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गुरु ज्ञान, संस्कार और चेतना के वाहक हैं: कुलपति प्रो. सारंगदेवोत, राजस्थान विद्यापीठ में गुरु पूर्णिमा पर भव्य ‘गुरु सम्मान समारोह’, शिक्षकों और कुलपति का हुआ सम्मान

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24 News Update उदयपुर। गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व पर गुरूवार को राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक प्रशिक्षण महाविद्यालय के सभागार में आयोजित गुरू सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि मूल्यों व संस्कारों के वाहन हैं गुरू, इसलिए गुरू के प्रति नतमस्तक होकर कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है गुरू पूर्णिमा

गुरू ज्ञान ही नहीं, जीने का तरीका सिखाते हैं। हम कितना भी तकनीक का उपयोग कर लें, भावात्मक ज्ञान, संस्कार और अनुभव गुरू से ही आते हैं। गुरू के लिए पूर्णिमा से बढ़कर और कोई तिथि नहीं हो सकती। जो स्वयं में पूर्ण है वही तो पूर्णत्व की प्राप्ति दूसरों को करा सकता है।

पूर्णिमा के चंद्रमा की भांति, जिसमें जीवन में केवल प्रकाश है, वही तो अपने शिष्यों के अंत:करण में ज्ञान रूपी चंद्र की किरणें बिखेर सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में गुरू को साक्षात भगवान की उपमा दी गई है। गुरू के बिना ज्ञान अधूरा है। गुरू किसी भी उम्र का हो सकता है — जिस व्यक्ति से कोई ज्ञान या अच्छी चीज प्राप्त होती है, वही हमारा गुरू है।

अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले गुरू ही होते हैं। गुरू के मार्गदर्शन के बिना हम समाज में रहना नहीं सीख पाते। गुरू के बिना हम यह भी नहीं सीख पाते कि समाज की बुराईयों को दूर करने में हम कैसे अपना योगदान दे सकते हैं।

संस्कृत के प्रख्यात पण्डित वेदव्यास ने गुरू पूर्णिमा के दिन ही चारों वेदों की रचना की। हमारे जीवन में माँ हमारी सबसे पहली गुरू होती है। गुरू अपने शिष्यों में चेतना जागृत करने का कार्य करता है।


भारतीय ज्ञान परंपरा पूरे विश्व में अद्भुत — कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर

मुख्य अतिथि कुलाधिपति एवं कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर ने कहा कि हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा पूरे विश्व में अद्भुत है। पूरे देश में हर रोज कोई न कोई पर्व-त्योहार अवश्य ही मनाया जाता है। आज की युवा पीढ़ी हमारे संस्कारों से दूर होती जा रही है, जो चिंताजनक है। उन्हें पुनः रास्ते पर लाने का काम शिक्षकों अर्थात गुरुओं का है।

प्रारंभ में प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि गुरू अपने शिष्यों में चेतना जागृत करने का कार्य करता है। समारोह में डॉ. तिलकेश आमेटा, महेन्द्र वर्मा ने संगीतमय गुरू वंदना प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर कर दिया।

संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया जबकि आभार डॉ. रचना राठौड़ ने व्यक्त किया।


इस अवसर पर

डॉ. रचना राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. भुरालाल शर्मा, डॉ. अमित बाहेती, डॉ. हरीश मेनारिया, डॉ. अमित दवे, डॉ. रोहित कुमावत, डॉ. सुभाष पुरोहित, डॉ. हरीश चौबीसा, डॉ. शीतल चुग सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।


दिनभर चला गुरू सम्मान का दौर

कुलपति सचिवालय में देर शाम तक विद्यापीठ के सभी संघटक विभागों के कार्यकर्ता, शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत का उपरणा, माला, श्रीफल देकर सम्मान किया।

इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. मंजु मांडोत, डॉ. विजय दलाल, डॉ. चन्द्रेश छतलानी, डॉ. अपर्णा श्रीवास्तव, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. ललित श्रीमाली, डॉ. कुल शेखर व्यास, डॉ. धमेन्द्र राजौरा, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, डॉ. नीरू राठौड़, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. भारत सिंह देवड़ा, डॉ. दिनेश श्रीमाली, डॉ. प्रदीप सिंह शक्तावत, डॉ. दिलीप चौधरी, जितेन्द्र सिंह चौहान सहित कार्यकर्ताओं ने प्रो. सारंगदेवोत को उपरणा, माला पहनाकर और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया।

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