24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर अब वेटलैंड सिटी के रूप में भी जाना जाएगा। रामसर कन्वेंशन की स्थायी समिति ने उदयपुर और इंदौर को वेटलैंड सिटी की मान्यता दी है। इससे पहले भारत के किसी शहर को यह मान्यता नहीं मिली थी। राजस्थान के उदयपुर और मध्यप्रदेश के इंदौर को यह दर्जा मिला है। यह दर्जा उन शहरों को दिया जाता है, जो अपने वेटलैंड्स के संरक्षण और शहरी विकास में संतुलन बनाकर काम करते हैं। दुनिया के 31 शहरों में अब भारत के ये दो शहर शामिल हैं। झीलों का शहर उदयपुर पांच प्रमुख वेटलैंड्स से घिरा है। पिछोला झील, फतेह सागर झील, स्वरूप सागर, दूध तलाई, रंग सागर, मेनार गांव का बर्ड विपेज, आदि मशहूर हैं। हर साल हजारों प्रवासी पक्षी आते हैं। इसे अलावा उदयसागर भी है। यह वेटलैंड्स न केवल जलवायु को संतुलित करते हैं, बल्कि बाढ़ नियंत्रण, आजीविका और सांस्कृतिक महत्व भी रखते हैं। उदयपुर जिला प्रशासन ने नगर निगम और वन विभाग के सहयोग से राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा था जिसे केंद्र सरकार ने यूनेस्को के तहत रामसर कन्वेंशन को भेजा। अब झीलों की सफाई, अतिक्रमण रोकने और गंदगी को खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास होंगे। झीलों में बैकवॉटर टापू बनाए जाएंगे, जहां प्रवासी पक्षियों के लिए ठिकाने होंगे। इन कार्यों के लिए केंद्र और राज्य सरकार से अतिरिक्त फंड भी मिलेगा।
यह दर्जा मिलने से उदयपुर शहर को नई अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी। अन्य शहरों के लिए प्रेरणा बनेगा। टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विशिष्ट बनाता है। यह कदम झीलों की नगरी को संरक्षित करते हुए टूरिज्म और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए नई संभावनाएं खोलेगा।
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