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शिल्प उत्सव : जनजातीय व लोक कलाओं के मुखौटे बनेंगे आकर्षण का केंद्र, देशभर के 15 आर्टिस्ट 3-6 फीट के मास्क तैयार कर रहे

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24 न्यूज अपडेट उदयपुर. उदयपुर में इन दिनों 21 दिसंबर से शुरू होने वाले शिल्पग्राम उत्सव की तैयारियां जोरो शोरो से चल रही है। झोपड़ियों की मरम्मत, रंगाई- पुताई के बाद अब मांडना उकेरे जा रहे हैं। इस बार शिल्पग्राम में पर्यटकों के आकर्षण के लिए कई तरह के नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे वे अपनी लोक कलाओं को और बेहतर तरीके से समझ सकें। इसी के तहत पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से शिल्पग्राम में 10 दिवसीय मुखौटा निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देशभर की लोक कलाओं पर आधारित मुखौटे बनाए जा रहे हैं। यह शिल्पग्राम उत्सव में पूरे परिसर में प्रदर्शित किए जाएंगे, ताकि पर्यटक इन्हें देख सकें।24 न्यूज अपडेटउदयपुर में इन दिनों 21 दिसंबर से शुरू होने वाले शिल्पग्राम उत्सव की तैयारियां जोरो शोरो से चल रही है। झोपड़ियों की मरम्मत, रंगाई- पुताई के बाद अब मांडना उकेरे जा रहे हैं। इस बार शिल्पग्राम में पर्यटकों के आकर्षण के लिए कई तरह के नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे वे अपनी लोक कलाओं को और बेहतर तरीके से समझ सकें। इसी के तहत पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से शिल्पग्राम में 10 दिवसीय मुखौटा निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देशभर की लोक कलाओं पर आधारित मुखौटे बनाए जा रहे हैं। यह शिल्पग्राम उत्सव में पूरे परिसर में प्रदर्शित किए जाएंगे, ताकि पर्यटक इन्हें देख सकें।

कार्यशाला में उदयपुर सहित बूंदी, गुजरात, मुंबई, तेलंगाना से आर्टिस्ट अपने हुनर से ट्रेडिशनल मास्क निर्मित कर रहे हैं। सभी कलाकार फाइबर, लोहे और पेपरमेशी के माध्यम से 3 से 6 फीट के मास्क तैयार कर रहे हैं। इसमें मिट्टी, कपड़े, बांस, बांस की टोकरी, कागज, लकड़ी का बुरादा, इमली के बीज का आटा, सुतली, फेवीकोल आदि का उपयोग किया जा रहा है। इन्हें अंत में विभिन्न रंगों और से सजाया जाएगा। लोक कलाकारों और जनजातीय समुदायों से संबंधित मुखौटों को बारीकी से उकेरा जाएगा। शिल्पग्राम में ये ऐसी जगह लगाए जाएंगे, जहां ज्यादा से ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं। हालांकि, इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि इन पर मौसम वातावरण का असर न पड़े। ताकि यह लंबे समय तक सहेजे जा सकें। शिल्पग्राम उत्सव खत्म होने के बाद इन्हें म्यूजियम में भी सजाया जा सकेगा। इसमें आर्टिस्ट गवरी, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, चेरियाल कला मास्क, हिडिंबा, कथककली, तायम, ओणम समुदाय, बस्तर समुदाय आदि के मुखौटे बना रहे हैं।

ज्यादातर में पुरुष और स्त्री दोनों के मुखौटे बना जा रहे हैं। इसमें देशभर से 15 आर्टिस्ट शामिल हुए हैं और सभी दो-दो मुखौटे बनाएंगे। इसमें सोनाली संदीप चौधरी, रामदेव मीणा, पवन, गौरव शर्मा, डी सौम्या, अर्जुन परमार, चिंतन टंडन, राजेश यादव, आदित्य धाभाई, रमेश आसीदा, शुचि मेहता आदि कलाकार शामिल हैं। बता दें, इनके अलावा हाल ही में 12 राशियों पर आधारित स्कल्पचर भी तैयार हुए हैं। इन्हें मुक्ताकाशी रंगमंच के क्षेत्र में प्रदर्शित किया जाएगा।

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