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गुरुब्र्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवेनमः।।शिष्यों ने गुरूआंे को किया नमनगुरू ज्ञान ही नहीं, जिने का तरीका सीखाते है – कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोतजीवन में पहली गुरू माॅ ……….

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उदयपुर 21 जुलाई/ गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व पर कुलगुरू व जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत का सुबह से लेकर देर शाम तक विद्यापीठ के कार्यकर्ता, शहर के गणमान्य व्यक्तियों एवं शिष्यों ने कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत का उपरणा, माला , श्रीफल देकर सम्मान किया गया। प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि गुरू के प्रति नतमस्तक होकर कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है, गुरू पूर्णिमा। गुरू ज्ञान ही नहीं , जीने का तरीका सिखाते है। हम कितना भी तकनीक का उपयोग कर ले, भावात्मक ज्ञान, संस्कार, अनुभव गुरू से ही आते है। गुरू के लिए पूर्णिमा से बढकर और कोई तिथि नहीं हो सकती। जो स्वयं में पूर्ण है वही तो पूर्णत्व की प्राप्ति दूसरो को करा सकता है। हमारे जीवन में माँ हमारी सबसे पहली गुरू होती है। गुरू अपने शिष्यों में चेतना जागृत करने का कार्य करता है। इस अवसर पर अतिरिक्त महाधिवक्ता डाॅ. प्रवीण खण्डेलवाल, पूर्व बार अध्यक्ष रामकृपा शर्मा, महेन्द्र नागदा, मनीष शर्मा, डाॅ. अमिया गोस्वामी, डाॅ. भवानी पाल सिंह राठौड़, डाॅ. दिलीप सिंह चैहान, डाॅ. चन्द्रेश छतलानी, विजय सिंह पंवार, डाॅ. हेमेन्द्र चैधरी, कृष्णकांत कुमावत, डाॅ. रोहित कुमावत, विकास डांगी, डाॅ. मनीष सहित कार्यकर्ताओं ने प्रो. सारंगदेवोत का उपरणा, माला पहना कर सम्मान किया।

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