24 न्यूज अपडेट, दिल्ली ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि रिलीज हुई फिल्म में उस सामग्री को शामिल न करना जो फिल्म के प्रमोशनल ट्रेलर का हिस्सा थी, फिल्म निर्माताओं की ओर से उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत ’सेवा में कमी’ नहीं है। मूवी ट्रेलर कोई वादा नहीं, अगर ट्रेलर में दिखाई गई सामग्री को फिल्म में शामिल नहीं किया गया तो निर्माता जिम्मेदार नहीं हैं जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने इस सवाल पर फैसला किया कि क्या मनोरंजन सेवा के प्रावधान में कोई ’कमी’ है, जिसका उपभोक्ता ने टिकट खरीदकर भुगतान करके लाभ उठाया है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि सेवा में ’कमी’ है क्योंकि फिल्म के ट्रेलर में जो दिखाया गया वह फिल्म का हिस्सा नहीं था । इससे उसके परिजना असहज हो गए व मनोवैज्ञानिक रूप से परेशान हो गए। कोर्ट ने कहा कि “कोई प्रमोशनल ट्रेलर एकतरफा होता है। इसका उद्देश्य केवल दर्शकों को फिल्म का टिकट खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना है, जो कि फिल्म से एक स्वतंत्र लेनदेन और अनुबंध है। एक प्रमोशनल ट्रेलर अपने आप में कोई प्रस्ताव नहीं है और न ही ऐसा करने का इरादा रखता है और न ही एक संविदात्मक संबंध बना सकता है क्योंकि प्रमोशनल ट्रेलर एक प्रस्ताव नहीं है, इसलिए इसके वादा बनने की कोई संभावना नहीं है, ट्रेलर में शामिल गाने को फिल्म में चलाया जाएगा और यदि नहीं चलाया जाएगा तो इस आशय का अनुबंध तो बिल्कुल भी नहीं होगा और यह सेवा में कमी मानी जाएगी।“ आपको बता दें कि यशराज फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर सेयाचिका दायर की गई थी। वाईआरएफ ने एनसीडीआरसी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका आई थी जिसमें जिसमें ट्रेलर में दिखाए जाने के बावजूद फिल्म ’फैन’ में ’जबरा फैन’ गाने को शामिल नहीं किया गया था। इस पर वाईआरएफ की ओर से ’सेवाओं की कमी’ पाई गई थी और निर्देशित किया कि वाईआरएफ शिकायतकर्ता को 15,000/- रुपये का रुपये के मुआवजे का आदेश हुआ था।
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