उदयपुर। हाईकोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए यूडीए अवैध रूप से जमीन माफियाओं के दबाव में आकर शहर के फूटा तालाब में सड़क बना रहा है। विरोध करने पर मौके पर मौजूद लोगों को बरगलाने के लिए मास्टर प्लान का हवाला दिया जा रहा है लेकिन खुद यूडीए ने इस तालाब का सर्वे करवा कर यह तय कर रखा है कि तालाब पेटे में कोई निर्माण नहीं होगा। यही नहीं इसी यूडीए ने अन्य सरकारी एजेंसियों को आदेश दे रखे हैं कि तालाब पेटे गोविंदनगर में जो अवैध निर्माण हो गए हैं वे ध्वस्त किए जाएं। वहां पर बिजली के जो खंभे लगाए गए हैं वे तत्काल प्रभाव से हटवाए जाएं। जमीन माफिया और नेताओं का नेक्सस का जादू यूडीए अधिकारियों के ऐसा सिर चढ़कर बोल रहा है कि ना तो डबल इंजन की सरकार का डर है ना हाईकोर्ट के आदेश की परवाह। जनता का पैसा फूंक कर सड़क निर्माण हो रहा है। दो दिन पहले यूडीए ने वहां पर सड़क निर्माण आरंभ किया तो लोगों ने पूछा कि किस आदेश के तहत हो रहा है। इस पर बताया गया कि मास्टर प्लान के अनुसार है। जबकि 2 अगस्त 2004 को राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अब्दुल रहमान बनाम सरकार की जनहित याचिका के बाद पूरे राजस्थान में यह स्पष्ट हो चुका है कि किसी भी वाटरबॉडी के एफटीएल क्षेत्र तक कोई भी निर्माण नहीं हो सकता है। यदि होता है तो वह माननीय न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। प्रदेश के जलस्रोतों की 1947 की स्थिति बहाल भी की जाए। इसी आदेश की अनुपालना में आज से लगभग 20 साल पहले इसी यूडीए ने सर्वे करवा कर इसी फूटा तालाब पर मोटाम लगाए थे व बैठक करके तय किया था कि अतिक्रमण हटाएंगे व आगे भी नहीं होने दिए जाएंगे। मास्टर प्लान में रखी गई सड़क भी जो भराव क्षेत्र में आ रही थी, उसे भी निरस्त कर दिया गया। इसके बाद लोगों ने भयंकर बाढ़ का मंजर देखा जिसमें फूटा तालाब में कई मकान पानी में डूब गए थे। त्राहिमाम मच गया था। तब तय हुआ कि तालाब को तालाब ही रहने दिया जाएगा। लेकिन वक्त बीतने के साथ ही तालाब के हत्यारे सक्रिय हुए, उनको जमीन माफियाओं और कुछ महाभ्रष्ट अफसरों-पटवारियों आदि का लगातार और निरंतर साथ व शह मिली। तालाब पेटे में निर्माण होते, गिरते और फिर बनने रहे। अब स्थिति यह हो गई है कि 2005 के बाद यहां कई मकान बन चुके हैं व लोगों ने अपने स्तर पर अधिकारियों को रिश्वत देकर व नेताओं को आर्थिक रूप से खुश करके कई सुविधाएं जुटा लीं। अब केवल सड़क की जरूरत है तो एक बार फिर कुछ लोगों के दबाव में आकर यूडीए उदयपुर की जनता का टेक्स का पैसा बर्बाद करते हुए तालाब में सड़क बनाने पर तुल गई है। पिछले दो दिन ये यहां पर सड़क बनाने का काम चल रहा है। सवाल उठ रहा है कि यह आदेश किसने, क्यों, किसके कहने पर और किसके दबाव में आकर दिया है। तालाब में हुए निर्माणों को कोर्ट के आदेशानुसार यथास्थिति पर लाना तो दूर की कौड़ी है, यहां पर तो खुद कार्रवाई करने वाली एजेंसी ढाल बनकर सुविधाएं जुटाने पर तुल गई है। उन्हें स्थानीय प्रशासन की शह है, राजनीतिक वरद हस्त है इस बात में शक की अब कोई गुंजाइश ही नहीं बची है। ओैर तो और मौके पर विरोध करने वालों को धमकाने के लिए भी अलग से व्यवस्था