24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। बर्बाद तो मुझे तुम्हीं ने किया है, इल्जाम किसी और के सर जाए तो अच्छा है। ये बोल नई हिल पॉलिसी लाने वालों पर खूब अच्छे से लागू होते हैं। इसके लिए सुझाव मांगे गए हैं मगर सवाल यह उठ रहा है कि क्या इससे पहले कभी ऐसा हुआ। जबकि नगर निकाय तो शिकायत करने वालों की शिकायतें सालों से कूडेदान में डालते रहे। लोग माथा पीटते रह गए मगर कार्रवाई नहीं हुई व देखते ही देखते उदयपुर के हरे भरे पहाडों पर होटल व बडे बडे रिसोर्ट उग आए। अब सरकारी डंडा हुआ है तो सुझाव मांगे जा रहे हैं।
अरावली के सघन क्षेत्र उदयपुर में खरबों साल पहले बने देश के सबसे पक्के पहाड़ों को पिछले कुछ सालों में जिस प्रकार के कत्लेआम मचाया गया वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। हर पांच-दस किलोमीटर पर जाकर पूछ लीजिए कि यह रिसोर्ट किसका है। जवाब मिलेगा फलां-फलां नेताजी का है। उन अफसरान कर है। जयपुर या दिल्ली के उन अधिकारियों की पार्टनरशिप वाली होटल है या रिसोर्ट है। याने पहले सबने मिलकर सालों साल तक अरावली के पहाडों को जमकर लूट लिया और अब एक-एक इंच पहाड को नापने की व उसको संरक्षित करने की बातें हो रही हैं। हाईकोर्ट में कुछ समय पहले ही तथ्य आया था कि अरावली के 100 पहाड ही गायब हो गए हैं। जल ग्रहण क्षेत्रों में लाखों मकान बन चुके हैं। जमीन माफिया अब भी नहीं रूका है व रोज खबरें आ रही हैं कि पहाड़ों पर कब्जों के लिए संघर्ष चल रहा है। नीचे के निकाय परमिशन नहीं देते हैं तो जयपुर से आ जाती है। उदयपुर में तो तालाब के बीच में होटल बन जाती है व सब देखते रह जाते हैं। बहरहाल अब खबर यह आ रही है कि राजस्थान में पहाड़ों को बचाने के लिए सरकार नई हिल पॉलिसी बनाने जा रही है। पॉलिसी के तहत प्रदेश में 15 डिग्री से ऊंचे पहाड़ों पर कोई निर्माण नहीं होगा। पहाड़ की ऊंचाई नापने के लिए भी मनमर्जी नहीं चलेगी। इसरो का कार्टोसैट का सटीक डेटा काम में लिया जाएगा ताकि नपती ठीक से हो सके। सरकार ने 20 दिसंबर तक जनता से सुझाव मांगा है। पॉलिसी माउंट आबू इको सेंसेटिव जोन को छोड़कर पूरे प्रदेश के शहरी क्षेत्र में लागू होगी। नई हिल पॉलिसी के कर्णधार बता रहे हैं कि मास्टर प्लान के अनुसार 8 डिग्री और 8 से 15 डिग्री तक के पहाड़ों पर फार्म हाउस और रिसोर्ट के लिए मंजूरी मिल जाएगी। लेकिन, 15 डिग्री के ऊपर वाले पहाड़ों पर कंस्ट्रक्शन बैन रहेगा। लेकिन जो बन चुके हैं उनका क्या होगा क्या उनको सरकार वापस ले लेगी यह बडा सवाल है। प्रदेश की जनता से 20 दिसंबर तक नई पॉलिसी के लिए सुझाव मांगे हैं, जो ई मेल के जरिए भेज सकते हैं। अभी पहाड़ी का नाप रास्ते के नीचे से लिया जा रहा है। नई पॉलिसी में भारत के ही उपग्रह कार्टोसेट जो खास तौर पर भूमि संबंधी डेटा के लिए छोडा गया था उसका उपयोग किया जाएगा । उससे प्राप्त इमेजरी को सुपरइंपोज करने पर एकदम सटीक नाप तैयार होगा।
पहले क्यों नहीं की पहल मगर फिर भी नहीं मान रहे दबंग
पहाड़ों के संरक्षण के लिए पहाड़ी संरक्षण विनियम-2018 बनी हुई थी, जिस पर पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी समितियों ने आपत्ति जताई थी। राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में डीबी सिविल रिट याचिका लगी, जिसका आदेश 24 अगस्त 2023 और 9 मई 2024 को पारित हुआ। यूडीएच ने पहाड़ी संरक्षण विनियम-2018 में संशोधन के लिए कमेटी गठित कराई। कमेटी की अनुशंसा पर पहाड़ संरक्षण विनियम-2024 प्रारूप तैयार किया। 20 दिसंबर तक सुझाव ड्राफ्ट को पढ़कर दे सकते हैं। अब यूडीए की ओर से भी सुझाव मांगे जा रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या उदयपुर में पहले कभी यूडीए ने पहाडों को लेकर सुझाव मांगे थे। हकीकत तो यह है कि यूडीए खुद लोगों की शिकायतों पर कुंडली मार कर बैठ गई।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.