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कारगिल विजय के पूरे हुए 25 साल,युद्ध के नायकों, दिग्गजों और वीर नारियों को नमन करने बाइक पर पहुंची रणबांकुरों की टीम

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर। कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर भारतीय सेना एक स्पेशल अभियान चला रही है। इसी अभियान के तहत रविवार को सेना की 8 लोगों की टीम उदयपुर पहुंची। यहां उन्होंने करगिल लड़ाई में शामिल हुए शहीदों के परिवारजन व हिस्सा लेने वाले जवानों को सम्मानित किया।एनसीसी कैडेट आर्मी के सदस्य समेत कई नागरिक भी शामिल हुए। सोमवार सुबह 7 बजे एकलिंगगढ़ छावनी स्थित आर्मी कैंट में कार्यक्रम के बाद टीम जोधपुर के लिए रवाना हुई। 12 जून को द्वारका से शुरू हुए इस मोटरसाइकिल अभियान में आठ लोगों की टीम 15 दिनों में 1750 किलोमीटर की दूरी तय कर 26 जून को नई दिल्ली पहुंचेगी। यह कारवां अहमदाबाद, उदयपुर, जोधपुर, अजमेर और जयपुर से होकर गुजरा। इनके अलावा भी देश के अलग-अलग कोनों से तीन अन्य टीमें हैं। यह सभी दिल्ली से मिलकर द्रास की ओर 1000 किमी की दूरी तय करेंगी। अभियान का समापन कारगिल युद्ध स्मारक पर होगा। इस मिशन के जरिये देशभक्ति का जज्बा प्रदर्शित करते हुए इससे कई शिक्षा संस्थानों के छात्र, एनसीसी कैडेट, स्थानीय लोग और नागरिक प्रशासन जुड़ेंगे। बता दें, 26 जुलाई को ऐतिहासिक कारगिल युद्ध के 25 साल पूरे होने जा रहे हैं। यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1999 में हुआ था। आठ मोटरसाइकिलों की तीन टीमों ने देश के तीन कोनों- पूर्व में दिनजन, पश्चिम में द्वारका और दक्षिण में धनुषकोडि से इस ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत की है। ये साइकिल सवार विभिन्न इलाकों और चुनौती भरे मार्गों को पार करेंगे, जो हमारे सशस्त्र बलों की एकता और लचीलेपन का प्रतीक है। अपने रास्ते में, सवार कारगिल युद्ध के नायकों, दिग्गजों और वीर नारियों से संपर्क करेंगे जो उनके रास्ते में आने वाले विभिन्न स्थानों पर रह रहे हैं। वे मार्ग में विभिन्न युद्ध स्मारकों पर भी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, जन जागरूकता बढ़ाएंगे और युवाओं को भारतीय सेना में शामिल होने के लिए भी प्रेरित करेंगे।
ये टीम 26 जून को दिल्ली में एकत्र होंगी और दो अलग-अलग मार्गों से द्रास के लिए रवाना होंगी। एक मार्ग अंबाला, अमृतसर, जम्मू, ऊधमपुर और श्रीनगर होते हुए 1,085 किलोमीटर की दूरी तय करता है जबकि दूसरा चंडीमंदिर, मनाली, सरचू, न्योमा, तंगत्से और लेह के माध्यम से 1,509 किलोमीटर की दूरी तय करता है। इस अभियान का समापन में द्रास के गन हिल में होगा, जो कारगिल युद्ध के दौरान अपने रणनीतिक महत्व के लिए इतिहास में अंकित एक स्थान है। अभियान का यह अंतिम चरण न केवल बहादुरी के मार्ग पर फिर से आगे बढ़ेगा, बल्कि यह हमारे सैनिकों की अथक भावना और समर्पण की याद दिलाने का भी काम करेगा।

सभी प्रमुख स्थानों पर वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और विशिष्ट अतिथियों को शामिल करने के लिए प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में फ्लैग ऑफ और फ्लैग-इन समारोह आयोजित किए जाएंगे, जो इन सवारों और उनके द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले उद्देश्य का अभिनंदन करेंगे। कारगिल युद्ध के दिग्गजों और वीर नारियों को भी युद्ध के दौरान उनके बलिदान और दृढ़ संकल्प को मान्यता देते हुए सम्मानित किया जाएगा।

इस अभियान का नेतृत्व तोपखाने की रेजिमेंट कर रही है जिसने ऑपरेशन विजय में सफलता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारतीय सशस्त्र बलों के पक्ष में स्थिति बदलने में तोपखाने की सटीकता, मारक क्षमता और रणनीतिक समर्थन महत्वपूर्ण सिद्ध हुए थे। जैसे-जैसे सवार देश के कोने-कोने की यात्रा करेंगे, वे अपने अदम्य साहस, त्याग और देशभक्ति की कहानियों को साथ ले जाएंगे। यह अभियान केवल श्रद्धांजलि ही नहीं है, बल्कि भारतीय सेना की स्थायी भावना का प्रतीक भी है।

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