24 न्यज अपडेट. उदयपुर, 29 अगस्त। चरित्र एवं कर्त्तव्यनिष्ठता श्रेष्ठता का आधार है तथा सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों यथा समानुभूति से समेकित है। मानसिक दृढ़ता द्वारा क्षमता सम्वर्द्धन संस्कारों का आधार बनता है। मूल्य किसी सभ्यता व संस्कृति का आधार है। हालांकि अंग्रेजी शिक्षा ने भारत की अस्मिता को नष्ट करने का प्रयास किया लेकिन मातृभाषा के सार्थक अनुप्रयोग ने हमारे अस्तित्व को बना कर रखा है। यह विचार राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो एस एस सारंगदेवोत ने गुरुवार को लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय डबोक में डी.एल. एड, बी एड, बी.ए.-बीएड , बी.एससी.-बीएड नवागन्तुक प्रशिक्षणार्थियों के लिए आयोजित 15 दिवसीय दीक्षारम्भ समारोह के दौरान व्यक्त किए।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कुलपति ने दीक्षारम्भ समारोह को व्यावसायिक वातावरण निर्माण से समेकित किया। प्रोफेसर सारंगदेवोत ने बदलते विश्व की चुनौतियों का सामना करने के लिए सूचना सम्प्रेषण तकनीक में निष्णात होने आवश्यकता पर बल किया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में स्किल को अपस्किल करने का आहवान करते हुए भावी शिक्षकों से जीवन में सार्थक परिवर्तन लाने की बात की। प्रो. सारंगदेवोत ने सत्य और धर्म को व्यापक रूप से परिभाषित करते हुए उनके जीवन पर प्रभाव के साथ राष्ट्र की प्रगति में शिक्षा पद्वतियों की अनुपालना के महत्व को बताते हुए शिक्षक के दायित्वों को भी बताया। उन्हांने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उल्लेखित शिक्षा में बहु अनुशासनात्मक बदलाव कों 360 डिग्री विकास से एकीकृत करते हुए भावी शिक्षकों से बहुआयामी बनने का आव्हान किया। प्रशिक्षण के दौरान 6 ए् अर्थात एंगेज, एक्सप्लेन, एक्सप्लोर, इवैल्यूएशन, एलबोरेट, एक्सटेंड की बात करते हुए ई लर्निंग को भी कुलपति ने सम्मिलित करते हुए इसे विजन 2047 के लिए एक आवश्यक पहलू घोषित किया।
कार्यक्रम का आरंभ प्राचार्य प्रोफेसर सरोज गर्ग के स्वागत उदबोधन से हुआ। महाविद्यालय की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर गर्ग ने शिक्षण व्यवसाय के मूल्यों को अधिरेखांकित करते हुए अब तक सफलता के सोपान एवं सुनहरे इतिहास से परिचित कराया। इस अवसर पर डॉ रचना राठौड़, डॉ बलिदान जैन, डॉ. अमी राठौड़ समेत समस्त अकादमिक एवं मंत्रालयिक सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ हरीश चौबीसा एवं धन्यवाद डॉ. रचना राठौड़ ने दिया।
दीक्षारम्भ समारोह : चरित्र एवं कर्त्तव्यनिष्ठता श्रेष्ठता का आधार : प्रो सारंगदेवोत

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