24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। जब से उदयपुर में बुलडोजर जस्टिस हुआ है तब से उस पर पूरे देश में चर्चा हो रही है। कुछ लोग इससे खुश हैं तो कुछ सवाल उठा रहे हैं कि किराए का घर क्यों गिरा दिया। अगर अतिक्रमण भी था तो 40 साल तक वन विभाग क्यों गहरी नींद में सोया हुआ था। सैंकड़ों मकानों की बस्ती ही यदि अवैध है तो उसमें से एक मकान किए आधार पर चुनकर गिराया गया। ऐसे कई सवाल लोगों की जुबां पर थे। लेकिन देवराज हत्याकांड के बाद उपजे असंतोष की आंच को कम करने के लिए बुलडोजर जस्टिस उदयपुर में ऑन डिमांड काम में लिया गया। सवाल ये है कि क्या यह नजीर बन जाएगा, बार-बार काम में लिया जाएगा। सब मामलों में होगा या केवल सलेक्टेड मामलों में यह काम में लिया जाएगा? अब ये सभी सवाल बहुत बड़े होकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बुलडोजर मामलों की सुनवाई शुरू हो गई। है व इसमें उदयपुर के बुलडोजर जस्टिस की भी खूब चर्चा हो रही है।
माननीय जस्टिस गवई और माननीय जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। जमीयत उलेमा ए हिंद ने एक याचिका दाखिल कर सरकारों द्वारा आरोपियों के घरों पर मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान के उदयपुर में एक हत्याकांड मामले में बुलडोजर कार्रवाइयों का हवाला देते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया है। ‘बुलडोजर जस्टिस’ की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से शीघ्र सुनवाई की अपील की।
आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई म्युनिसिपल कानून के अनुसार ही थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि अवैध कब्जे के मामलों में म्युनिसिपल संस्थाओं द्वारा नोटिस दिए जाने के बाद ही आगे की कार्रवाई की गई है। इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने सरकार से विस्तार से जवाब मांगा। कोर्ट ने नोटिस, कार्रवाई और अन्य आरोपों पर सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि केवल आरोपी होने के आधार पर किसी का घर गिराना उचित नहीं है। शासन और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि कोई दोषी साबित भी होता है, तो भी उसके घर को गिराना उचित नहीं है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अपराध में दोषी पाए जाने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, वे अवैध कब्जे या निर्माण के कारण निशाने पर थे, न कि अपराध के आरोप के कारण।
इधर, जहांगीरपुर मामले की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने की। वकील फरूख रशीद की इस याचिका में कहा गया कि राज्य सरकारें हाशिए पर मौजूद लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ दमनकारी कार्रवाई कर उनके घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर चला रही हैं, जिससे उन्हें कानूनी उपाय का मौका नहीं मिल रहा है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की फरवरी 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2022 से जून 2023 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्य प्रदेश और यूपी में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 128 संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया। मध्य प्रदेश में आरोपी के पिता की संपत्ति पर बुलडोजर चलाया गया, और मुरादाबाद तथा बरेली में भी संपत्तियां ध्वस्त की गईं। हाल में, राजस्थान के उदयपुर में पिता का किराये का घर बुलडोजर से गिरा दिया गया, बेटे ने सहपाठी की चाकू से हत्या कर दी थी।
जल्द बनाए जाएंगे दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में गाइडलाइन बनाए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद हम इस मामले में दिशा-निर्देश जारी करेंगे, जो पूरे देश भर में लागू होगा इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से सुझाव मांगा है। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों का सुझाव आने दीजिए, हम राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी करेंगे। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तारीख तय की गई है।
याचिकाकर्ता के वकील ने यह कहा
याचिकाकर्ता के वकील फरुख रशीद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बड़ा स्ट्रॉन्ग व्यू लिया हैद्ध साथ ही दोनों पार्टियों से सुझाव मांगा है कि डेमोलेशन कैसे किया जाए. जिनमें कानून का पालन हो और उनको नोटिस दिया जाए. टाइम फ्रेम दिया जाए रिप्लाई देने का. इसके बाद ऑर्डर पास हो. अवैध निर्माण हो तो उनको घर खाली करने का पूरा टाइम दिया जाए. ये नहीं कि एफआईआर होती है और घर गिरा दिया जाता है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.