24 न्यूज अपडेट उदयपुर। स्थापना दिवस अक्षय तृतीया पर लोकजन सेवा संस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन उदियापोल स्थित महाराणा उदयसिंह की प्रतिमा पर पंचगव्य स्नान, पूजा-अर्चना एवं पुष्पांजलि कर उन्हें नमन करने के उपरांत एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ.ममता पानेरी के कहानी-संग्रह ‘वास्तव’ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय) के कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस.सारंगदेवोत ने की। कार्यक्रम में डॉ. सुरेन्द्र पालीवाल ने कहानी-संग्रह ’वास्तव’ की समीक्षा करते हुए कहा कि ‘वास्तव’ की कहानियां जीवन के यथार्थ से जुड़ी हैं। इनमें देश प्रेम भी है तो हाशिए पर रहने वाले वर्ग किन्नरों पर भी भावात्मक कहानी लिखी गई है। इसी प्रकार आज ‘लिव इन रिलेशनशिप’ जैसे मुद्दे जो समाज में चर्चा का विषय बने हुए हैं, उनकी ओर भी ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। साथ ही उन्होंने प्रख्यात कवयित्री व समालोचक डॉ. मंजू चतुर्वेदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने संग्रह की प्रत्येक कहानी को बड़े ही मनोयोग से पढ़कर उसकी बारीकी से मीमांसा करते हुए भूमिका लिखी है। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा, पेसिफिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.के.दवे , उप महापौर नगर निगम उदयपुर पारस सिंघवी, लोकजन सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रो.विमल शर्मा, महासचिव जयकिशन चौबे, इन्द्र सिंह, प्रो. मिश्रीलाल मांडोत आदि ने पुस्तक पर हुई परिचर्चा में भाग लिया। कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो.सारंगदेवोत साहब ने महाराणा उदयसिंह जी के द्वारा उदयपुर निर्माण में दिये गए योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी एवं डॉ.ममता पानेरी के कहानी-संग्रह ’वास्तव’ के विमोचन की बधाई देते हुए कहा कि ‘वास्तव’ कहानी-संग्रह में जिन विषयों को कथानक के रूप में चुना गया है वे महत्वपूर्ण हैं। यह कहानी-संग्रह पाठक वर्ग को विचार के लिए उद्वेलित करेगा ऐसा मुझे विश्वास है और यही लेखिका की सफलता का पैमाना है। पूर्व कुलपति प्रो. उमाशंकर जी शर्मा ने डॉ ममता पानेरी की कहानियों को भौतिकवाद में जकड़े समाज को नई दिशा बोध देने वाला बताया। वहीं कुलपति प्रोफेसर के के दवे ने बताया कि संग्रह की कहानियां वास्तव शीर्षक को सार्थक करती हुई प्रतीत होती है इसके पात्र हमारे आसपास के ही हैं, कोई कपोल कल्पना यहां नहीं की गई है। जो कुछ है सीधा है सपाट है वास्तविक है यही है ‘वास्तव’ का वास्तव। लेखिका डॉ ममता पानेरी ने अपने लेखकीय अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि ‘वास्तव’ की कहानियां सामाजिक विसंगतियों को दर्शाती है और जीवन की वास्तविकताओं से रूबरू कराती है। कार्यक्रम में कई शिक्षाविद् , साहित्यकार, इतिहासकार एवं उदयपुर नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जयकिशन जी चौबे ने किया एवं धन्यवाद गणेशलाल जी ने दिया।

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