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24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। उदयपुर और राजसमंद सीमा पर राया गांव का आईटीसी मेमेंटोज होटल रिसोर्ट इन दिनों सुर्खियों में हैं। इसकी जमीन को लेकर गांव से लेकर हाईकोर्ट और नेशनल ग्रनी ट्रिब्यूनल तक लंबी जंग चल रही है। इस जंग में कई चेहरे सामने दिख रहे हैं तो कई प्रशासनिक और राजनीतिक चेहरे जो मोहरे की तरह काम कर रहे थे, अब भी पर्दे के पीछे से खेल खेल रहे हैं। सरकार पलटने पर उनकी चाल भी बदलती हुई दिख रही है। पिछले दिनों जमीन के एक हिस्से के मालिक कपिल सुराणा पर हमले के बाद स्थितियां और गंभीर हो गईं है। हमले के आरोपी कल्याणसिंह झाला को कल ही हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार कर उदयपुर कोर्ट में पेश किया गया जहां से एक दिन का रिमाण्ड दिया गया। आज रिमाण्ड अवधि खत्म होने के बाद झाला को 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया। झाला की पत्नी ने बड़े आंदोलन की चेतावनी देते हुए सर्व समाज से कल कलेक्ट्रेट पर विरेध प्रदर्शन का आह्वान किया है। उनका कहना है कि यह भीलों के हक के लिए लड़ रहे राजपूत समाजसेवी के स्वाभिमान का मामला है। इस मामले में आज कपिल सुराणा पुत्र महेंद्र सुराणा की ओर से प्रेसवार्ता कर मीडिया के सामने कई तथ्य रखे गए। सुराणा का कहना है कि मामला ना तो जमीन से जुड़ा है ना कोई दूसरा। आदिवासियों को बंदूक की नोक पर जमीनें हड़प ली गईं व एनिकट बना कर मावली और घासा के पानी रोकने का महापाप किया गया है। वे उनकी लड़ाई लड़ रहे है। हाईकोर्ट और एनजीटी के आदेशों की भी खुली अवहेलना हो रही है। जल संसाधनर विभाग और जिला प्रशासन 1947 से पहले की स्थिति बहाल करे। प्रशासन सरकार बदलने के बाद अब जाकर हरकत में आया है व कार्रवाई हो रही है तो उन पर जानलेवा हमले किए जा रहे हैं। मामला राजपूत समाज का भी नहीं है क्योंकि खुद कई राजपूत समाज के लोग पीड़ित हैं व उन्होंने फोन कर कपिल सुराणा को बताया कि आप सही हैं व हम आपके साथ हैं। सुराणा ने पत्रकारों को बताया कि अपनी पुश्तैनी जमीन को लेकर वह हक की लड़ाई जीत चुके हैं। जोधपुर उच्च न्यायालय में उनके ओर से दायर वाद में उनके पक्ष में फैसला हुआ व जिला प्रशासन को सीमाज्ञान के निर्देश हुए। इससे स्पष्ट हो चुका है कि आईटीसी मेमेंटोस रिसोर्ट में जाने का अब कोई भी रास्ता नहीं है। आईटीसी रिसोर्ट में प्रवेश का मार्ग, पुलिया का कुछ हिस्सा, पार्किंग, रिसेप्शन का आधा भाग उनकी जमीन पर निर्मित किया गया है। इस कारण उन पर लगातार दबाव वनाया जा रहा है कि पुस्तैनी जमीन को छोड़ दें। पिछले 10 वर्षों के अथक प्रयास के बाद अब जाकर जो परिणाम उनके पक्ष में आए हैं उनसे बौखला कर विजेंद्र चौधरी एवं लक्ष्मण सिंह झाला द्वारा उन पर एक पखवाड़े के भीतर 2 बार जानलेवा हमले करवाए गए व उन्हें डर है कि आने वाले समय में भी उन पर इसी तरह से हमले हो सकते हैं जिसके लिए उन्होंने पुलिस सुरक्षा की भी मांग की है। सुराणा ने कहा कि जिन भू माफियाओं ने अपने आप को गरीबों के मसीहा एवं सुख दुख में साथ देने वाला स्वयंभू घोषित किया है उनके सारे काले कारनामों का चिट्टा उनके पास है। इस प्रोजेक्ट से गरीब आदिवासी बेघर हो चुके हैं उन्हें हक दिलवाने का प्रयास कर रहा हूं। उनकी जमीन पर करोड़ों का बैंक लोन भी उठा लिया गया है।
आपको याद दिला दें कि कल लक्ष्मण सिंह झाला के परिजनों ने सुराणा पर फायरिंग करवाने, जमीन पर कब्जा करने तथा गरीब आदिवासियों को जिला प्रशासन की मदद से परेशान करने का आरोप लगाया था व पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए थे कि सुराणा पर मुकदमा कर उनकी गिरफ्तारी आखिर क्यों नहीं की गई। इस पर आज सुराणा ने कहा कि यह कहना गलत है कि झाला का रिजॉर्ट मालिक विजेंद्र चौधरी से कोई वास्ता नहीं है। यदि वास्ता नहीं है तो फिर 450 बीघा भूमि रिसोर्ट मलिक के साथ में क्यों खरीदी गई। यह भूमि आदिवासियों पर अत्याचार कर उन्हें डरा धमका कर हड़प ली है। सुराणा ने कहा कि रिसोर्ट का आवंटन पूरी तरह फर्जी तरीके से हुआ वह सरकारी जमीन पर कब्जा है।
नाले को पाट दिया, मावली का पानी रोक दिया
सुराणा ने कहा कि प्राकृतिक नाले को सकड़ा कर 2 किमी तक भराव डाल कर अवैध रूप से रोड का निर्माण किया गया है। जिसकी शिकायत ग्राम पंचायत, पूर्व विधायक धर्म नारायण जोशी भी दो साल पहले कर चुके हैं। अभी भी सड़क यथावत हैं ताकि मावली के गंधर्व सागर को विलुप्त होने से बचाया जा सके। उन्होंने तथ्य रखा कि पहले सेवा मंदिर की ओर से उनके ही परिवार के आग्रह पर ऐनिकट बनाया गया था जो स्थानीय पानी की जरूरतों के हिसाब से था। अब सौंदर्यीकरण के नाम पर रिसोर्ट मालिक ने उंचाई 2 मीटर तक बढ़ा दी जिससे नीचे कूवे सुख चुके हैं। इस एनिकट पर पहले आदिवासी मवेशी को पानी पिलाने जाते थे मगर अब प्रवेश निषेध हो गया है। पूरे मामले में खास बात यह है कि जब यह मामला शुरू हुआ तब उदयपुर कलेक्टर राजसमंद के कलेक्टर थे जो उदयपुर कलेक्टर की रिपोर्ट पर रिएक्ट कर रहे थे और अब वे उदयपुर के जिला कलेक्टर हैं। इसके अलावा कांग्रेस सरकार के कुछ मंत्रियों के नाम भी पर्दे के पीछे से लिए जा रहे हैं। कटारिया का सुराणा के पक्ष में प्रशासन को खत लिखना भी अब विरोध का विषय बन गया है। इसके अलावा अब इस मामले में राजपूत बनाम जैन एंगल भी तलाशा जा रहा है जिसको लेकर प्रशासन चिंतित है व प्रेसवार्ता में पुलिसवालों की मौजूदगी को इसी रूप में देखा भी गया।
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