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डबल इंजन प्रोटेक्शन : “कर्नल को ’आतंकियों की बहन’ बताने वाले मंत्री से एसआईटी ने 6 दिन में भी नहीं की पूछताछ, सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई जुलाई में तय की“

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24 न्यूज अपडेट, नेशनल डेस्क। कोई बयान देते ही जेल भेजा जा रहा है तो कहीं किसी को बचाने के लिए पूरा सिस्टम लग गया है। जिस एसआईटी को जांच के आदेश दिए गए उसने 6 दिन में मुख्य आरोपी बयानबाज मंत्री से पूछताछ तक करने की हिम्मत नहीं दिखाई। सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में फंसे मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह से अब तक एसआईटी (विशेष जांच टीम) ने पूछताछ तक नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इस एसआईटी को जांच करते हुए 6 दिन हो चुके हैं, लेकिन मंत्री का बयान दर्ज नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और मामले की अगली सुनवाई जुलाई के पहले सप्ताह में निर्धारित की है।


जांच का अब तक का हाल
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान बताया कि एसआईटी 21 मई को घटनास्थल रायकुंडा गांव (महू) पहुंची थी। वहां मौजूद लोगों के बयान लिए गए, कुछ इलेक्ट्रॉनिक सबूत जैसे मोबाइल डेटा भी इकट्ठा किया गया, लेकिन मंत्री विजय शाह से कोई पूछताछ नहीं हुई। 11 मई को महू के रायकुंडा गांव में एक जनसभा के दौरान विजय शाह ने मंच से कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ कथित रूप से कहा कि वह “आतंकियों की बहन“ हैं। यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसकी तीव्र आलोचना हुई। बाद में विजय शाह ने सफाई देते हुए माफी का वीडियो भी जारी किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे “मगरमच्छ के आंसू“ बताया था।


एसआईटी में कौन-कौन हैं शामिल?
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी एसआईटी में सागर रेंज के आईजी प्रमोद वर्मा, आईजी कल्याण चक्रवर्ती और डिंडौरी वाहिनी के अधिकारी सिंह शामिल हैं। यह टीम 19 मई को गठित हुई थी और इसे स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच का जिम्मा सौंपा गया है।


हाईकोर्ट की भूमिका और एफआईआर
14 मई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस बयान पर स्वतः संज्ञान लेते हुए विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बाद इंदौर जिले के मानपुर थाने में मामला दर्ज हुआ। विजय शाह ने इसी एफआईआर को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।


एसआईटी रिपोर्ट वकीलों को नहीं मिली
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेता जय ठाकुर की ओर से मामले में हस्तक्षेप कर रहे वकीलों को एसआईटी की जांच रिपोर्ट की प्रति अब तक नहीं दी गई है। इस पर अगली सुनवाई में आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है।


सुप्रीम कोर्ट की पिछली टिप्पणी
19 मई को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री शाह की माफी को खारिज करते हुए कहा थाकृ “कभी-कभी माफी सिर्फ बचने के लिए मांगी जाती है। जब इतने भद्दे कमेंट किए जाते हैं, तब माफी का कोई अर्थ नहीं रह जाता। आप एक सार्वजनिक पद पर हैं, आपको जिम्मेदारी से बोलना चाहिए। सेना के लिए हम कम से कम इतना सम्मान तो दिखा सकते हैं।“

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