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घोंचेबाज सावधान!!! एलिवेटेड फ्लाई ओवर पर नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई केवियट

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24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। जी हां, आप सच सुन रहे हैं। नगर निगम सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंच गई है व वहां पर पहले से कोर्ट के सामने केवियट लगा कर खड़ी हो गई है। कोर्ट से कहा है कि यदि कोई एलिवेटेड फ्लाई ओवर पर मुकदमा लेकर आए तो दर्ज करने से पहले माई लॉड आप हमको सुनियेगा। यह सब मुमकिन हुआ है भाई साहब के कारण। भाई साहब की सक्रियता इसलिए है क्योंकि उनको डर है कि कहीं उप महापौर साहब किसी को डमी बना कर सुप्रीम कोर्ट में खड़ा ना कर दें। उप महापौर ने जैसे तेवर दिखाए हैं उसके बाद तो हालत भाजपा की पारस सिंघवी के प्रति हाल – ‘‘आपसे नहीं, आपके प्यार से डर लगता है’ जैसी हो गई है। पॉलिटिकल रस्साकशी के बीच शह और मात का खेली खेलने की रणनीति रची जा रही है। अभी दो दिन पहले ही हाईकोर्ट में जीत का जश्न मनाया था भाजपा ने मगर उसके बीच में यह डर कैसे पनप गया कि कोई सुप्रीम कोर्ट चला जाएगा। भाजपा के समर्थन में कहा जा रहा है कि यह प्रयास जरूरी है ताकि किसी भी रूप में विरोधियों को या घोंचेबाजों को आगे मौका ना मिली सके।
केवियट की जिम्मेदारी माननीय सर्वोच्य न्यायालय नई दिल्ली की विद्वान अधिवक्ता अरूणा गुप्ता को दी गई है। उनको बताया गया है कि जमना शंकर दवे व ओमप्रकाश खत्री व अन्य बनाम राजस्थान राज्य मे उच्च न्यायालय जोधपुर के निर्णय दिया है जो निगम के पक्ष में आ गया है। ऐसे में प्रस्तावित ऐलिवेटेड फ्लाई ओवर से संबंधित याचिक सुप्रीम कोर्ट में आ सकती है। निगम के हितों को प्रोटेक्ट करने के लिए केवियट दायर की जाएगी।
आपको बता दें कि 137 करोड के फ्लाई ओवर के निर्माण में सारी बाधाएं दूर होने के बाद भूमि पूजन में उप महापौर का नहीं आना चर्चा का विषय बन गया। उप महापौर की ओर से बाद में कहा गया कि वे जरूरी पारिवारिक काम की वजह से नहीं आए। अगले दिन चेम्बर खाली करके चले गए अपना सामान ले गए। पी-ऑन से कह दिया कि महापौर साहब से कह देना कि मेरा कार्यकाल खत्म हो गया। इसके बाद अगले दिन उनको मनाने का ड्रामा खेला गया। याने पहले रूठने व बाद में मनाने का ड्रामा। सिंघवी मान तो गए मगर चैंबर में आकर कुर्सी पर नहीं विराजे। कहा कि मैं पार्षद अब हूं नहीं, बल्कि था। कार्यकाल खत्म हो गया। उसके बाद वे गोधरा दंगों पर बनी फिल्म देखने भी नहीं आए। पॉलिटिकल रस्साकशी के बीच जनता हतप्रभ है कि ये चल क्या रहा है। जहां पर भूमि नहीं है वहां पर भूमि पूजन हो रहा है। मामले में कभी स्टे नहीं लगा लेकिन लोग दहाड दहाड कर कह रहे हैं कि स्टे था। लोग पूछ रहे हैं कि भाई पूजन हो गया, अब काम कब शुरू करोगे लेकिन उसके अते-पते नहीं है। कुल मिला कर मामला बहुत ही दिलचस्प हो गया है।

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