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कवि सम्मेलन भोर तक चला : लोग झूठ कहते हैं कि दीवारों में दरारें पड़़ती हैं, जब दरारें हैं तब दीवारे बनती हैं-कवि शर्मा

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24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के महिपाल विद्यालय खेल मैदान में नगरपालिका के तत्वावधान में दशहरा दीपावली महोत्सव अन्तर्गत सोमवार रात्रि को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित हुआ जो भोर तक चले इस कवि सम्मेलन में अन्तर्राष्ट्रीय हास्य कवि पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा को सुनने के लिए दूरदराज से हजारों श्रोताओं की उपस्थिति से पूरा पांडाल खचाखच भरा रहा।
कवि सम्मेलन में कवि सुरेन्द्र शर्मा ने अपने चिर-परिचित अंदाज में हास्य व्यंग्य की अनेक चुटकियों से भरपूर दाद लुटी। उनकी कविता लोग झूठ कहते हैं कि दीवारों में दरारें पड़ती है, हकीकत यही है कि जब दरारें पड़ती है तब दीवारें बनती है पर लोगो ने शर्मा जिन्दाबाद के खूब नारे लगे। मशहूर शायर कुंवर जावेद ने अपने पुरखों से यहाँ जो भी सुना है वह हूँ, और जो अपनी किताबों में पढ़ा है वह हूँ, ये कुंवर शब्द मेरी माँ से मिला है मुझको, और जावेद में जो वेद लगा है वह हूँ पंक्तियों सहित अपने कई मुक्तक, गीत और गज़़लों के माध्यम से क़ौमी एकता की बेमिसाल प्रस्तुति दी। हास्य सम्राट जानी बैरागी ने अपनी हास्य टिप्पणियों एवं व्यंग्य बाण से खूब ठहाके लगवाए। उनकी कविता ये देखो कि हम कितने फायदे में, आजकल ये अल-कायदा वाले भी कितने कायदे में है पूरा सदन जय श्री राम के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। गोवाडी के ओजस्वी कवि छत्रपाल शिवाजी ने स्वतंत्रता के शंखनाद में, यहाँ मानगढ धाम जला। गुरु गोविंद की सम्प सभा में, कई भक्तों का चाम जला। संत मावजी की वाणी में, निष्कलंक भगवान सुनों। आँख-कान से दिल-दिमाग से, जय-जय राजस्थान सुनों। कविता के माध्यम से बुद्धिजीवी श्रोताओं की भरपूर प्रशंसा बटोरी। लोकप्रिय हास्य कवि दिनेश देसी घी ने जब अपनी प्रतिनिधि पंक्तियां साउंड अच्छा है इसलिए भारत मां की जय बोलनी पड़ेगी सहित अपनी अनेक हास्य पैरिडियो की धमाकेदार प्रस्तुति दी तो उपस्थित जनसमूह में चारों तरफ़ वन्स मोर वन्स मोर का घनघोर शोर होने लगा। संयोजक कवि पंडित मयंक मीत उपाध्याय ने टूटे सपनों को सजाती है बेटियां, कागज कलम दवात है बेटियां, अपना फर्ज निभाती है बेटियां, महादान कन्यादान है बेटियां सुनाकर अपनी सशक्त उपस्थिति से खूब तालियां बटोरी। नाथद्वारा के हास्य कवि कानू पण्डित ने अपनी हास्य कविताओं से खूब हंसाया। साथ ही अपने गीत बरगद पीपल नीम आम की छांव जरूरी है, इसीलिए अपने भारत में गांव जरूरी है से कार्यक्रम को ऊंचाइयों पर पहुंचाया। सम्मेलन के सूत्रधार कवि विपिन वत्सल सागवाड़ा ने घर-परिवार के बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में अपने सुमधुर गीत आने वाले सालों में कुछ जाने वाले लोग, गांव गली घर की बगिया महकाने वाले लोग, आंगन में तुलसी की पौध लगाने वाले लोग, रोज नियम से पैदल मंदिर जाने वाले लोग की शानदार प्रस्तुति दी। मंच पर उपस्थित राष्ट्रीय कवयित्री सुमित्रा सरल ने अपनी श्रंगार रस की रचनाओं से युवा श्रोताओं को रोमांचित कर दिया। उनके गीत घरवाली लगती है खारी, सबको बाहर वाली प्यारी को लोगों ने तालियों की ताल देते हुए खूब आनंद से सुना। हास्य व्यंग्य के धुरंधर कवि अशोक नागर ने बोल मीठे ना हो तो हिचकिया नहीं आती, कीमती मोबाइल में घंटियां नहीं आती, घर बड़ा हो या छोटा, गर मिठास ना हो तो, आदमी क्या आएंगे चीटियां नहीं आती सुनाकर कवि सम्मेलन की गरिमा बढ़ाई। कवि विद्रोही की कविता ये हाथ साथ है या दिलासा तो नहीं है, बहार की ये बदली कुहासा तो नहीं है, वहाँ दूर कोई तुमको यूँ पुकारता रहा, कोई तुम्हारे प्यार का प्यासा तो नहीं है को श्रोताओं का पुरजोर समर्थन मिला। हास्य कवि बलवंत बल्लू ऋषभदेव ने देश रहे आजाद हमें क्या लेना देना, और करो बरबाद हमे क्या लेना देना, पहले ही फल फूल रहा है भ्रष्टाचार और डाल दो खाद हमे क्या लेना देना व्यंग्य रचना से तालियां बटोरी। बालकवि आगम अतुल शाह ने अपने संक्षिप्त काव्यपाठ से श्रोताओं का दिल जीत लिया। गीतकार विपिन वत्सल ने सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का श्रीगणेश किया। कार्यक्रम का संचालन बलवंत बल्लू ने किया।, इस अवसर पर न.पा.अध्यक्ष आशीष गांधी,पुलिस उपअधीक्षक रूपङ्क्षसह,प्राशु शाह,थाना प्रभारी मदनलाल खटीक,दिनबन्धु त्रिवेदी,पूर्व सांसद कनकमल कटारा,पूर्व ,न.पा.अध्यक्ष हेमन्त पाठक,नरेन्द्र गोवाडिया,प्रद्युमन सारगीया,निरज पंचाल,कुतुबुद्धीन कोठी,विजय पंचाल,सहित कई जनप्रतिनिधी कार्यकर्ता व नगर सहित आस-पास कई गांवो से लोग उपस्थित रहे।

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