
24 न्यूज अपडेट उदयपुर। लगभग एक महीने पहले पॉलिटिकल माइलेज लेने की चाहत में भूमि पूजन की जल्दबाजी करने के बाद आज जाकर एलिवेटेड रोड के काम का विधिवत शुभारंभ किया गया। विधायक ताराचंद जैन, फूल सिंह मीणा, निवर्तमान महापौर गोविंद सिंह टांक ने मशीनों का पूजन कर विधिवत रूप से एलिवेटेड रोड का काम शुरू करवाया। नगर निगम आयुक्त रामप्रकाश, निगम के अतिरिक्त मुख्य अभियंता मुकेश पुजारी और निर्माण समिति के सदस्य मुकेश शर्मा सहित निवर्तमान पार्षदगण ठेकेदार कंपनी के कर्मचारी मौजूद रहे।
अब इस काम के टेण्डर में शर्त के अनुसार टेण्डर के एक महीने में नगर निगम को संबंधित कंपनी को रेलवे से परमिशन लाकर देनी होगी। यह एक महीना लगभग होने आया है। ऐसे में यदि तुरंत निगम ने रेलवे की परमिशन लाकर ठेकेदार को नहीं दी तो ठेकेदार मुआवजे की मांग कर सकता है। इसके साथ ही एक महीने में पूरे के पूरे रोड को जहां पर काम होना है, उसको अतिक्रमण से मुक्त करके ंठेकेदार कंपनी को पजेशन सौंपना भी शर्त में शामिल है। लेकिन जमीन पर अब तक कोई काम नहीं हुआ है। ऐसे में यह नहीं सौंपा तो कंपनी मुआवजा मांग लेगी। नगर निगम इस काम के उद्घाटन में जितनी चुस्त थी, मगर अन्य कामों में सुस्ती दिखा रही है। अब तक कोई भी पब्लिल्क अवेयरनेस कैंपेन नहीं चलाया गया है। यहां तक कि एलिवेटेड फ्लाई ओवर की डिजाइन के अनुसार डिमार्केशन भी नहीं हुआ है कि पिलर कहां से कहां तक आएंगें। व्यस्त बाजार व रास्तों के वैकल्पिक मार्ग भी नहीं तय हुए हैं। इससे यह तो साफ हो रहा है कि पब्लिक पार्टिसिपेशन इस काम में बहुत कम ही रहने वाला है। नेता और अफसर मिल कर जनता की रायशुमारी के बगैर जनता को हांकते हुए काम को आगे बढ़ाने वाले हैं। अब लगता है कि आनन फानन में डंडे के जारे पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाएगा जिससे आमजन को तकलीफ होना तय है। सवाल उठेंगे इस पर भी क्योंकि यह काम तो पिछले एक महीने मे ंभी किया जा सकता था। एलिवेटेड रोड की शर्तों के अनुसार अब ठेकेदार नगर निगम को दो चमचमाती कारें देगा जिनमें बैठ कर अफसर निगम की नाक के नीचे ही बन रहे एलिवेटेड फ्लाई ओवर का निरीक्षण करेंगे। ये कारें इनोवा से नीचे नहीं होनी चाहिएं।
कॉपी पेस्ट करने वाले इंजीनियरों पर कोई कार्रवाई नहीं
इस काम के टेण्डर में कुछ भीषण किस्म की गलतियां हैं जिनके लिए अब तक को टेण्डर डाक्यूमेंट बनाने व उनको जांचने वालों पर कार्रवाई हो जानी चाहिए थी। लेकिन राजनीतिक मिलीभगत व लाभ के गणित के चलते कार्रवाई तो दूर, उस पर चर्चा तक नहीं की जा रही है। निगम के जो इंजीनियर एक टेण्डर डाक्यूमेंट ठीक से तैयार नहीं करवा सकते वो एलिवेटेड फ्लाई ओवर बनाने के दौरान जनता के पैसों का कितना ध्यान रखेंगे यह तो अभी से साफ नजर आ रहा है। डाक्यूमेंट के लूप होल्स ठेकेदार को एडवांटेज देंगे और वो अपनी मनमानी कर सकेगा। मसलन ठेकेदार से कहा गया है कि वो खुद तय करेगा कि इस एलिवेटेड फ्लाई ओवर का डिजाइन क्या होगा। इसमें काम में लिए जाने वाले मटेरियल की गुणवत्ता के बारे में भी डाक्यूमेंट में कुछ नहीं लिखा गया है। यदि इंजीनियर कॉपी पेस्ट से हटकर थोड़ा सा भी कॉमन सेंस काम में ले लेते तो रोज-रोज निरीक्षण व गुणवत्ता की चिंता से मुक्त हुआ जा सकता था। ये ऐसे बिंदु हैं जिन पर ना सिर्फ जनता में चर्चा जरूरी है बल्कि सख्त एक्शन भी होना चाहिए। नहीं हुआ तो यही कॉपी पेस्ट के इंजीनियर आगे जनहित के कामों में सरकार को और बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कंसल्टेंट कौन
इस काम में कंसल्टेंंट कौन होगा यह अब तक साफ नहीं हो पाया है। क्या यह पॉलिटिकल होगा या नॉन पॉलिटिकल। कहीं वो वाले इंजीनियर भाई साहब तो नहीं होंगे जो हाल ही में अपने पॉलिटिकल पद से निवृत्त हुए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा। क्योंकि निगम के पास एक्सपर्ट नहीं है इसलिए कंसल्टेंट की नियुक्ति की जानी है। वैसे यह काम अगर एनएचएआई या यूडीए से करवाते तो यह खर्चा बच जाता क्योंकि उनके पास एक्सपर्ट हैं। लेकिन ना जाने क्यों और किसके कहने पर यह फैसला किया गया कि काम निगम ही करवाएगा। फिर चाहे जनता का पैसा ही बर्बाद करते हुए कंसल्टेंट ही क्यों ना रखना पड़े।
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