
24 न्यूज अपडेट उदयपुर। झालरिया पंचायत के पापड़िया गांव में बिला नाम की भूमि पर बना मकान प्रशासन ने तीन दिन पहले गिरा दिया।इस मकान में पिछले कई सालों से रह रहे 11 सदस्यीय परिवार को अब खुले में खेत पर रहने को मजबूर होना पड़ रहा है।परिवार के मुखिया कैलाश रावत का कहना है कि उन्होंने प्रशासन से कुछ दिनों की मोहलत मांगी थी, लेकिन प्रशासन ने उनकी बात नहीं मानी और पूरा मकान गिरा दिया। कैलाश रावत के माता-पिता, भाई और अन्य परिजन भी इसी मकान में रहते थे बारिश के मौसम में उन्हें खुले में रहने की मजबूरी है। गांव के ही बालू सिंह का कहना है कि |लक्ष्मण सिंह का परिवार कई सालों से इसी खेत पर मकान बनाकर रह रहा था। बालू सिंह का
पापड़िया गांव में तीन दिन से खेत में खुले में रह रहा परिवार।कहना है कि अगर मकान हटाना ही था तो बारिश के मौसम में नहीं, गर्मी में हटाया जा सकता था।ग्रामीणों का कहना है कि लक्ष्मण सिंह रावत के दो बेटे और पूरा परिवार इसी मकान में रह रहा था।आसींद के तहसीलदार भंवर लाल सेन का कहना है कि इस
परिवार को कई बार नोटिस के माध्यम से अवगत कराया गया था,लेकिन परिवार ने मकान नहीं हटाया।उन्होंने कहा कि बिला नाम की भूमि पर बना मकान अवैध था,इसलिए इसे हटाया गया।सरपंच जगदीश कुमावत का कहना है कि वर्षों से रह रहे इस
परिवार को कुछ दिनों की मोहलत दी जानी चाहिए थी या कम से कम बारिश का मौसम निकलने के बाद मकान हटाया जाना चाहिए था।उन्होंने कहा कि प्रशासन ने गलत तरीके से कार्रवाई की है।जिला कलेक्टर, सरकार से अनुरोध है कि इस कारवाही को निष्पक्ष व उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर जांच शुरू कर मुझ पीड़ित परिवार को निष्पक्ष न्याय दिया जाए जिस तरह से कारवाही की गई इतनी जल्दबाजी में कारवाही से साबित होता है जैसे किसी खास मक़सद से या किसी निजी व्यक्ति को फायदा पहुंचाया गया हों मकान को बरसात के दिनो में तुरन्त प्रभाव से गिरा दिया गया मुझ पीड़ित परिवार को बेसहारा कर दिया जबकि निजी जमीन को प्रशासन द्वारा बिला नाम दिया जबकि मेने सारे कागज दिखा दिए सभी को जूठा साबित करते हुए कारवाही की गई इस घटना से मेरे परिवार में तनाव,भय का माहौल है।
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