24 न्यूज अपडेट सलूंबर। संतों की कठिन और तरह—तरह की अनूठी तपस्याओं के बारे में आपने कई बार सुना होगा। कुछ को आपने सत्य माना होगा तो कुछ को कहानी मान लिया होगा। लेकिन आज हम आपको ऐसी तपस्या के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आप रूबरू देख सकते हैं। यह तपस्या 12 साल की होगी और इस तपस्या को करने वाले संत एक कुटिया में ही रहकर साधना करेंगे। यह संत और कोई नहीं राजस्थान में एक साल पहले ही नए बने सलूम्बर जिले के बनोड़ा गांव में स्थित त्रिवेणी मठ में महंत रामानुज पुरी हैं। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा से सम्बंध रखने वाले महंत रामानुज अगले 12 साल तक मौन रहने वाले हैं और सिर्फ फलाहार पर रहेंगे। उनकी यह तपस्या गुरु पूर्णिमा पर रात्रि 12 बजे से आरंभ हो जाएगी। उनके इस संकल्प की चर्चा जैसे जैसे उनके अनुयायियों तक पहुंच रही है, वे उनके दर्शन करने पहुंच रहे हैं। क्योंकि तपस्या आरंभ होने के बाद उनके साधना में लीन रहते कुछ ही समय के लिए वे अनुयायियों को आशीर्वाद देंगे। सभवत: सलूंबर ही नहीं, उदयपुर संभाग में इस तरह का प्रण लेने वाले रामानुज महाराज पहले संत होंगे।इस कारण भी उनके संकल्प की चर्चा चहुंओर हो रही है। महंत रामानुज महाराज की मानें तो उन्होंने यह संकल्प अयोध्या में श्रीरामलला के मंदिर में विराजमान होने के साथ ही धार लिया था। उन्होंने बातचीत में बताया कि वे यह तपस्या सनातन धर्म को और सशक्त करने के लिए कर रहे हैं। इस संकल्प में वसुधैर कुटुम्बकम और विश्व शांति की कामना भी निहित है। महंत ने बताया कि पिछले आठ साल से मठ पर साधना की जा रही है। अब वे इस साधना को और कठोरता की ओर ले जाने का संकल्प ले रहे हैं। उनके इस संकल्प के तहत मठ में राम कुटिया बनाई जा रही है। इस दौरान अनुयायी महीने में सिर्फ एक बार ही महंत के दर्शन कर पाएंगे। महंत रामानुज कहते हैं कि सनातन धर्म सत्य का अनुगामी है। साधु—संत अपनी तपस्या का बखान नहीं करते, लेकिन जब कतिपय लोग सनातन की कठोर साधनाओं को कहानियों में शामिल करने लगते हैं, तब संतों को प्रत्यक्ष प्रमाण देने के लिए आगे आना पड़ता है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.