24 न्यूज अपडेट.जयपुर। राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता की नियुक्ति की है जिससे विवाद पैदा हो गया हैं सरकार ने पांच साल के अनुभव वाले अधिवक्ता पदमेश मिश्रा को नियुक्त किया है। पदमेश मिश्रा सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश के बेटे हैं। पदमेश की नियुक्ति के लिए सरकार ने राजस्थान की लिटिगेश पॉलिसी में भी संशोधन कर लिया। सुप्रीम कोर्ट में पदमेश मिश्रा की नियुक्त से लेकर हाईकोर्ट में विरोध शुरू हो गया है। विरोध बीजेपी लीगल सेल से जुड़े अधिवक्ता कर रहे हैं। बीजेपी लीगल सेल, हाईकोर्ट इकाई के सह संयोजक राजेन्द्र सिंह राघव ने बताया- सरकार सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट में पैराशूट एंट्री से नियुक्तियां दे रही है। इन नियुक्तियों में बीजेपी और संघ से जुड़े अधिवक्ताओं को दरकिनार किया जा रहा है। जो वकील बीजेपी और संघ की विचारधारा रखते हैं लगातार कई सालों से पार्टी का काम कर रहे हैं। उन्हें नियुक्ति से वंचित रखा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट जज के बेटे, कहीं हाईकोर्ट जज, आईएएस के रिश्तेदारों को नियुक्ति दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि हमने इसका विरोध शुरू कर दिया है। विरोध की आगामी रणनीति के लिए संघर्ष समिति का भी गठन किया हैं।
आपको बता दें कि इससे पूर्व हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में एएजी की नियुक्ति के लिए 10 साल की वकालत का अनुभव होना जरूरी था। मगर पदमेश मिश्रा को नियुक्ति देने के लिए सरकार ने नियमों को बदलकर अनुभव की बाध्यता को ही हटा दिया है। राज्य सरकार ने पदमेश मिश्रा को 20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार का पैनल लॉयर नियुक्त किया, उसके तीन दिन बाद 23 अगस्त को नया आदेश निकालकर मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता बना लिया। इसके लिए राजस्थान लिटिगेशन पॉलिसी-2018 के अनुसार पैनल लॉयर के लिए पांच साल का अनुभव चाहिए। पदमेश मिश्रा पात्रता रखते थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर नियुक्ति के लिए 10 साल के अनुभव की बाध्यता थी। नियुक्ति के लिए सरकार ने नियमों में संशोधन कर दिया। उन्हें एएजी के पद पर नियुक्ति दे दी। सरकार ने स्टेट लिटिगेशन पॉलिसी-2018 के अध्याय 14 में संशोधन करते हुए नया बिंदू 14.8 जोड़ा है। अब राज्य सरकार किसी भी अधिवक्ता को किसी भी पद पर किसी भी समय नियुक्ति दे सकती है। नियुक्ति अधिवक्ता की विशेषज्ञता के आधार पर की जाएगी। संशोधन के लिए सर्कुलेशन के माध्मय से मंत्रिमण्डल की मंजूरी ली गई है। मंत्रिमंडल की मंजूरी के अगले दिन 23 अगस्त को ही विधि विभाग ने इसे लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी। इससे पहले राज्य सरकार में विधि मंत्री जोगाराम पटेल के बेटे मनीष पटेल को सरकार ने 12 मार्च को हाईकोर्ट जोधपुर पीठ में अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर नियुक्ति दी थी। इसका भी जमकर विरोध हुआ था। मनीष ने हाल ही में तीन दिन पहले 24 अगस्त को अधिवक्ता मनीष ने इस पद से इस्तीफा दे दिया।
ओह, मीलॉड!!!! जज के बेटे और केवल 5 साल का अनुभव वाले वकील को बना दिया सुप्रीम कोर्ट का एएजी,,,आनन-फानन में बदले नियम….भाजपा-आरएसएस से जुड़े वकीलों ने इसे बताया पैराशूट एंट्री…….विरोध शुरू

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