24 न्यूज अपडेट.उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ के संस्थापक जनुभाई ने शिक्षा को हर उस व्यक्ति के द्वार तक पहुंचाया जो पढ़ने की लालसा रखता था। विरोध और संघर्षों के बीच संस्थान अनवरत अति गरीबों और वंचितों के लिए कार्य करती रही। शिक्षा के माध्यम से चरित्र निर्माण कर राष्ट्र उन्नति में जो योगदान विद्यापीठ ने किया है वह शायद ही कोई संस्थान कर पाए। ये विचार पंजाब के राज्यपाल महामहिम गुलाब चंद कटारिया ने राजस्थान विद्यापीठ के 88 वें स्थापना दिवस पर बुधवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। महामहिम ने जनु भाई की वैचारिक साधना, साहित्यिक और शैक्षिक दूरदर्शिता के बारे में बताते हुए कहा कि देश निर्माण चरित्र निर्माण से ही संभव है और जनु भाई ने विद्यापीठ के माध्यम से ये कार्य शुरू किया। उन्होंने आव्हन करते हुये श्रेष्ठ पुरूषों के निर्माण के लिए श्रेष्ठ पुरूषों के सद्गुणों को अपनाने और सम्मान देने की बात कही। इस मौके पर महामहिम ने विद्यापीठ में अपने छात्र जीवन तथा कार्यकर्ता के रूप में अपने अनुभव साझा करते हुए उनके जीवन पर जन्नूभाई और विद्यापीठ के सकारात्मक प्रभाव को बताया।
इससे पूर्व महामहिम को एनसीसी केडेट्स द्वारा गार्ड ऑॅफ आनर दिया गया। महामहिम द्वारा संस्थान का झण्डारोहण एवं जनुभाई की आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पिर कर कार्यक्रम की शुरूआत की । इस मौके पर पंजाब के राज्यपाल बनने पर कटारिया को संस्था की ओर से प्रशस्ति पटिका, उपरणा, पगड़ी एवं स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया गया। विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने कहा कि शिक्षा के प्रतिकर्तव्य निष्ठा,सामाजिक और सामुदायिक जुड़ाव और मूल्यों तथा मौलिकता के साथ वंचित वर्ग को मुख्य धारा से जोड़ने के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि जनुभाई के सपनें आज वटवृक्ष के रूप में साकार हो पाए है। राजस्थान विद्यापीठ के कार्यकर्ताओं ने अकादमिक के साथ साथ शोध कार्यों ,खेलों जैसे क्षेत्र में भी अपने विद्यार्थियों का लोहा मनवाया है। संस्थान की प्रगति में और उपलब्धियां संस्था के कार्यकर्ताओं तथा छात्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। छात्र संस्था के गौरव और संस्था कार्यकताओ की है। प्रो सारंगदेवोत ने संस्थान की भावी प्रगति पर बोलते हुए कहा कि जन्नूभाई के शिक्षा दर्शन और विचारों को नई शिक्षा नीति ने भी अपनाया है। विद्यापीठ मल्टीडिसीप्लिनरी -रिसर्च वर्क, ज्ञान-कौशल के साथ तकनीकों व संस्कार संस्कृति के मेल से ही वैश्विक मापदण्डों के अनुरूप अपना प्रदर्शन कर पाएगी। अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय जॉनी ने विद्यापीठ के द्वारा समाज के उत्कर्ष के लिए किए जा रहे कार्यों को रेखांकित करते हुए जन्नूभाई के योगदान को याद किया। कुलप्रमुख भंवरलाल गुर्जर ने संस्थान को अक्षुण्य रखने के लिए कार्यकर्ताओं के सम्पर्ण का आव्हन किया और संस्थान के प्रति निष्ठा पर विचार रखें। कार्यक्रम के दौरान भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत अधिकारी डॉ. राहुल भटनागर की पुस्तक आरणयम तथा डॉ. अमिया गोस्वामी द्वारा होमियोपैथी परिपेक्ष्य में बाल चिकित्सा पर लिखित पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। उदयपुर ग्रामीण विद्यायक फूलसिंह मीणा, जिला कलेक्टर अरविन्द पोसवाल, रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, परीक्षा नियन्त्रक पारस जैन, प्रो जीवन सिंह खरकवाल, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, प्रो. कला मुणेत, प्रो. मंजु मांडोत सहित सभी डीन डारेक्टर्स और विद्यापीठ के सभी यूनिटों के कार्यकर्ता के साथ शहर के गणमान्य नागरिक भी मौजूद थे। धन्यवाद पीठ स्थवीर डॉ. कौशल नागदा ने ज्ञापित किया तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया।
चरित्र निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव : कटारिया…..विद्यापीठ का 88 वां स्थापना दिवस हर्षोल्लास से मनाया

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