
24 न्यूज अपडेट.उदयपुर। उदयपुर में भगवान जगदीश की भव्य शोभायात्र शोभा यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। भव्य व अद्भुत नजारे देखने को मिल रहे है। यात्रा के दौरान जन सैलाब उमड़ पडा है। पूरे रास्ते पर भगवा झंडे लहरा रहे हैं और अपार श्रद्धा उमड रही है। प्रथम पूज्य गणपतिजी की आराधना के बाद रथयात्रा शुरू हुए व भगवान को 21 बंदूकों की सलामी दी गई। इसके बाद पालकी में बैठा कर भगवान को रथ में अपार जयघोष के बीच विराजित किया गया। उदयपुर के 400 साल पुराने मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा होने के बाद शहर के अलग-अलग इलाकों से आई शोभायात्राओं के साथ आगे बढ़ रही है। भक्तजन झूमते गाते हुए यात्रा का रथ खींच रहे हैं। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ स्वामी, माता महालक्ष्मी, दानी रायजी की श्रृंगारित मनमोहन प्रतिमाएं राजसी वस्त्र धारण किए हैं। भगवान 80 किलो चांदी चढ़े व शिखर पर स्वर्ण चढ़े रजत रथ में सवार होकर भक्तों को दर्शन दे रहे है। बैंड, बाजे म्यूजिक सिस्टम के साथ दर्जनों झाकियां भी जगदीश भगवान की रथ यात्रा की शोभा बढा रही है। राजस्थान की सबसे बड़ी रथ यात्रा में करीब 500 से अधिक महिलाए सिर पर कलश ले कर शामिल हुई हैं। . 51 से अधिक झाकियां हैं। रथ यात्रा अंदरूनी शहर में करीब 10 किलोमीटर का सफर तय कर रथ यात्रा जगदीश चौक से होते हुए घंटाघर, मोचीवाड़ा, भड़भूजा घाटी, भटियाणी चौहट्टा होते हुए देर रात्रि तक फिर से मंदिर में पहुंचेगी.। जगदीश मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 1709 ईस्वी में तत्कालीन महाराणा जगतसिंह ने करवाया था। महाराणा खुद रथ को खींचते थे। इसके बाद रथ को जेठी समाज के लोग पूरे रास्ते खींचते थे। कुछ साल बाद यात्रा को मंदिर से बाहर निकालना बंद कर दिया गया था। महाराणा भूपाल सिंहजी के समय से मंदिर में ही ठाकुरजी की रथयात्रा निकाली जाती थी। तभी से राजपरिवार के सदस्य सबसे पहले रथ खींचते है। उदयपुर में विश्वराज सिंह मेवाड़ और लक्ष्य राज सिंह मेवाड़ ने भी रथ को खीच कर परम्परा का निर्वाह किया।
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