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जयपुर गोविंद देवजी मंदिर में अब ‘चलते-चलते दर्शन’: रविवार, एकादशी और त्योहारों पर नई व्यवस्था लागू, बैठने और फोटोग्राफी पर रोक

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24 News Update जयपुर, 26 जून। जयपुर के ऐतिहासिक श्री गोविंद देवजी मंदिर में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ और दर्शन में लगने वाले समय को देखते हुए दर्शन व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया है। अब हर रविवार, एकादशी, कार्तिक मास और प्रमुख त्योहारों पर श्रद्धालुओं को ‘चलते-चलते दर्शन’ की सुविधा मिलेगी। खाटू श्यामजी, सालासर बालाजी और सांवलिया सेठ मंदिर की तर्ज पर यह नई व्यवस्था लागू की गई है।
सुगम दर्शन व्यवस्था का पोस्टर लॉन्च
गुरुवार को पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ ने सुगम दर्शन व्यवस्था का पोस्टर लॉन्च कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महीने में कम से कम 6 दिन इस व्यवस्था से श्रद्धालुओं को भीड़भाड़ से राहत और बेहतर दर्शन अनुभव मिलेगा। साथ ही, सभी से इस व्यवस्था में सहयोग करने की अपील की गई है। सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि नई व्यवस्था के तहत नंगे पांव आने वाले श्रद्धालु ‘मंदिर छावन’ से प्रवेश कर परिक्रमा करते हुए मुख्य निकास से बाहर निकलेंगे। वहीं, चप्पल-जूते पहने श्रद्धालु रैंप मार्ग से दर्शन कर उसी रास्ते से लौटेंगे। मंदिर परिसर में बैठने, रुकने, फोटोग्राफी और वीडियो बनाने पर प्रतिबंध रहेगा। भीड़ प्रबंधन के लिए 50-60 स्वयंसेवक, 20 सिक्योरिटी गार्ड और 25 पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। रविवार और एकादशी पर आने वाली भजन मंडलियों के लिए अब मंदिर परिसर में स्थान न देकर सत्संग भवन में स्थान तय किया गया है, ताकि दर्शन मार्ग अवरोधमुक्त रहे।
स्थायी बैरिकेडिंग और सुविधाएं
अभी तक अस्थायी बेरिकेडिंग लगाई जाती थी, लेकिन अब पक्की और छायादार बैरिकेडिंग बनेगी। इसमें दो लाइन में दर्शनार्थी चल सकेंगे। साथ ही पंखे, साउंड सिस्टम और एलईडी स्क्रीन भी लगाए जाएंगे। पिछले रविवार को ‘चलते-चलते दर्शन व्यवस्था’ का ट्रायल रन किया गया, जिसमें दर्शन और निकास सहज तरीके से संपन्न हुआ। पार्किंग व्यवस्था भी सुचारू रही। पहले जहां श्रद्धालुओं को पार्किंग नहीं मिलती थी, अब जलेब चौक और गुरुद्वारे के सामने पार्किंग सुविधा आसान हो गई है। श्रद्धालुओं का कहना है कि जब मंदिर बना था तब जयपुर की आबादी सीमित थी। अब रोजाना 25 हजार श्रद्धालु, रविवार को 1 लाख और एकादशी पर 2 लाख से अधिक लोग दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के मद्देनजर यह बदलाव ज़रूरी था।

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