की गई है ताकि विरोध की ज्यादा आवाजें बुलंद नहीं हो सकें। इनका एक ही मकसद है कि किसी भी तरह से यूडीए के खर्चे से सड़क बन जाए। मजे की बात ये है कि मिलीभगत की पूरी चेन यहां पर नहीं, जयपुर तक और सत्ता व विपक्ष तक जाती है। जागरूक लोग कई-कई बार जन सुनवाइयों में लिख कर दे चुके हैं लेकिन ना तो विधायक की बात मानी जा रही है ना ही सांसद की। शिकायतों के साथ कभी जिला स्तरीय तो कभी राज्य स्तरीय फुटबॉल खेला जा रहा है।
ऐसे में 24 न्यूज अपडेट की ओर से यह आह्वान किया जा रहा है कि गोविंदनगर-फूटा तालाब में अगर आप प्लॉट या मकान खरीद रहे हैं तो हो जाइये सावधान। आपके साथ फ्रॉड हो सकता है। सस्ते में प्लॉट के चक्कर में कई लोग अपने जीवन भर की कमाई गंवा चुके हैं। जमीन माफिया-नेता और अफसरों का नेक्सस लगातार यहां पर प्लॉट, मकानों की खरीद व बिक्री कर रहा है। लोगों को धमका कर, नोटिस देकर यहां से विस्थापित करने का खेल खेल रहा है ताकि मोटा पैसा बनाया जा सके। उनके बहकावे में नहीं आएं क्योंकि एफटीएल के अंदर निर्माण किसी हाल में नहीं किया जा सकता। यदि इस तालाब की लगातार मॉनिटरिंग की जाती और कोई डेटाबेस बनता तो स्पष्ट हो जाता कि तालाब का नाम जरूर फूटा है मगर किस्मत पटवारियों, अफसरों व जमीन माफिया की चमक गई है। किस-किस पटवारी के कार्यभार वाले कालखंड में कितना काला धन यहां पर कूटा गया यह चर्चा सबकी जुंबां पर है। कहते हैं कि कोई परमानेंट नहीं टिकता, आते हैं, पैसा बनाते हैं और निकल जाते हैं। पटवारियों पर आरोप इसलिए है क्योंकि उनकी जिम्मेदारी है अवैध निर्माण रोकने की। यदि नहीं रूक रहे हैं तो साफ-साफ है कि मिलीभगत हो रही है। उदयपुर विकास प्राधिकरण के कमिश्नर राहुल जैन से हमने इस बारे में बात करनी चाही तो उन्होंने ऑफिस ऑवर्स होते हुए भी मीटिंग में व्यस्तता बता दी। इंतजार के बाद भी नहीं मिले। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि फूटा तालाब में जो आनन-फानन में सड़क बनाने का खेल हो रहा है उसमें उपरी स्तर तक रजामंदी का खेल चल रहा है। अब सवाल उठता है कि सडक निर्माण पर क्या तहसीलदार के खिलाफ कंटेम्प्ट का मामला बन सकता है। यदि हाईकोर्ट के अब्दुल रहमान के आदेश को मानें तो ऐसा संभव है। जिन 188 लोगों को बेदखली के आदेश की लिस्ट जारी की गई है उन पर कोई कार्रवाई नहीं करना, उनके लिए सड़कें बनवा देना, साफ बता रहा है कि यहां पर आगे नियमों में तोड मरोड करके कोई रास्ता निकालने का मानस है। यह कितना कानूनी होगा व कोर्ट में टिक पाएगा या नहीं लेकिन मौका स्थिति से साफ हो रहा है कि बहुत बडा खेल चल रहा है। कच्ची सड़क को धीरे-धीरे पूरी बनाने, लगातार आगे भराव डालते जाना जमीन माफियाओं का आजमाया हुआ नुस्खा है जिस पर अब यूडीए भी मुहर लगाता दिख रहा है। जागरूक लोगों का कहना है कि अफसर अपनी कारगुजारियों से बाज नहीं आए तो कानून की चौखट पर इस मामले में आने वाले दिनों में जवाब देना उन्हें बहुत भारी पड़ सकता है। इस मामले की पड़ताल अब 24 न्यूज अपडेट के माध्यम से लगातार जारी रहेगी। जनहित के इस मसले पर हमारी पहली खबर पर अपनी प्रतिक्रिया हमें जरूर भेजें।
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