पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानवदर्शन हीरक जयन्ती समारोह का भव्य शुभारंभ, देशभर से 300 प्रतिभागी कर रहे हैं शिरकत
उदयपुर। पडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानवदर्शन के 60 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय हीरक जयंती समारोह का शुभारंभ बुधवार को भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के सभागार में हुआ। यह आयोजन पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह समिति, भूपाल नोबल्स संस्थान एवं जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। समारोह का उद्घाटन करते हुए राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि पंडित जी के दृष्टिकोण में राष्ट्र केवल भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक इकाई है। उन्होंने कहा कि राजनीति में आई गिरावट के लिए समाज का बदलता स्वरूप जिम्मेदार है। स्वस्थ समाज और परंपराएं ही समरस वातावरण बना सकती हैं। देवनानी ने यह भी कहा कि अंत्योदय, संयम और त्याग पंडित जी की राजनीति के केंद्र में थे, जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
प्रथम तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता प्रो. महेश चंद्र शर्मा (अध्यक्ष, एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान) ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजनीति में रहते हुए भी विचारों की प्रतिस्पर्धा को स्वीकार करते थे, किंतु वे समभाव, संवाद और सहयोग की संस्कृति के पक्षधर थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र केवल सत्ता परिवर्तन का माध्यम नहीं, बल्कि विचारों के नवाचार और समाधान प्रस्तुत करने का अवसर है। समारोह को स्वागत उद्बोधन में विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने पं उपाध्याय के विचारों की वर्तमान परिदृश्य में प्रांसगिकतरा और आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि राष्ट्र का निर्माण सीमाओं से नहीं, बल्कि संबंधों, संवेदना और समर्पण से होता है। हमारी संस्कृति ही राष्ट्र की आत्मा है और उसकी रक्षा में ही राष्ट्र की सुरक्षा निहित है। वहीं प्रो. मोहनलाल छिपा ने समारोह की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए कहा कि दीनदयाल विचार केवल ग्रंथों तक सीमित न रहकर नागरिकों के आचरण में उतरना चाहिए।
प्रथम दिन इन विषयों पर हुआ विचार-मंथन
प्रथम दिन ‘राजनीतिज्ञ पंडित दीनदयाल उपाध्याय’, ‘पत्रकार और साहित्यकार के रूप में पं. उपाध्याय’ और ‘संस्थान एवं गैर-सरकारी संगठनों में दीनदयाल दर्शन की भूमिका’ जैसे विषयों पर मंथन हुआ। वक्ताओं में डॉ. एस. एस. उपाध्याय, डॉ. इन्दूशेखर तत्पुरुष, गोपाल शर्मा, अतुल जैन, प्रो. के. के. सिंह, प्रो. महेन्द्र सिंह आगरिया, प्रो. मोहनलाल छीपा और मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी शामिल रहे।
पुस्तक विमोचन और चित्र प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
इस अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के 4-5 जून 1964 को उदयपुर में दिए गए बौद्धिक विमर्शों पर आधारित पुस्तक ‘एकात्मक मानवदर्शन’ का विमोचन भी किया गया। साथ ही, उनकी जीवनदृष्टि और विचारधारा पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसका अवलोकन प्रतिभागियों सहित विद्यार्थियों और गणमान्य नागरिकों ने किया। आयोजन सचिव डॉ. युवराज सिंह राठौड़ ने बताया कि दो दिवसीय इस समारोह में देशभर से लगभग 300 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। आयोजन में पूर्व मंत्री व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, प्रो. कन्हैयालाल बेरवाल, बीएन संस्थान के प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़, डॉ. एन.एन. सिंह, डॉ. रेणु राठौड़, अनुराग सक्सेना, प्रो. बीएल चौधरी, प्रो. लोकेश शेखावत, हेमेंद्र श्रीमाली, गजपाल सिंह राठौड़, बंशीलाल खटीक, प्रो. प्रेम सिंह रावलोत, अक्षांश भारद्वाज, डॉ. अनिल कोठारी, नीरज कुमावत, डॉ. विजय प्रकाश विपलवी सहित अनेक विद्वान, शिक्षाविद एवं सामाजिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे। समारोह का संचालन डॉ. अनिता राठौड़ और राजेन्द्र सिंह शेखावत ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह आगरिया ने किया।
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