स्वामी गोविन्द देव गिरि को डी.लिट. की उपाधि से नवाजा

  • डी.लिट. की यह उपाधि भगवान एकलिंग जी और श्रीनाथ जी के प्रसाद के रूप में स्वीकार्य – स्वामी गोविन्द देव गिरि
  • व्यक्ति, समाज, संतो व परमात्मा का मिलन हे धर्म – स्वामी गोविन्द देव गिरि
  • अंग्रेजों का पहला काला कानून गुरुकुलों को बंद करना – स्वामी गोविन्द देव गिरि

24 न्यूज अपडेट उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के 19वें विशेष दीक्षांत समारोह में मंगलवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में स्वामी गोविन्द देव गिरि को अध्यात्म और भारतीय पुरातन ज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए डी. लिट की उपाधि से नवाजा गया। समारोह के विशिष्ठ अतिथि प्रधानमंत्री के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. ओ.पी. पाण्डेय व कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर थे, जबकि अध्यक्षता कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय जानी ने की। कुलपति कर्नल प्रो एस.एस सारंगदेवोत अतिथियों का स्वागत किया। रजिस्ट्रार तरुण श्रीमाली ने संचालन किया। इससे पूर्व अतिथियों ने मनीषी पं जनार्दनराय नागर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया तत्पश्चात अकादमिक प्रोसेशन निकाला गया जिसमें डीन, डायरेक्टर्स आदि मौजूद थे। विशेष दीक्षांत में डी.लिट. की उपाधि से अलंकृत स्वामी गोविन्द देव गिरि ने कहा कि मैं यह उपाधि भगवान एकलिंग जी और श्रीनाथ जी के प्रसाद के रूप में स्वीकार करता हूं। उन्होंने कहा कि राजस्थान की भूमि मेरे ननिहाल की भूमि है। भारतीय ग्रंथों के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि विदेशों के पुस्तकालय में यह पाया कि विविध क्षेत्रों में जो कुछ नए विचार हैं, वे सारे विचार मैं रामायण,महाभारत और अन्य ग्रंथों में सदियों से निहित हैं। मैनेजमेंट पढ़ने वालों ने महाभारत नहीं पढ़ा तो आपका ज्ञान अधूरा है। सेल्फ हेल्प, आत्म विकास आदि योग वशिष्ठ में है। रिलेशनशिप जो रामायण में है, वो दुनिया में कहीं नहीं। कुल मिलाकर सारा ज्ञान वेदों ही से आया है अतः वेदों की तरफ चलना है।

उन्होंने बताया कि जम्मू से लेकर मणिपुर तक 38 वेद विश्वविद्यालय उनके द्वारा चलाए जा रहे हैं। साथ ही पूरे विश्व भर के 142 देश में 10 लाख 50 हजार लोग गीता सीख रहे हैं, यह कार्य ऑनलाइन एप्लीकेशन लर्न गीता के माध्यम से किया जा रहा है। गुलामी के कारण हम अपने ज्ञान को भूल गए। उच्च स्थान से हमें निम्न स्थान पर खींचा गया और अपने मूल्य हमें याद ना रहें इसलिए अंग्रेज़ ऐसी शिक्षा लाए। अंग्रेजो का पहला काला कानून गुरुकुलों को बंद करना था। हालाँकि अब विश्वास है कि भारत फिर जागेगा और उच्च स्थान तक फिर पहुंचेगा। धर्म का अर्थ बताते हुए कहा कि संस्कृत का अनुवाद अंग्रेज़ी में नहीं हो सकता है। जैसे पिंडदान में निहित पिंड के लिए अंग्रेज़ी में कोई शब्द नहीं है। व्यक्ति, समाज, संत और ईश्वर के मध्य सामंजस्य ही धर्म है।

पूर्व में कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने स्वागत व दीक्षा-उपदेश देते हुए उपाधि-धारकों से कहा कि शिक्षा केवल आपके द्वारा अर्जित ज्ञान में सीमित नहीं है, बल्कि आप द्वारा अपनाए गए मूल्यों और नैतिकता में निहित है। आपको आपकी चुनौतियों से खुद ही निपटना है, स्वयम और परिवार के लिए धनार्जन करना है, समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होना है, देश की उन्नति के दायित्व का सशक्त हो निर्वहन करना है और मानवता के हाथों को कमज़ोर नहीं होने देना है। तैत्तिरीय उपनिषद की शिक्षावल्ली में दीक्षांत उपदेश को दोहराते हुए कहा कि सत्य बोलो। अपने धर्म का अनुसरण करो। स्वाध्याय व मनन के प्रति कभी अवहेलना मत करो। अपने आचार्य के प्रति निष्ठावान बने रहो व दीक्षांत के उपरान्त गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर अपनी वंश परम्परा के दीर्घ सूत्र को पुष्टता प्रदान करो।

विशिष्ट अतिथि प्रधानमंत्री के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. ओ.पी. पाण्डे्य ने कहा कि गुरु अग्नि के समान है और शिष्य कागज़ के समान, कागज़ पर अग्नि लगने पर कागज़ नहीं रहता और वह स्वयं अग्नि हो जाता है। यही गुरु-शिष्य का सम्बन्ध है। उन्होंने बताया कि दीक्षांत प्रणाली का प्रणेता भारतवर्ष ही है, जिसका अनुसरण पूरा विश्व कर रहा है। अपरा विद्या और परा विद्या की जानकारी देते हुए कहा कि, शिक्षा वह ज्ञान है जिसे अर्जित किया जा सकता है और दीक्षा को गुरु प्रदान कर आत्मबोध और ब्रह्मबोध का मार्ग प्रशस्त करता है।

कुलाधिपति प्रो बलवंतराय जानी ने कहा कि स्वामी गोविन्द देव गिरि सरीखे संतों के आगमन से विद्यापीठ के संस्थापक जनार्दन राय नागर की आत्मा आज प्रसन्न होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के शिक्षण का प्रारंभ वेद विद्या से हो। विद्यापीठ का अच्छे कार्यों हेतु स्वतः ही चयन होता है क्योंकि हम शोध, समाज कार्य में अग्रणी हैं।

समारोह में दीक्षा राठौड़, प्रभा रमन सिंह राठौड़, रेवती रमन सिंह राठौड़, हिंगलाज दान चारण, नीतू प्रसाद, भरत कलाल, तारा मेनारिया, राजा राम गुर्जर, झाला मिहिरदेव प्रधुम्न सिंह, जॉयसी सेनलिन, नीलिमा शर्मा को पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की गई। संचालन डॉ. हिना खान ने किया। कार्यक्रम में पीठ स्थविर डॉ. कौशल नागदा, प्रो. जीएम मेहता, डॉ. पारस जैन, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. भवानी पाल सिंह राठौड़, प्रो. नीरज शर्मा, किशन दाधीच, प्रो. मलय पानेरी, प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. कला मुणेत, डॉ. अवनीश नागर, डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, प्रो. मंजु मांडोत, डॉ. लाला राम जाट, डॉ. दिलीप सिंह चौहान, सुभाष बोहरा, डॉ. धमेन्द्र राजौरा, डॉ. एस.बी. नागर, डॉ. सपना श्रीमाली, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. अमी राठौड, सहित डीन डायरेक्टर, कार्यकर्ता व विद्यार्थी उपस्थित थे।


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By desk 24newsupdate

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