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कठपुतली नाटक रामायण का मंचन

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उदयपुर। भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर का 15 सदस्यीय  कठपुतली प्रदर्शन दल द्वारा संत कबीर अकादमी,  मगहर, लखनऊ (उ.प्र.) कला संस्कृति विभाग  (उ.प्र) एवं दयादृष्टि चरिटेबल ट्रस्ट,  बरेली  के संयुक्त तत्वावधान में बरेली में आयोजित दो दिवसीय रामोत्सव कार्यक्रम के पहले दिन दिनांक 24.062024 को भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर  के कलाकारों द्वारा डॉ लईक हुसैन के निर्देशन में रामायण कठपुतली नाटिका का मंचन बरेली के विंडमेयर सभागार में किया ।
भारतीय लोक कला मण्डल उदयपुर के निदेशक डॉ लईक हुसैन ने बताया की रामायण कठपुतली नाटिका रामायण धार्मिक ग्रंथ पर आधारित घटनाओं का संक्षिप्त कथासार है। नाटिका मे भगवान श्री राम के द्वारा राजा जनक द्वारा रचे गये स्वंयवर में माता सीता से विवाह हेतु अयोद्धया जाना । अयोद्धया की जनता द्वारा राम के राज्याभिषेक में खुशी मनाना । उक्त घोषणा की सूचना पर कैकयी मंथरा संवाद और उसके बाद कैकयी द्वारा राजा दशरथ से भगवान श्री राम के लिए 14 वर्षो का वनवास और भरत के लिए राज्य का वचन मांगना। उक्त वचन को पूर्ण करने के लिये भगवान श्री राम, लक्ष्मण और सीता माता 14 वर्ष के वनवास के लिए जाते है। वनवास के दोरान लंका के राजा रावण की बहन सुरपणखंा ने जब राम और लक्ष्मण दोनों भाईयों को देखा तो उसने शादी करने की ठान ली और शादी का प्रस्ताव लेकर व सर्वप्रथम श्री राम के पास गयी तो राम ने आदर पूर्वक निवेदन किया कि मैं तो शादी-शुदा हूॅ तूम मेरे भाई लक्ष्मण से शादी का प्रस्ताव रखों, जब सूरपणखंा लक्ष्मण के सम्मुख शादी का प्रस्ताव रखती है तो लक्ष्मण उसे अस्वीकार कर चला जाता है तो सूरपणखा द्वारा पुन: प्रयास किया जाता है तो क्रोध में आकर लक्ष्मण द्वारा सूरपणखां की नाक काट दि जाती है। इस घटना का जब लंका के राजा रावण को पता लगा तो उसने छल पूवर्क सीता माता का अपहरण कर शादी का प्रस्ताव रखा जिसे माता सीता ने अस्वीकार कर दिया । सीता माता के अपहरण से श्री राम और लक्ष्मण काफी दुखी: हो जाते है वह सीता माता को वन- वन ढूंढते है परन्तु अन्त में हनुमान द्वारा सीता माता का पता लगाया जाता है । उसके पश्चात भगवान श्री राम और रावण के बीच युद्ध होता है ओर रावण का वध कर भगवान श्री राम विजयी होते है।

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