24 News Update ग्वालियर। जितेन्द्र सिंह की ओर से राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र के खिलाफ दर्ज किए गए श्रम संबंधी प्रकरण में उच्चतम न्यायालय से ऐतिहासिक निर्णय आने से पत्रकारिता जगत में हड़कंप मच गया है। पत्रिका सहित अन्य संस्थानों के मजीठिया वेज बोर्ड के लिए बरसों से लड़ रहे पत्रकारों में खुशी की लहर छा गई है। वर्षों से लंबित इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट के एसएलपी सिविल 10373/2024 में पारित आदेश के अनुपालन में पत्रिका समाचार पत्र को ₹10,46,945 की शेष राशि अदा करनी पड़ी है। यह भुगतान 17 अप्रैल 2025 को एचडीएफसी बैंक के डिमांड ड्राफ्ट नंबर 006289 के माध्यम से किया गया। इसे मजीठिया वेज बोर्ड मामले में पत्रकारों की बहुत बड़ी जीत बताया जा रहा है। इस निर्णय से आने वाले समय में कई अन्य पत्रकारों को भी ऐसे ही मामलों में त्वरित न्याय मिलने की उम्मीद की जा रही है। पत्रिका प्रबंधन में इस फैसले के बाद से जबर्दस्त हड़कंप मचा बताया जा रहा है।
प्रकरण की शुरुआत वर्ष 2012 में हुई जब मध्यप्रदेश के उप-श्रमायुक्त, इंदौर ने पत्रिका समाचार पत्र के विरुद्ध दो वसूली प्रमाण पत्र क्रमांक 1/4/मजी/आठ/वेतन/2012/33205-206 और 1/4/मजी/आठ/वेतन/2012/33210 के तहत ₹11 लाख की वसूली के आदेश जारी किए। राजस्थान पत्रिका ने इस आदेश को चुनौती देते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की एकलपीठ, युगलपीठ और अंततः उच्चतम न्यायालय तक कानूनी लड़ाई लड़ी। माननीय उच्चतम न्यायालय ने 26 अप्रैल 2024 को अपने आदेश में जितेन्द्र सिंह के पक्ष में निर्णय देते हुए ₹11 लाख की राशि उन्हें भुगतान करने के निर्देश दिए थे। पत्रिका द्वारा यह राशि 14 मई 2024 को ड्राफ्ट नंबर 000063 के जरिए जमा कर दी गई थी, जिसका भुगतान जितेन्द्र सिंह को हुआ। इसके अतिरिक्त ₹10,46,945 की शेष राशि का भुगतान अब जाकर किया या है। उल्लेखनीय है कि इस भुगतान के बाद अब पत्रिका की ओर से जिला प्रशासन को पत्रिका समाचार पत्र के विरुद्ध लंबित राजस्व वसूली प्रमाणपत्र की कार्रवाई समाप्त करने का अनुरोध किया गया हे तथा आदेश की प्रति तहसीलदार, जिला ग्वालियर को भी भेजी गई है। यह प्रकरण इस बात का उदाहरण है कि यदि कोई नागरिक अपने श्रमिक अधिकारों को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है और विधिक प्रक्रिया का पालन करता है, तो अंततः उसे न्याय मिल सकता है। जितेन्द्र सिंह की यह जीत अन्य पत्रकारों के मामलों में प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
पत्रिका को बड़ा झटका, वसूली आदेश पर चुकानी पड़ी ₹10.46 लाख की राशि, जितेन्द्र सिंह को सुप्रीम कोर्ट से मिला न्याय

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