24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की तैयारियों के लिए श्रमिक संगठनों की सयुक्त समन्वय समिति की बैठक, का. शमशेर सिंह नंदवानी की अध्यक्षता में शिराली भवन में हुई। बैठक में सभी श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर तय कर 1मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर प्रातः बजे टाउन हाल से जिला कलक्ट्रेट उदयपुर तक रैली निकालने का निर्णय लिया गया । रैली टाउन हाल से सुरजपोल, बापू बाजार, देहली गेट होते हुए, कलक्ट्रेट उदयपुर पर पहुंचेगी जहाँ आमसभा कर मजदुरों की मांगों का ज्ञापन दिया जाएगा। रैली की तैयारियों के लिए विभिन्न साथियों की अलग -अलग जिम्मेदारी सौपी गई। केंद्रीय श्रमिक संगठनों की समन्वय समिति के संयोजक पी एस खिंची ने बताया कि श्रमिक संगठनों के मांगपत्र की कुछ मांगों को इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में शामिल किया है। पक्की नौकरी, श्रमिक कानूनों का सवाल, किसानों को एम एस पी की गारंटी, सरकारी क्षेत्र में खाली पदों को भरने जैसे सवाल वामपंथी, कांग्रेस तथा अन्य दलों ने घोषणा पत्र में जगह दी है जबकि सताधारी भाजपा ने श्रमिकों के मुद्दों की अनदेखी की है। सीटू जिला संयोजक राजेश सिंघवी ने बताया कि मजदूर संगठनों ने देशभर में राजनैतिक अभियान चलाकर किसान – मजदुर एकता को कायम किया है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस भी मजदुरों का अंतर्राष्ट्रीय त्यौहार है ,जिसमें शिकागो शहीदों की कुर्बानी को याद करते हुए, भविष्य के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। एटक नेता हिम्मत चांगवाल ने कहा कि सरकारें मजदुरों से काम और वोट दोनों लेकर, बड़े पुंजीपपतियों के पक्ष में खड़ी है। वर्तमान मोदी सरकार ने साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिये मजदुरों में बंटवारे का प्रयास किया है। घरेलू कामगार महिला संगठन की सिस्टर कीर्ति ने कहां कि महिलाओं को मजदुर व महिला के दोहरे शोषण का शिकार होना पड़ता है।
बैठक में मजदुरों से संबधित 21सुत्री मांगपत्र
1-मज़दूर वर्ग विरोधी चारों श्रम सहिंताएँ रद्द करें और मज़दूरों के कल्याण के लिए बनाये 44 श्रम क़ानून बहाल करें!
2-हाल ही में लोकसभा में विपक्ष को बाहर निकाल ‘हिट एवं रन ‘के नाम पर ड्राइवरों को 10 साल की सजा ब सात लाख के जुर्माने का सभी प्रकार के वाहन चालकों पर भारतीय न्याय संहिता में किया गया प्रावधान वापस लें।
3- सभी श्रमिकों को (स्कीम विर्कर्स, अंगनवाड़ी, आशा , मिड डे मील वर्कर्स सहित)26,000 रुपये न्यूनतम मज़दूरी दें और 10.000 रुपये मासिक पेंशन दें।
4- ठेका प्रथा बंद करें, ठेके पर नियुक्त सभी कर्मचारियों को नियमित करें तथा उन्हें अवकाश सहित तमाम परिलाभ दें।
5-किसानों की तमाम फसलों के उत्पाद का स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश के अनुसार क्रय मूल्य निर्धारित कर ,फसल ख़रीदी एवं भुगतान की क़ानूनी गारंटी करें।
6- सभी गरीब और मध्यम किसानों तथा खेतिहर मज़दूरों का एक बारगी समस्त कर्जा माफ़ करें और सभी को 60 वर्ष की आयु के पाश्चात् 10000 रुपये मासिक पेंशन दें।
7- सभी लोगों को रोज़गार की गारंटी दो, मनरेगा में 200 दिन का काम और 600 रुपये प्रतिदिन मज़दूरी का भुगतान करो। इसी पैटर्न पर राष्ट्रीय शहरी रोज़गार योजना का भी क़ानून बनाओ।
