24 न्यूज अपडेट, उदयपुर। उदयपुर के पेसिफिक डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की बीडीएस फाइनल ईयर की छात्रा श्वेता सिंह (25) ने गुरुवार देर रात हॉस्टल के कमरे में फंदा लगाकर जान दे दी। जम्मू निवासी श्वेता के पिता पुलिस विभाग में कांस्टेबल हैं व वह उनकी इकलौती बेटी थी। श्वेता की मौत के साथ ही कॉलेज प्रशासन की कार्यप्रणाली और अकादमिक माहौल पर बहुत गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि श्वेता के कमरे से मिले सुसाइड नोट में कॉलेज स्टाफ पर मानसिक उत्पीड़न करने और उसका करियर बर्बाद करने के गंभीर और सीधे आरोप लगाए गए हैं। इनकी तत्काल जांच व दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है। इस मामले में अब विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से दोनों आरोपी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है।
घटना के अनुसार गुरुवार रात करीब 11 बजे जब रूममेट हॉस्टल पहुंची, तो दरवाजा बंद मिला। दरवाजा खोलने पर वह पंखे से लटकी हुई मिली। उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलते ही सुखेर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और छात्रा के कमरे को सील कर लिया गया। कमरे से बरामद चार पन्नों के सुसाइड नोट ने पूरे कॉलेज प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस नोट में श्वेता ने लिखा है कि दो वर्षों से कॉलेज की नैनी मैम और भगवत सर उसका टॉर्चर कर रहे थे। उसने बताया कि उनका पूरा बैच फाइनल ईयर में है, लेकिन दो साल से ज़्यादा समय बीत जाने के बावजूद न परीक्षाएं हो रही हैं, न ही उन्हें इंटर्नशिप मिल पाई है। कुछ साथी छात्र इंटर्न बन चुके हैं, जबकि उसका फर्स्ट इंटरनल भी जबरन जूनियर बैच के साथ कराया जा रहा है।
सुसाइड नोट में श्वेता ने स्पष्ट लिखा कि “बहुत टॉर्चर किया इन्होंने“, और “करियर की ऐसी-तैसी कर दी है“। उसने आरोप लगाया कि कॉलेज में पैसे लेकर उन छात्रों को पास कर दिया जाता है जो कभी कक्षा में नहीं आए। वहीं, जो ईमानदारी से पढ़ाई करते हैं, उन्हें मानसिक और शैक्षणिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। अपनी बात में अंतिम पीड़ा जताते हुए श्वेता ने लिखा, “मैं अब एक्सप्लेन करने की हालत में नहीं हूं। मैं इस सिरदर्दी से फ्री होना चाहती थी, सो मैं हो गई।“
घटना के बाद शुक्रवार सुबह से ही पेसिफिक डेंटल कॉलेज में छात्रों का आक्रोश फूट पड़ा। बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं कॉलेज परिसर में एकत्र होकर धरने पर बैठ गए व नारेबाजी करते हुए गुस्सा जता रहे हैं। उन्होंने कॉलेज प्रशासन पर गंभीर लापरवाही और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए न्याय की मांग की। प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाया कि अब कॉलेज प्रबंधन आंदोलन खत्म करने का दबाव बना रहा है और सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रहा है। छात्रों ने श्वेता को न्याय दिलाने के लिए प्रशासन से मांग की कि जिन लोगों का नाम सुसाइड नोट में है, उनके खिलाफ तत्काल सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
पेसिफिक डेंटल कॉलेज, की इस घटना ने पेसिफिक विवि की छवि को गहरा धक्का पहुंचाने के साथ ही वहां के शैक्षणिक परिवेश में पनप रही मनमानियों का एक बार फिर से खुलासा कर दिया है। श्वेता सिंह की आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि निजी शैक्षणिक संस्थानों में व्याप्त शोषण, पक्षपात और अकादमिक भ्रष्टाचार की एक भयानक कहानी भी है। अब यह देखना है कि पुलिस प्रशासन और विभाग इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और क्या दोषियों को सजा दिलाई भी जा सकेगी या नहीं।
श्वेता के अंतिम शब्द ‘ “अगर इंडिया में जस्टिस मिलता है तो प्लीज भगवत को परमानेंट जेल में डाल दो। उनको भी वही टॉर्चर फील हो जो बच्चों को हो रहा है“ इस पूरे शैक्षिक तंत्र के लिए एक गहरी चेतावनी हैं।
अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने की मांग
घटना को लेकर राजनीति तेज हो गई है। राजस्थान महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष शांताप्रिन्स ने बयान जारी कर कहा कि “बहुत हुआ नारी पर अत्याचार, अबकी बार मोदी सरकार। इस नारे के साथ सत्ता में आई भाजपा सरकार के राज में बच्चियाँ शिक्षा जैसे मूलभूत अधिकार से वंचित हो रही हैं।“ उन्होंने आगे कहा कि “जहां कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बच्चियों की शिक्षा मुफ्त की थी, वहीं आज राजस्थान में भाजपा सरकार में लड़कियों को शिक्षा के लिए पैसों के लालच में प्रताड़ित किया जा रहा है। क्या शिक्षा का भी अब व्यापार हो रहा है? सुसाइड नोट में जो आरोप लगे हैं, वे सीधे शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े करते हैं।” राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लाम्बा ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है और सोशल मीडिया के माध्यम से घटना की निंदा करते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है। शान्ता प्रिन्स ने कॉलेज का रजिस्ट्रेशन तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की है और कहा है कि यह घटना बेहद दर्दनाक और निंदनीय है।
“बहुत टॉर्चर किया, “करियर की ऐसी-तैसी कर दी’’, लिखकर पेसिफिक डेंटल की छात्रा ने दी जान, आरोपी शिक्षक बर्खास्त, क्या मिल पाएगा न्याय!!!

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