24 News Update उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में विश्व विरासत सप्ताह की शुरुआत सोमवार को विद्यापीठ संग्रहालय में हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने संग्रहालय में स्थापित क्यूआर कोड सुविधा का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि विरासत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि विरासत ही विकास को प्रेरित करती है।
साहित्य संस्थान परिसर स्थित विद्यापीठ के पुरातत्व संग्रहालय में पाषाण काल से लेकर मध्यकाल तक की समृद्ध धरोहर सुरक्षित है। इनमें प्रस्थर औजार, हड़प्पा सभ्यता के अवशेष, आहड़ एवं गणेश्वर संस्कृति की कलाकृतियां, प्राचीन मूर्तियां तथा राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त दुर्लभ अवशेष शामिल हैं। संग्रहालय में धातु प्रगलन के अवशेष, धातु के प्राचीन औजार तथा जावर के जस्ते की भट्टियों के प्रमाण विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।
विरासत सप्ताह के मौके पर संग्रहालय में प्रदर्शित वस्तुओं को क्यूआर कोड के माध्यम से देखने की सुविधा भी शुरू की गई है। इसके तहत प्रत्येक वस्तु पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर दर्शक उसके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बताया कि निकट भविष्य में इसे आभासी संग्रहालय (Virtual Museum) का रूप दिया जाएगा, जिससे लोग घर बैठे ही संग्रहालय की सभी वस्तुओं को देख सकेंगे। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बी. एल. गुर्जर ने की। कार्यक्रम में साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. जीवनसिंह खरकवाल ने स्वागत उद्बोधन दिया, जबकि संचालन डॉ. कुलशेखर व्यास ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, संजय शर्मा, डॉ. महेश आमेटा, नारायण पालीवाल, शोयब कुरेशी, संगीता जैन, कमला शर्मा, डॉ. रवि देवड़ा, शोधार्थी सुपर्र्णा दे, आनंद कुमार, संगीता सेनी, पायल सेन, तरुण पुरी, सौरभ भास्कर, ममता, वर्षा, ताहिरा, राजेश, हनुदीप वत्स, हिमानी सहित अनेक विद्यार्थी एवं संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
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