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बड़गांव में गवरी का समापन 26 को, 25 को गड़ावण: हाथी पर सवार होकर आएगी मां गौरज्या

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24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर।
मेवाड़ में गवरी की धूम अब थमने को है। शहर से सटे बड़गांव में 26 सितंबर गुरूवार को वलावण के साथ ही गवरी का समापन होगा। इससे पहले 25 सितंबर बुधवार को गड़ावण रस्म होगी।

बड़गांव में बुधवार को गड़ावण के तहत गवरी दल और ग्रामवासी शोभायात्रा के रूप में गांव के कुम्हार के घर जाकर मिट्टी के हाथी पर सवार गौरज्या माता की प्रतिमा लाएंगे। गौरज्या माता की प्रतिमा को गांव के आशापुरा माता मंदिर पर विराजमान किया जाएगा और रात भर माताजी की सेवा होगी। रात में गवरी नृत्य भी होगा।

26 सितंबर गुरूवार को वलावण के दिन गांव में गवरी नृत्य होगा और दोपहर बाद शुभ मुहूर्त में गौरज्या माता की गांव में शोभायात्रा निकलेगी। हाथी पर सवार गौरज्या माता की सवारी गांव के मुख्य मार्ग से होते हुए  तय स्थान पर पहुंचेगी और यहां पूजा अर्चना के बाद वलावण रस्म के तहत हाथी पर सवार गौरज्या माता की प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाएगा। गांव में ज्वारा विसर्जन भी होगा।

गांव में दो दिन रहेगा त्यौहार सा माहौल

गड़ावण और वलावण रस्म के चलते गवरी दल में शामिल आदिवासियों के रिश्तेदारों के  साथ ही बहन बेटियों का भी बुधवार सुबह से ही बड़गांव पहुंचना शुरू हो जाएगा। ऐसे में बुधवार  और  गुरूवार को बड़गांव में त्यौहार सा माहौल रहेगा। पूरे गांव में भी धार्मिक उत्साह का माहौल बना हुआ है।

गवरी गड़ावण कार्यक्रम की शुरुवात समापन से कुछ दिन पूर्व से ही हो जाती है। मान्यता के अनुसार गांव के मौतबीर पंच पटेल गवरी कलाकारों के साथ शुभ मुहूर्त पर ढोल नगाड़ों की थाप पर गोरज्या माता प्रतिमा बनाने वाले प्रजापत परिवार के घर जाकर मिट्टी के बर्तन बनाने वाले चाक की पूजा अर्चना कर गोरज्या माता की प्रतिमा गड़ने ;बनानेद्ध का निमंत्रण देते है। इसके बाद मूर्ति बनाने वाला प्रजापत परिवार के निमंत्रण पश्चात उपवास रखकर चाक के पास अखंड ज्योत जलाकर तालाब की काली मिट्टी से गोरज्या माता की प्रतिमा का निर्माण करते हुए माता जी को श्रृंगार धारण करवाते हे। इसके बाद समस्त ग्रामवासी गड़ावण पर शुभ मुहूर्त में प्रजापत द्वारा बनाई मूर्ति को लेने उसके घर पहुचते हे। इसके बाद एक शौभायात्रा के रूप में गोरज्या माता को आयोजन स्थल के मंदिर पर लाकर बिराजित करवाया जाता है। गांव के पंच पटेलो द्वारा दो दिन गोरज्या माता की लगातार सेवा पूजा अर्चना की जाती है तो गवरी कलाकारों द्वारा दिन रात लगातार गवरी का मंचन किया जाता है।

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