24 न्यूज अपडेट.उदयपुर। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाने वाला बसंत पंचमी पर्व रविवार को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ उदयपुर के ऐतिहासिक जगदीश मंदिर में मनाया गया। यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जब प्रकृति पीले रंग की आभा से खिल उठती है और मंदिरों में भक्तिमय आयोजन शुरू हो जाते हैं। इस मौके पर ठाकुरजी को पीले वस्त्र धारण कराए गए और दिनभर भक्ति गीतों के माध्यम से भगवान को रिझाने का प्रयास किया गया। अब डोल उत्सव तक कुल 40 दिनों तक ठाकुरजी को गुलाल-अबीर अर्पित की जाती है। पुजारी गजेंद्रजी ने जानकारी दी कि अलसुबह 5ः30 बजे भगवान जगदीश की मंगला आरती से उत्सव की शुरुआत हुई। इसके बाद ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक किया गया, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराया गया। अभिषेक के बाद भगवान को पीले रंग के सुंदर वस्त्र धारण कराए गए, जो बसंत का प्रतीक माना जाता है। सुबह 10ः30 बजे शृंगार आरती हुई, जिसमें भगवान को फूलों और आभूषणों से सुसज्जित किया गया। इसके बाद दोपहर 12ः30 बजे राजभोग धराया गया, जिसमें भगवान को विशेष व्यंजन अर्पित किए गए।
गुलाल-अबीर से होली का आरंभ
बसंत पंचमी के अवसर पर ठाकुरजी के साथ गुलाल और अबीर खेलकर भक्तों ने भगवान को प्रसन्न करने की परंपरा का निर्वाह किया। पुजारी ने बताया कि इस दिन से रंगों का यह उत्सव शुरू हो जाता है, जो होली के बाद आने वाली रंग पंचमी तक चलेगा। इस दौरान प्रतिदिन भगवान के समक्ष फाग गीत गाए जाएंगे और गुलाल-अबीर का प्रयोग किया जाएगा। श्रीनाथजी मंदिर में भी बसंत पंचमी का पर्व बड़े उत्साह से मनाया गया। बसंत के फूलों से ठाकुरजी का विशेष शृंगार किया जाता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक आनंद प्रदान करता है।
फाग गीतों की गूंज
बसंत पंचमी से शुरू होकर फाग गीतों का यह सिलसिला होली तक जारी रहेगा। इन गीतों में राधा-कृष्ण के प्रेम, बसंत ऋतु की सुंदरता और भक्तिमय भावना का वर्णन होता है। मंदिर में गाए जाने वाले फाग गीतों ने माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
बसंत पंचमी का यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह शीत ऋतु की विदाई और नई ऊर्जा के आगमन का संदेश देता है। मंदिरों में गुलाल-अबीर के खेल और फाग गीतों की परंपरा समाज को प्रेम, भक्ति और आनंद के रंगों में सराबोर करती है। आस्था और उल्लास का संगम
इस प्रकार जगदीश मंदिर और श्रीनाथजी मंदिर में आयोजित बसंत पंचमी के भव्य कार्यक्रम ने भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया। ठाकुरजी की सेवा, गुलाल-अबीर का खेल और फाग गीतों की गूंज ने इस पर्व को यादगार बना दिया। क्या आप भी कभी ऐसे धार्मिक आयोजन में शामिल हुए हैं? यदि हां, तो आपके अनुभव कैसे रहे?
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