8- सार्वजनिक उपक्रमों और सेवाओं का निजीकरण बंद करो। राष्ट्रीय मुद्रिकरन पाइपलाइन नीति को निरस्त करें।
9-आम उपभोक्ता वस्तुओं के दामों और महंगाई पर रोक लगाओ। सभी खाद्य पदार्थों एव आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी समाप्त करो। पेट्रोल, डीज़ल, किरोसीन रसोई गैस पर केंद्रित उत्पाद शुल्क कम कर सभी को 450 रुपये में गैस सिलेंडर और 60- 70 /लीटर में डीज़ल पेट्रोल उपलब्ध कराओ।
10- सार्वभिमोक राशन वितरण प्रणाली लागू कर आवश्यक 14 वस्तुओं को इसमें शामिल करो तथा आयकर के दायरे से बाहर सभी परिवारों भोजन एवं आय सुनिश्चित करो।
11- सभी नागरिकों के लिए मुफ़्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं चिकित्सा सरकार सुनिश्चित करे।
12- सभी ग़रीबों के लिए समुचित आवास व्यवस्था सुनिश्चित करें।
13- पुरानी पेंशन बहाल करो और नयी पेंशन योजना तत्काल बंद करो।
14- वन अधिकार क़ानून का समुचित पालन और वन क्षेत्रों में क़ब्ज़े की पूरे रकबे के पत्ते दो। वन क्षेत्रों में रह रहे आदिवासियों को वन भूमि से बेदख़ल करना बंद करो। वन क्षेत्रों में पूँजीपतियों की घुसपैठ कराने की लिए वन संरक्षण (संशोधन) अधिनियम , 2022 वापस लो।
15- घरेलू कामगारों को श्रमिक का दर्जा और सम्मान दो तथा पंजीयन,न्यूनतम वेतन, अवकाश तथा शरीरिक -मानसिक उत्पीड़न से क़ानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करो।
16- आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख़्यकों और तमाम गरीब -वंचित और कमजोर तबकों पर अत्याचार बंद करो।
17- फुटपाथ एवं ठेला व्यवसायी- मज़दूरों की सोंदर्यकरण और यातायात बाधा हटाने के नाम पर बेदखली और मनमानीपूर्ण ग़ैर क़ानूनी उजाड़ने की कार्यवाही पर रोक लगाओ।
18- भारतीय न्याय संहिता में नये संशोधनों के तहत पुलिस किसी भी व्यक्ति से पूछताछ के नाम पर थाने में 7 से 15 दिन रखने का दिया गया अधिकार औपनिवेशिक अंग्रेजों द्वारा बनाये गये क़ानून से भी ज़्यादा ख़तरनाक और कठोर है, यह नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के ख़लिफ़ है, इसे वापस लिया जाये।
19- श्रम विभाग निर्माण मजदूरों की सभी योजनाओं का रजिस्ट्रेशन 30 दिन की अवधि में पूरा करे, और शुभ शक्ति योजना सहित तमाम कल्याण योजनाओं का लाभ देना सुनिश्चित करे। सेस वसूली में गति लायी जाये और निर्माण मज़दूर कल्याण राशि अन्य मदों में ट्रांसफ़र कर दुरुपयोग बंद करे ।
20- चुनाव आयोग सहित तमाम संवैधानिक संस्थाओं पर दवाब और हमला बंद कर इनकी स्वायत्त बहाल कर राजनीतिक दुरुपयोग बंद करे।
21- सभी नागरिकों की बिना धर्म-जाती के भेदभाव किए स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूलभूत संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करो। गरीब , दलितों,आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने और बोलने वाले जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा करें!
इस अवसर पर हीरालाल सालवी, एन.एल.विजय (रेलवे) , डॉ.चंद्रदेव ओर(ऐक्टू),अजय तिवारी, बृजेश चौधरी ( मेडीकल) जावेद खान , रघुनाथ सिंह भाटी, मुन्नवर खान ( निर्माण मजदूर) विजय वर्मा, पुनमचंद प्रजापत (क्रेडिट कोपरेटिव संघर्ष समिति) सिस्टर कीर्ति (महिला कामगार संगठन) ,पवन बैनीवाल ( डीवाईएफआई) उपस्थित थे।
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