24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर। भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर में आमजन हेतु आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में मेंवाड़ अंचल का प्रसिद्ध गवरी नृत्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है जिसके तहत दिनांक 11 सितम्बर को करनाली गाँव की गवरी के दल ने अपनी प्रस्तुतियों से स्थानिय दर्शकों एवं सैलानियों का मन मोह लिया। भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन एवं आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्था के निदेशक ओ.पी. जैन ने बताया कि जैसा कि सभी जानते है की मेवाड़ अंचल के भील जनजाति समाज द्वारा अपनी बहनों, बेटियों कि समृद्धि, शान्ती तथा पशुधन की सम्पन्नता की कामना को दृष्टिगत् रखते हुए राखी के दूसरे दिन से लगभग 40 दिन तक माँ गौरी की आराधना में गवरी नृत्य नाट्य का पारम्परिक आयोजन किया जाता है। जिसमें गवरी के कलाकार प्रण लेते हैं कि वो 40 दिन तक मांस, मदीरा एवं हरी सब्जियों का उपयोग नहीं करेगें और माँ गौरी से प्रार्थना करेंगे की उनकी बहने, बेटियाँ और उनका परिवार उनका पशुधन खुशहाल रहें। नाटिका में गजानन्द जी, भंमरिया, कालू कीर, भोमला, भियावड़, बादशाह की सवारी, रेबारी का खेल, बालदिया का खेल, बंजारा-बंजारी आदि पात्रों को मंचित किया गया।
कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर प्रज्ञा केवल रमानी, संभागीय आयुक्त, आयुक्त जनजातिय क्षेत्रीय विकास विभाग,उदयपुर, छोगा राम देवासी, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त, उदयपुर, प्रज्ञा सक्सैना, प्रभारी अधिकरी कला एवं संस्कृति विभाग, टी आर आई, डॉ. लईक हुसैन, निदेशक, भारतीय लोक कला मण्डल, ओपी जैन, निदेशक, टी आर आई आदि ने विधिवत पूजा अर्चना एवं मुख्य कलाकारों को माल्यर्पण कर कार्यक्रम की शुरूआत की। इस अवसर पर कमपेयरिंग कर रहे भगवान कच्छावा ने दर्शकों को गवरी के विभिन्न पात्रों के बारे में भी समझाया।
डॉ. हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल में आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित किये जा रहे दो दिवसीय गवरी समारोह में दिनांक 12 सितम्बर 2024 को सोनारिया गाँव की गवरी का मंचन होगा। इसके साथ ही दिनांक 19 एवं 20 सितम्बर 2024 को सहेलियों की बाड़ी तथा दिनांक 23 एवं 24 सितम्बर 2024 को फतह सागर की पाल पर भी गवरी का मंचन होगा प्रात: 10 से सायं 5 बजे तक किया जाएगा जिसमें दर्शकों का प्रवेश नि:शुल्क होगा।
भारतीय लोक कला मण्डल में गवरी नृत्य ने जमाया रंग

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