24 न्यूज अपडेट. जयपुर। जयपुर में 13 मई 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट के दौरान जिंदा बम रखने के मामले में ज्यूडिशियल कस्टडी में चल रहे नाबालिग आरोपी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई कर रहे किशोर न्याय बोर्ड को तीन महीने में सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए। आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिए हैं। आरोपी ने घटना के समय खुद को नाबालिग बताया था। किसी किशोर को 3 साल से ज्यादा जेल में नहीं रखा जा सकता, इसी बिंदु पर जमानत दी गई है। जमानत पर शर्तें लगाई है। राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा के अनुसार नाबालिग आरोपी को सशर्त जमानत दी गई है, अगर शर्तों का पालन नहीं किया तो सुप्रीम कोर्ट जमानत रद्द कर सकता है। नाबालिग आरोपी को रोज सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक एटीएस के दफ्तर में हाजिरी देनी होगी। नाबालिग आरोपी को पासपोर्ट जेल अफसरों के पास जमा करवाना होगा। बिना अनुमति विदेश यात्रा नहीं कर सकेगा। नाबालिग आरोपी को किसी भी गैर कानूनी संगठन में शामिल नहीं होने की शर्त लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी शर्त लगाई है कि अगर वह किसी भी गैर कानूनी संगठन के व्यक्ति से संपर्क में भी रहा या गैर कानूनी काम में शामिल हुआ तो जमानत रद्द हो जाएगी और फिर से गिरफ्तार किया जा सकता है। जमानत का विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शर्मा ने तर्क दिया कि युवक पर गंभीर आरोप है, वह ब्लास्ट का आरोपी है और इंडियन मुजाहिदीन का सक्रिय मेंबर रहा है। अहमदाबाद में हुए बम धमाकों भी वह शामिल रहा। इसे रिहा करने पर समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा। ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जाए। आज की सुनवाई में एएजी ने जमानत देने पर आरोपी पर कुछ शर्तें लगाने की मांग की, इस पर कोर्ट ने इन शर्तों के साथ आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए।
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