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कवि सम्मेलन…….अपर्ण तो किए प्राण, समर्पण नहीं किया। दिल्ली की क्रूरता से उदयपुर नहीं डरा, कर्तव्य से परे जहां रिश्ते नहीं हुए, सौ-सौ प्रणाम है तुझे मेवाड़ की धरा। अकबर भी डर गया तेरी छाती के नाप से, चट्टान भी पिघल गई सांसों के ताप से,मिट्टी में गिरा खून को हल्दी महक उठी, धरती धन्य हो गई राणा प्रताप की।

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर। महाराणा प्रताप जयंती पर संस्कृति क्रिएशन और ज्ञान ज्योति सेवा संस्थान के साझे में शब्दांजलि विराट कवि सम्मेलन का आयोजन शनिवार को आरएनटी के सभागार में हुआ। इस अवसर पर वीररस, शृंगार और हास्य रस की कविता सुनाकर खूब तालिया बटोरी। कवि सम्मेलन की शुरुआत भावना लोहार ने माँ शारदा के सामने शब्द पुष्प अर्पित कर किया. इसके बाद नरेंद्र रावल ने महाराणा प्रताप पर गीत प्रस्तुत कर कवि सम्मेलन को ऊँचाइयाँ दी। कोटा के आदित्य जैन ने महाराणा प्रताप और राजस्थानी गौरव पर आधारित कविता प्रस्तुत कर खूब वाह वाही लूटी। मावली के मनोज गुर्जर और भीलवाड़ा के दीपक पारीक ने अपनी हास्य कविताओं से सभागार को ठहाकों से गुंजायमान कर दिया। कवि सम्मेलन का संचालन राष्ट्रीय कवि सिद्धार्थ देवल ने किया.। देवल ने वीर रस की कविताओं से श्रोताओं को देर तक बैठे रहने पर मजबूर कर दिया। ज्ञान ज्योति सेवा संस्थान के राहुल मेघवाल ने बताया कि महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर समाजसेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले संस्थानों और उनके पदाधिकारियों का सम्मान किया गया। अतिथि के रूप में पूर्व राज्य मंत्री जगदीश श्रीमाली, जिनेन्द्र शास्त्री भी शमिल हुए वहीं आयोजन मंडल की ओर से राहुल मेघवाल, भवानी सिंह, सुशील आर्य ,हिम्मत प्रजापत सहित आयोजन मंडल के कई पदाधिकारी मौजूद रहे।

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