
24 न्यूज अपडेट उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भी अब निजी कंपनियों की तर्ज पर नवागंतुक चयनित शिक्षकों व कर्मचारियों से बॉण्ड भरवाएगा ताकि वे सशर्त कम से कम पांच वर्ष तक विश्वविद्यालय में सेवाएं दे। इससे पूर्व यदि वे विश्वविद्यालय छोडक़र अन्यत्र जाते हैं तो शिक्षकों से 5 लाख रूपये व शैक्षणिक कर्मचारियों से 2.5 लाख रूपये वसूले जाएंगे। साथ ही सभी कर्मचारी वर्ष में अब केवल दो प्रार्थना पत्र ही अन्यत्र रोजगार के लिए दे सकेंगे। यह महत्वपूर्ण निर्णय सोमवार को आयोजित एमपीयूएटी प्रबंध मंडल की 63 वीं बैठक में लिया गया। कुलपति सचिवालय में कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में मनोनीत सदस्य बेंगू विधायक श्री सुरेश धाकड़, श्री सी.आर. देवासी, प्रगतिशील कृषक श्री विष्णु पारीक, डॉ. अरविन्द वर्मा, डॉ. लोकेश गुप्ता, सदस्य सचिव श्री सुधांशु सिंह, वित्त नियंत्रक श्री विनय सिंह भाटी ने भाग लिया। उपमहानिदेशक डॉ. आर. सी. अग्रवाल (कृषि शिक्षा- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) एवं सचिव कृषि एवं उद्यानिकी विभाग की ओर से डॉ. एस. के. आचार्य ने बॉम की बैठक में ऑन लाइन भाग लिया।
बैठक में और भी कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा कर निर्णय किए गए। एमपीयूएटी का 18 वां दीक्षांत समारोह आगामी 21 दिसम्बर को आयोजित करने का निर्णय किया गया जिसमें माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री हरिभाऊ बागड़े 42 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, 938 स्नातक, 181 स्नातकोत्तर व 62 विद्या-वाचस्पति (पीएचडी) छात्र-छात्राओं को दीक्षा व उपाधियां प्रदान करेंगे।
बैठक में लिए प्रस्ताव में 10 सहायक प्राध्यपकों को सीनियर स्केल में लेने जबकि सीनियर स्केल प्राप्त दो लोगों को एसोसिएट प्रोफेसर बनाने का निर्णय किया गया। इसके अलावा एसोसिएट प्रोफेसर के रूप मेें कार्यरत 32 लोगों को प्रोफेसर पद पर पदोन्नत करने का निर्णय किया गया। इसके अलावा विश्वविद्यालय का वर्ष 2024-25 अनुमानित बजट व वर्ष 2023-24 के अनुमानित संशोधित बजट का अनुमोदन माननीय कुलपति महोदय व सम्मानित सदस्यों द्वारा किया गया।
बैठक में नई दिल्ली से आनॅलाइन जुड़े आईसीएआर मेें उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. आर. सी. अग्रवाल ने कहा कि न केवल शिक्षण बल्कि अनुसंधान, प्रसार एवं नवाचार में एमपीयूएटी राष्ट्र स्तर पर अपनी अलहदा पहचान बनाई है। आईसीएआर द्वारा प्रदत योजनाओं में जिस गुणवत्ता से एमपीयूएटी में काम हो रहा है, देश के अन्य विश्वविद्यालयों को भी सीख लेनी चाहिए। कुलपति डॉ. कर्नाटक की विहंगम सोच और कृषक व आम जनहित में किसी भी कार्यक्रम को धरातल पर उतारने की अद्वितीय क्षमता केे कारण एमपीयूएटी आज नजीर बन चुका है।
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