कांग्रेस का घर छोड़ भाजपा में शामिल हुए ‘जंवाई राजा’, बोले-सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकता
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24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। आज सुबह यह खबर उदयपुर ही नहीं पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई कि उदयपुर के जंवाई राजा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से लडकर हार का स्वाद चख चुके प्रोफेसर गौरव वल्लभ भाजपाई हो गए हैं। गौरव ने पहले ट्विट किया जिसमें उन्होंनें सनातन को मुद्दा बनाया। उसके बाद दोपहर में वे भाजपा के महासचिव विनोद तावड़े की मौजूदगी में भाजपा का भगवान दुपट्टा पहन लिया। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लेटर लिखकर इस्तीफा दिया था। गौरव ने खड़गे को लिखा कि वे न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकते हैं और न ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकते हैं। इसी वजह से पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस के बॉक्सर विजेंदर सिंह ने यह कह कर कांग्रेस छोडी कि मैं जब उठा तो लगा कि गलत जगह पर हूं, फिर मैं भाजपा में आ गया। उसके बाद पत्रकार व पूर्व सांसद संजय निरुपम भी कांग्रेस को विदा कह गए। उदयपुर में विधानसभा चुनाव में गौरव वल्लभ को भाजपा के ही ताराचंद जैन से 32 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी। तब भी गौरव ने भाजपा प्रत्याशी पर सनातन को लेकर खूब प्रहार किए थे। उसके केवल चार महीने बाद अब उन्हें कांग्रेस का सनातनी रूख आखिर कैसे बदल गया यह सवाल उठ गया। इसके अलावा भाजपा प्रवक्ता के साथ उनकी नोकझोंक को लेकर भी सोशल मीडिया पर खूब मीम चल पडे। वे वीडियो भी शेयर किए जा रहे हैं जिसमें गौरव वल्लभ भाजपा की जमकर आलोचना कर रहे हैं व प्रधानमंत्री की नीतियों पर निशाना साध रहे हैं। आपको याद होगा कि गौरव वल्लभ एक टीवी डिबेट से चर्चा में आए थे। तब उन्होंने भाजपा प्रवक्ता से पूछा था कि ट्रिलियन में कितने शून्य होते हैं, ये तो बता दीजिए।
हार के बाद से खफा थे गौरव
गोरव वल्लभ ने उदयपुर की कांग्रेस को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए सीधा आलाकमान से टिकट पा तो लिया मगर यहां पर वे बूथ स्तर तक मैनेजमेंट नहीं कर सके। विधानसभा चुनाव में अर्थ की गंगा खूब बहाई व मीडिया मैनेजमेंट भी खूब किया लेकिन उसका असर सोशल मीडिया तक ही रहा। इसके अलावा उनका जातिगत गोलबंदी का गणित भी भाजपा की चतुर रणनीति के चलते गडबडा गया। उनको सबसे अधिक उम्मीद इसी जातिगत गोलबंदी से थी लेकिन उसमें कुछ लोग साथ होते हुए भी भाजपा के पाले में भितरघात कर गए। हारने के बाद भी प्रो. गौरव ने एकाध कोशिशें फिर से पांव जमाने के लिए की मगर सफल नहीं हुए। वे एक वार्डवार यात्रा भी निकालना चाहते थे, बिना स्थानीय लीडरशिप को इन्फोर्म किए। मगर यह हो नहीं सका और आखिर में उसी लॉबी के कहने पर उन्होंने भाजपा ज्वाइन की जिस लॉबी ने उन्हें यहां पैराशूट प्रत्याशी के रूप में उतारने में मदद की थी। उस लॉबी को लग गया कि यदि अभी भाजपा के जहाज में नहीं बैठे को कहीं बाद में पछताना न पडे।
यह लिखा इस्तीफे में
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि, ’पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं। जब मैंने कांग्रेस पार्टी जॉइन की तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। वहां सभी के आइडिया की कद्र होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है और वह नए भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही। इसी वजह से पार्टी न तो सत्ता में आ पा रही है और न ही मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा पा रही हैं। बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है, जो राजनैतिक रूप से जरूरी है। जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता, तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है।’
श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस के स्टैंड से परेशान हूं
’अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं परेशान हूं। मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं। पार्टी और गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं और पार्टी का उस पर चुप रहना स्वीकृति देने जैसा है। इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है। एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं। यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक खास धर्म विशेष का हितैषी होने का संदेश दे रही है। यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।’
दो बार चुनाव हारे
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस ने गौरव वल्लभ को उदयपुर सीट से उतारा था। उनके लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव प्रचार किया था। इसके बावजूद वे बाहरी प्रत्याशी ही माने गए और वोटरों को नहीं लुभा पाए व भाजपा के ताराचंद जैन से 32 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए थे। इससे पहले 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गौरव को जमशेदपुर पूर्वी सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ मैदान में उतारा था। तब भी वे जीत नहीं पाए थे।

