 आरूषी बाजपेयी अन्य बनाम उ०प्र० राज्य व अन्य में मा० उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा दिनाँक 21.06.2013 को लाल-नीली बत्ती, हूटर सायरन, पार्टी झण्टे साइन बोर्ड, प्रतीक अथवा शब्दों के, जो वाहन के सम्बन्धित विभाग अथवा संस्थान आदि को प्रकट करता हो, मोटर वाहन अधिनियम एवं नियम के अन्तर्गत अवैध प्रयोग को तत्काल रोकने एंव उतारने के आदेश दिये गये है तथा मा० उच्च न्यायालय द्वारा मोटरयान अधिनियम की धारा 177 के अन्तर्गत कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये गये है। उ०प्र० शासन की अधिसूचना दिनोंक 30.07. 2020 में धारा 177 के अन्तर्गत प्रथम बार अपराध करने पर रू० 500/- तथा दूसरी बार या अनुवर्ती अपराध करने पर रू० 1500/- दण्ड का प्राविधान है।
यहाँ ये भी उल्लेखनीय है कि परिवहन विभाग, उ०प्र० शासन की अधिसूचना संख्या 353/30-04-2014-8 (1) 13 दिनांक 10.03. 2023 द्वारा निम्नलिखित यथावर्गीकृत यानों पर हूटर (हार्न के प्रयोग की अनुज्ञा दी गई है-एम्बुलेन्स या अग्निशमन यान, नाश रक्षण के उददेश्य से प्रयुक्त यान, निर्माण उपस्कर यान, निर्माण उपस्कर यान, पुलिस अधिकारियों तथा मोटर विभाग के ऽ अधिकारियों द्वारा अपने कार्य के दौरान (केवल आपातकाल में)।

