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नसबंदी फेल हो गई, तीन महीने बाद ही गर्भ ठहर गया, मुआवजा नहीं दिया तो कोर्ट से आया कुर्की आदेश मच गया हड़कंप, अधिकारी गायब, ड्राइवर कार ले भागे

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24 न्यूज अपडेट. दौसा। लगता है घोर कलयुग चल रहा है। सरकारी अस्पतालों में हद तक लापरवाही की जा रही है। नसबंदी फेल होने के मामले में आज हड़कंप मच गया। एक महिला की नसबंदी फेल हुई तो कोर्ट में दावा ठोक दिया। चिकित्सा विभाग ने 30 हजार का मुआवजा दिया। कोर्ट ने 40 हजार और देने का आदेश दिया। अधिकारियों ने इसे हल्के में ले लिया। आदेश का पालन नहीं हुआ तो कोर्ट से टीम सीएमएचओ ऑफिस को कुर्क करने पहुंच गई। ऑफिस और सरकारी संपत्ति कुर्क करने मुंसिफ मजिस्ट्रेट दौसा की टीम ऑफिस पहुंची तो हड़कंप मच गया। सीएमएचओ डॉ. सीताराम मीना और डिप्टी सीएमएचओ डॉ. महेंद्र सिंह गुर्जर मौके पर नहीं मिले। ड्राइवर सरकारी गाड़ी लेकर फरार होगए। मुंसिफ मजिस्ट्रेट कोर्ट (दौसा) की टीम स्थायी लोक अदालत का यह आदेश था। कोर्ट सेल अमीन विनोद शर्मा ने मीडिया से कहा कि डॉ. सीताराम मीना को फोन लगाया तो उन्होंने डिप्टी सीएमएचओ को दफ्तर में उपस्थित होने के निर्देश देने की बात कही। टीम के पास डिप्टी सीएमएचओ का फोन आया। डॉ. महेंद्र सिंह गुर्जर ने कहा कि वे खेती से जुड़े किसी मामले में राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर में हैं। सीएमएचओ ने दफ्तर के अधिकारी को भेजकर लिखित में टीम से 15 दिन की मोहलत मांगी। अब यह दरख्वास्त कोर्ट में पेश की जाएगी व वहां से निर्देश मिलेंगे। नसबंदी कराने वाली महिला के वकील रविंद्र सिंह बैंसला ने मीडिया से कहा कि लालसोट थाना इलाके के महिला ने तीन संतानों के बाद 6 दिसंबर 2022 को लालसोट के सरकारी हॉस्पिटल में नसबंदी कराई थी। 12 जनवरी 2023 को नसबंदी का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। तीन महीने बाद अप्रैल 2023 में पेट दर्द की शिकायत के बाद उसने हॉस्पिटल में सोनोग्राफी जांच कराई तो पता चला कि वह प्रेग्नेंट है। महिला ने चिकित्सा अधिकारी से शिकायत की तो कहा- जैसा ऑपरेशन करना था, हमने कर दिया। अब हमारी जिम्मेदारी नहीं है। इस पर महिला ने नसबंदी फेल के लिए चिकित्सा विभाग को बताया जिम्मेदार व दावा ठोक दिया। उसने कहा कि चौथा बच्चा होने के कारण उस पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा। वह सरकार से मिलने वाली कई तरह की स्कीम का लाभ लेने से वंचित हो जाएगी। उसका पति चुनाव में उम्मीदवार बनने से वंचित हो जाएगा। चौथा बच्चा होने के कारण उसे शारीरिक और मानसिक कष्ट उठाना पड़ा। इसके लिए चिकित्सा विभाग जिम्मेदार है।कोर्ट ने महिला को 70 हजार रुपए मुआवजा देने का आदेश किया।

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