रिपोर्ट-जयवंत भैरविया, पत्रकार व आरटीआई एक्टिविस्ट
24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर। एक झील है पिछोला, कागजों की उसकी मालिक नगर निगम है। उसमें चलती है बोटे। इनमें से कुछ तो झील किनारे और झील के बीच में स्थित होटलों की हैं तो बाकी सब नगर निगम की ओर से तय किए गए ठेकदार की। सभी बोटों के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। ये लाइसेंस उनको आरटीओ से मिलता है और हर नाव के आरटीओ रजिस्ट्रेशन नंबर अलॉट होते हैं जैसे कि आम तौर पर वाहनों के होते हैं। उनका भी समय समय पर रिन्यूअल करवाना पड़ता है व टेक्स भरना पड़ता है। इसके कुछ नियम भी है। आरटीओ कहते हैं कि रात को कोई भी बोट नहीं चलाई जा सकती। नगर निगम कहती है एचआरएच ग्रुप और लेक पैलेस रात्रिकालीन संचालन कर सकता है। इन दोनों में से कौन सही है इस प्रश्न का समाधान जिला प्रशासन को करना चाहिए। अब जब झीलों में बड़े होटलों की नावें हैं तो उनके साथ वो सब लग्जरी और बुराइयां स्वाभाविक रूप से शामिल हो गई है जो लाइसेंस की शर्तों में शामिल नहीं है। जैसे कि लग्जरी नावों पर विशेष प्रकार का निषिद्ध पेय पदार्थ परोसा जाना। इसके साथ ही लग्जरी बोट पर पार्टियां व डीनर करना जबकि आरटीओ की ओर से स्वीकृति केवल आवागमन के साधन के रूप में ही दी गई है। मगर बड़ी होटलें सोशल मीडिया पर अपने विज्ञापनों में तारों से जगमगाती रात में संगीतमय प्रस्तुतियों के साथ लंच व डीनर की सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। इसके साथ ही स्पा सुविधाएं भी दे रही है। शादी ब्याह की फेसिलिटी भी दे रही है। म्युजिकल पार्टियों के भी ऑफर हैं। खास बात ये है कि इसी झील का पानी उदयपुर के लोग पी रहे हैं। यहां का पानी जलदाय विभाग की ओर से सप्लाई किया जा रहा है।
बोट को लेकर इतने सारे विरोधाभासों को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट और पत्रकार जयवंत भैरविया ने आरटी, आबकारी विभाग व नगर निगम में आरटीआई लगा कर कुछ जानकारियां जुटाई। इनके जवाब काफी दिचलस्प है। भैरविया ने होटल वालों की बोट जिसमें गणगौर बोट भी शामिल है उसमें लंच, डीनर, शादी ब्याह, म्यूजिकल पार्टी शराब परोसने संबंधित सूचना आबकारी विभाग व आरटीओ से मांगी तो दोनों ने ऐसी कोई स्वीकृति जारी करने से मना कर दिया। आरटीओ ने रियासतकालीन गणगौर के अस्तित्व से ही इनकार कर दिया। दूसरी ओर आबकारी विभाग ने कहा कि गणगौर बोट में कोई भी आपत्तिजनक वस्तु नहीं पाई गई। आबकारी विभाग ने सारी होटलों की बोट की जांच तो की लेकिन उनको यह भी नहीं मालूम चला कि उनके आरटीओ नंबर क्या थे। आबकारी विभाग के पास अपनी स्वयं की कोई बोट नहीं थी इसलिए उन्होंने बोट वैकल्पिक व्यवस्था कर जांच की। जबकि सोशल मीडिया पर जो फोटो आ रहे हैं वे अलग अलग बोट्स में अलग अलग कार्यक्रम होने की कहानी बयां कर रहे हैं। अब आबकारी विभाग ने आखिर अपनी जांच में उन बोट के नंबर क्यों नहीं लिए जिनकी उन्होनें जांच की। क्या किसी का दबाव था या फिर उपर से मामले को मैनेज करने के लिए फोन आ गया था? जांच टीम में जिला आबकारी अधिकारी, सहायक आबकारी अधिकारी, आबकारी निरीक्षक खैरवाड़ा, आबकारी निरीक्षक वृत उदयपुर पश्चिम मय जाब्ता की मौजूदगी रही। जांच टीम ने उदय विलास, लीला पैलेस, आमेट हवेली, जगत निवास, लेक पिछोला, लेक पैलेस, उदय कोठी, सहित कुछ होटलो की बोट्स में मदिरा भंडारण, विक्रय अथवा परोसे जाने के संबंध में जांच रिपोर्ट तैयार की। नगर निगम ने केवल एचआरएच समूह व लेक पैलेसे की बोटों के रात्रिकालीन संचालन की जानकारी दी जबकि अन्य सूचनाओं को आरटीओ व झील प्रशासन से संबंधित बता दिया। अब झील प्रशासन कौन है यह बड़ा सवाल है। अगर पाठकों को पता है तो वे हमें जरूर सूचित करें। सवाल यहां ये है कि अगर झील के मालिक को ही नहीं पता है कि झील में कितनी बोटें चलती हैं तो फिर वो उस झील का मालिक क्यों हैं? जबकि जनता ने उसको यह जवाबदेही दी हुई है। वह केवल पल्ला झाड़ कर अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता।
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