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बाबा को मिली पेशी से छूट, अफसरों से सुप्रीम कोर्ट बोला- जब तक कोर्ट ने जगाया नहीं, आप अपनी शक्तियां भूले हुए थे, आपको अचानक अपनी जिम्मेदारियों और ताकत का अहसास हो गया, चलो अच्छा है

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24 न्यूज अपडेट. नई दिल्ली। पंतंजलि के विज्ञापन केस की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अखबार नहीं लाने पर पतंजलि को फटकार लगाई और कहा कि ापके वकील बहुत होशियार हैं। आज बाबा रामदेव और बालकृष्ण चौथी बार कोर्ट के सामने पेश हुए। उन पर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मामला चल रहा हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजति के 2022 में दिए विज्ञापन में एलोपैथी पर गलतफहमी फैलाने का आरोप लगाया है। भ्रामक विज्ञापन केस में आज जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच में पतंजलि के पक्ष को वकील मुकुल रोहतगी ने रखा तो उत्तराखंड सरकार की ओर से ध्रुव मेहता पेश हुए। कोर्ट ने पतंजलि के वकील से पूछा कि माफीनामा पीडीएफ में क्यों है। रजिस्ट्री को इसे स्कैन करके फाइल में क्यों रखना पड़ा? आपने ई-फाइलिंग की है। ये हमारे आदेश का पालन नहीं है। हमने कहा था, जैसा माफीनामा है, वैसा फाइल करो। कोर्ट ने कहा- फिजिकली माफीनामा देने का मतलब यह नहीं है कि आप पीडीएफ फाइल दें। आपको पता है कि हमने क्या मांगा था। वकील साहब बताइए हमने क्या मांगा था? इस पर पतंजलि ने कहा- जैसा बताया था, वैसा ही फॉरमेट है। इस पर जस्टिस अमानतुल्लाह ने कहा- यहां बहुत ज्यादा कम्युनिकेशन गैप है। हमें ऐतराज है। ये जानबूझकर किया जा रहा है। आपके वकील ज्यादा स्मार्ट है। हमें लग रहा है कि आपके वकील क्लाइंट को ज्यादा बार कोर्ट में पेश करना चाहते हैं, उतना हम नहीं चाहते हैं। यही लग रहा है। पूरा न्यूज पेपर फाइल किया जाना था। सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के वकील से प्रत्येक अखबार के मूल पृष्ठ को रिकॉर्ड में दाखिल करने को कहा जिसमें सार्वजनिक माफी जारी की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख के लिए योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी है।
इधर, कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की भी खिंचाई की व कहा पूछा कि स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने क्या किया। इस पर बताया गया कि की उत्तराखंड सरकार नेएक एफिडेविट फाइल किया गया है। 4 कदम उठाए गए हैं। एफिडेविट यहां पढ़ा जा सकता है। अथॉरिटी ने 15 अप्रैल को दिव्य और पतंजलि को लाइसेंस सस्पेंड करने का ऑर्डर जारी किया। जस्टिस हिमा कोहली ने पूछा कि यह सस्पेंशन कितने दिन रहेगा? उत्तराखंड सरकार ने कहा कि 3 महीने, लेकिन वो अपील कर सकते हैं। जस्टिस कोहली ने इस पर कहा कि असल बात यह है कि आपको अगर कदम उठाना है तो आपको बिजली की तेजी दिखानी चाहिए। इसे बहुत पहले किया जाना था। जस्टिस अमानतुल्लाह बोले कि आपने हमारे आदेश का उल्लंघन किया। पूरे कार्यकाल का स्पष्टीकरण कहां है? हमने पिछली सुनवाई में ही मांगा था। उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हम दूसरे मैन्युफैक्चरर्स के खिलाफ भी एक्शन ले रहे हैं। हमने निर्देश जारी किए हैं। इस पर जज ने कहा कि अचानक अफसर को अपनी जिम्मेदारियों और ताकत का अहसास हो गया। जस्टिस कोहली बोलीं कि जब तक कोर्ट ने आपको जगाया नहीं, आप अपनी शक्तियां भूले हुए थे। कोई बात नहीं। पर इससे पहले के अफसरों के बारे में क्या स्पष्टीकरण है। आपने 9 महीने तक क्या किया?

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