24 न्यूज अपडेट उदयपुर। उदयपुर के पेसिफिक मेडिकल कॉलेज को करोड़ों का झटका लगा है। नीट यूजी से एडमिशन का वक्त लगभग बीता जा रहा है और हाईकोर्ट की डबल बैंच ने 100 सीटें और बढ़ाने के सिंगल बेंच के फैसले को पलट दिया है व रोक लगा दी है। आपको बता दें कि किसी भी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एक सीट का मतलब जनता की भाषा में लगभग 1 करोड़ का होता है। इस धन को प्रावइेट मेडिकल कॉलेज किस सिस्टमैटिक अंदाज में प्राप्त करते हैं यह भी किसी से छिपा हुआ नहीं है। ऐसे में कोर्ट के इस निर्णय से पेसिफिक समूह को करोड़ों का फटका लगा है।
राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश चन्द्रशेखर व न्यायाधीश रेखा बोराणा की खंडपीठ ने नेशनल मेडिकल कमीशन की अपील पर सुनवाई करते हुए उदयपुर के पेसिफिक मेडिकल कॉलेज को 100 सीट बढ़ाने के आदेश पर रोक लगा दी है। नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर से दायर अपील पर विस्तृत बहस सुनकर पेसिफिक मेडिकल कॉलेज, उदयपुर को एम.बी.बी.एस. की 150 से 250 सीट करने के आदेश पर रोक लगा दी है। एनएमसी की ओर सेएडिशनल सॉलिसीटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने कोर्ट को बताया कि पेसिफिक कॉलेज को पूर्व में एम.बी.बी.एस. की 150 सीट आवंटित की गई थी परन्तु आधारभूत संरचना एवं उचित फेकल्टी ना होने के कारण सीट घटाने का नोटिस दिया गया। इस पर सुनवाई करते हुए पहले से ही अध्ययनरत विधार्थियों के भविष्य को देखते हुए सीट कम ना करके 6 लाख रूपयों का दण्ड कॉलेज पर लगाया गया था। इस मामले में पेसिफिक की ओर से एकलपीठ में की गई अपील में कहा गया था कि एनएमसी ने बिना तथ्यों की उचित जांच के ही सीटें बढाने से इनकार कर दिया व रिपोर्ट भी उचित नहीं दी है। इस पर एकलपीठ की ओर से सीटें बढ़ाने के पक्ष में फैसला आया था। लेकिन डबल बैंच ने फैसले को पलट दिया व एनएमसी की ओरसे पेश किए गए पक्ष को सही माना जिसमें कहा गया कि जब 150 सीटों जितना आधारभूत ढांचा ही नहीं है तो फिर 100सीटें और बढाने का क्या औचित्य है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों की नजीर भी दी गई।
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