24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। यकीन नहीं होता मगर सच है। तीन साल से दसवीं फेल फर्जी डॉक्टर अपने फर्जी अस्पताल में प्रसव करवा रहा था, जनरल मेडिसन दे रहा था। वार्ड में मरीजों की भर्ती हो रही थी, मरीज रेफर हो रहे थे। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को क्रिटिकल केयर मिल रही थी और किसी को कानोंकान खबर तक नहीं थी। यही नहीं फर्जी डॉक्टर 13 अस्पतालों का कमीशन एजेंट भी था। मरीज को उसकी हैसियत के अनुसार तुरंत रेफर करके कमीशन कमा लेता। तीन साल पहले तक ये फर्जी डाक्टर सफाईकर्मी था जिसने एक अस्पताल में काम करते हुए यह महारथ हासिल कर ली कि पूरा का पूरा फर्जी अस्पताल खड़ा कर दिया। गजब के कारनामे, बताते हैं कि यहां कोविड में लोगों का इलाज हुआ। गैर कानूनी तौर पर अबॉर्शन करवाना यहां पर खेल था। इतना होने पर भी राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग की नजर नहीं पड़ी। खुफिया तंत्र और पुलिस को पता ही नहीं चला। या फिर पता था और बराबर मुट्ठी गर्म हो रही थी। कहानी जितनी दिलचस्प है, उससे ज्यादा त्रासदी से भी परिपूर्ण। गुजरात बॉर्डर एरिया में स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत बड़ सवालिया निशान भी। इस फर्जी डॉक्टर का मुखबीर तंत्र इतना मजबूत निकला कि गांव में टीम के आते ही दस्तावेजों सहित फरार हो गया। अस्पताल में मिले तो केवल मरीज, ना नर्स ना कंपाउंडर, ना ही कोई डाक्टर। कुछ दवाइयां जिनसे अब केवल कयास लगाए जा रहे हैं कि इन दवाओं के सहारे क्या-क्या काम होता होगा। विशेषज्ञों की सलाह के बिना जो दवाइयां नहीं दी जा सकतीं वे सब यहां पर उपलब्ध थीं। कुछ पर्चियां मिली जिससे पता चला कि ये तो गुजरात के अस्पतालों का दलाल था।
अब आते हैं खबर पर। चिकित्सा विभाग की ओर से गुजरात बॉर्डर पर पूनावाड़ा में फर्जी डॉक्टर जितेन्द्र कुमार भगोरा के मां जनरल हॉस्पीटल को सीज किया गया। जांच के दौरान गुजरात के शामलाजी, मोडासा, लूनावाला, लिगाड़ा बड़ोदरा के करीब 13 निजी अस्पतालों की रेफर पर्चियों की बुक मिली। गुजरात के इन अस्पतालों की ओर से ही इस अस्पताल की दवाई, सर्जिकल आइटम और अन्य जरूरत के सामानों की सप्लाई हो रही थी। पूचावाड़ा से गुजरात के इन अस्पतालों की दूरी 10 से 30 किमी है। अस्पताल के ठीक पास से गुजरात की सीमा शुरू हो जाती है। फर्जी असताल तीन साल स ेचल रहा था। कोरोना लॉकडाउन के समय शुरू हुआ व उसके बाद खूब फला-फूला। अनेक कोरोना संक्रमित यहां उपचार करवा कर गए। जो ठीक न हो सके उनको गुजरात भेज दिया गया। अस्पताल से मिली हैवी डोज की दवाइयां देखकर मेडिकल टीम दंग रह गई थी। इन दवाओं को स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी अति आवश्यक होने पर ही प्रिस्क्राइब करते हैं। मेडिकल टीम को अस्पताल के अंदर खूब रेफर पर्चियां मिली। याने मरीज ठीक हो जाए तो ठीक, ना हो सके तो रेफर कर दो। रतनपुर बॉर्डर से गुजरात की सीमा शुरू होकर कुआं गांव तक जाती है। इसकी सीमा पर 150-200 मीटर के दायरे में 50 से अधिक गांव, 300 से अधिक ढाणियों में 2 लाख से अधिक लोग निवास करते हैं। यहां के लोगों का मोडासा, हिम्मतनगर, लूनावाड़ा, बड़ोदरा व अहमदाबाद उपचार के लिए आना जाना होता है। राजस्थान सरकार की हैल्थ सवाआें पर कम भरोसा है। पूनावाड़ा में पकड़े गए इस मामले में जब सीएमएचओ व मेडिकल टीम अस्पताल पहुंचनी तो पता चला कि 10-15 मिनट पहले ही फर्जी डॉक्टर व उसका फर्जी स्टाफ मरीजों का छोड़कर अचानक फरार हो गए। मेडिकल टीम की गाड़ी ने जैसे ही पूनावाड़ा में प्रवेश किया, इसकी सूचना फर्जी डॉक्टर तक पहुंची और स्टाफ के साथ अस्पताल से जुड़े सभी प्रकार के दस्तावेजों के साथ फरार हो गया। अंदर खोजबीन में कोई दस्तावेज नहीं मिला। ओपीडी आईडी स्टाफ रजिस्टर, रेफर रजिस्टर कुछ भी नहीं।


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By desk 24newsupdate

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